पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. मध्यप्रदेश की राजनीति में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही हर किसी की जुबां पर सचिन पायलट का नाम चढ़ा हुआ है. इसी क्रम में क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर सचिन पायलट भी चलेंगे के सवाल के जवाब में मोदी सरकार के कद्दावर नेता और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि थोड़ा इंतजार कीजिए, क्योंकि इंतजार का फल मीठा होता है.
जोधपुर सांसद और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने चंडीगढ़ यात्रा के दौरान मीडिया के सवाल कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर सचिन पायलट भी चलेंगे? इस पर शेखावत ने कहा कि, “मुझे लगता है कि अभी ऐसी बहुत सारी घटनाएं देश को देखने को मिलेंगी. ज्योतिरादित्य और सचिन ने बहुत साल साथ काम किया है, दोनों एक ही पीढ़ी के नेता हैं. दोनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के परिवार से आते हैं. निश्चित ही दोनों में दोस्ती और आत्मीय संबंध भी होंगे, लेकिन आगे क्या होगा, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए, क्योंकि इंतजार का फल हमेशा मीठा होता है.”
मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद से कांग्रेस में तनाव का माहौल देखने को मिल रहा है. ऐसे में केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत के इस बयान से प्रदेश में सियासी हलचल को तेज कर दिया है. वहीं प्रदेश सरकार और निशाना साधते हुए गजेन्द्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने झूठे वादे किए हैं और भ्रम का जाल बिछाया है. सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अपने सारे वादे भूल जाती है. यही कारण है कि आज वह हाशिए पर आ चुकी है, जनता उन्हें हर क्षेत्र में नकार रही है. कांग्रेस ने आज तक जनता को धर्म के नाम पर बांटने का काम ही किया है और अपनी इसी तरह की नीतियों के कारण कांग्रेस लगातार अप्रासंगिक होती जा रही है.
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वहीं आखिर सिंधिया ने कांग्रेस को क्यों छोड़ा, इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद से मध्यप्रदेश में उद्योग-धंधे बंद पड़ गए, किसान परेशान हैं. कमलनाथ सरकार ने न जाने किस बात का बदला लेते हुए शिवराज सिंह चौहान के समय जनता के कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया. मध्यप्रदेश में हालात निश्चित रूप से चिंताजनक हो गए हैं. गजेन्द्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिस वादे को लेकर सत्ता में आई थी, उसमें दस दिनों में किसानों का पूरा कर्ज माफ करना था लेकिन दुर्भाग्य है कि कर्जमाफी के नाम पर केवल नौटंकी रची गई और खानापूर्ति की गई. दूसरा वादा बेरोजगारों को भत्ता देने का था लेकिन वे सब आज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.