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Loksabha Election: लोकसभा चुनाव के चलते उत्तर प्रदेश की दो परंपरागत सीटें अमेठी और रायबरेली पर कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इन दोनों सीटों पर नामांकन की अंतिम तिथि 3 मई है और उम्मीदवारी पर सस्पेंस अभी तक बरकरार है. उत्तर प्रदेश की ये दोनों सीटें सपा के गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के पेठे में है. कांग्रेस के रणनीतिकार सुनील कोनुगोलू के एक सर्वे के मुताबिक इन अमेठी और रायबरेली सीटों पर गांधी परिवार को चुनाव लड़ाने की मांग की जा रही है. सूदूर एक रिपोर्ट ये भी है कि अगर गांधी परिवार का सदस्य इन सीटों पर चुनावी मैदान में उतरता है तो जीत पक्की है. हालांकि फैसला गांधी परिवार या कोर कमेटी को लेना है.

सोनिया गांधी का इस बार रायबरेली से चुनाव लड़ना तय नहीं है. इस सीट पर प्रियंका गांधी के उतरने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं पिछली हार के बाद अमेठी से चुनाव लड़ने की राहुल गांधी हिम्मत अब तक नहीं जुटा पाए हैं. उन्होंने पिछली बार की तरह मौके और महौल की नजाकत को भांपते हुए वायनाड से पर्चा भर दिया, जहां शुक्रवार को मतदान संपन्न हो चुका है. राहुल के अमेठी से चुनाव न लड़ पाने की स्थिति में प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने चुनावी मैदान में उतरने की इच्छा जाहिर की है. स्मृति ईरानी यहां से सीटिंग सांसद हैं और लगातार तीसरी बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. पिछली बार ईरानी ने राहुल गांधी को 52 हजार के करीब वोटों से हराया था.

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यूपी की इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार की माथापच्ची काफी दिनों से चल रही है. पिछली हार के बाद राहुल गांधी ने अमेठी आना करीब करीब छोड़ दिया है. वो यहां दो से तीन बार आए. सोनिया गांधी का भी रायबरेली जाना करीब करीब न के बराबर है. यहां प्रियंका गांधी ने जरूर कुछ चक्कर लगाए हैं और संभावना भी यही है कि यहां से उनका सक्रिय राजनीति में आना तय है. कोई अधिकारिक जानकारी फिलहाल हाथ नहीं लग पायी है.

दूसरी ओर इन दोनों हाईप्रोफाइल सीटों पर कांग्रेस के कार्यकर्ता भी राहुल गांधी और प्रियंका को चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं. बीच बीच में प्रियंका के चुनाव न लड़ने की खबरें भी सामने आ रही हैं क्योंकि अगर वे चुनाव लड़ती हैं तो बीजेपी परिवारवाद पर पार्टी को घेर सकती है. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका इस बार चुनाव न लड़कर केवल प्रचार पर फोकस करेंगी. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के हाथों से उनकी ये मजबूत सीटें फिसल भी सकती हैं.

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पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस समय राज्यसभा से सांसद हैं. प्रियंका के चुनाव न लड़ने की स्थिति में पार्टी शीला कोल के बेटे आशीष कौल को उम्मीदवार बना सकती है. दीपा कौल हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल शीला कौल की बेटी हैं. शीला कौल पंडित नेहरू की रिश्तेदार थी. इसके साथ कई और संभावित नामों पर भी विचार किया जा रहा है. हालांकि जो दमखम राहुल गांधी और प्रियंका में है, वो शायद पार्टी के किसी अन्य नेता में नहीं है.

वहीं स्मृति ईरानी कई बार राहुल गांधी को अमेठी से चुनाव लड़ने की चुनौती खुलेआम दे चुकी हैं. वहीं राहुल गांधी को भी अमेठी में सक्रिय न रहने से हार का डर सता रहा है. हालांकि वायनाड से चुनाव लड़ने से उनके सदन में न जाने की संभावना तो करीब करीब समाप्त हो चुकी है. ऐसे में उन्हें अमेठी से चुनाव लड़ना चाहिए. बाकी सब निर्णय कांग्रेस की कोर कमेटी के हाथों में है. रोचक रहने वाला है कि इन दोनों वीवीआईपी सीटों पर गांधी परिवार की विरासत संभालने कौन सामने आता है.

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