Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र की सियासत में दो दिन के अंदर दो राजनीतिक दलों के बीच बनते, बिगड़ते संबंधों की दो अलग-अलग घटनाएं देखने को मिली. दोनों सियासी दलों के बीच रविवार को शुरू होती दिखी ‘दोस्ती‘ की शुरुआत पर दूसरे ही दिन सोमवार को शुरू हुए मानसून सत्र ने ‘पानी फेर‘ दिया. जी हां हम बात कर रहे हैं भाजपा और शिवसेना की. महाराष्ट्र की राजनीति में कभी-कभी लगता है यह दोनों सियासी दल ‘हाथ‘ मिलाने जा रहे हैं लेकिन अगले ही कुछ घण्टों में फिर दोनों की ‘राहें‘ जुदा हो जाती हैं. पिछले महीने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अकेले में मुलाकात की थी तब अटकलें लग रही थी कि एक बार फिर से दोनों ‘करीब‘ आ सकते हैं’. लेकिन उसके दूसरे दिन ही शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत का बयान इशारा कर गया कि फिलहाल भाजपा और शिवसेना एक ‘मंच‘ पर नहीं आ रहे हैं.
उसके बाद कुछ और मौके आए जब दोनों दलों में कभी ‘नरमी‘ तो कभी ‘गरमी‘ देखी गई. इसी बीच शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना‘ में मोदी सरकार की जमकर आलोचना भी देखने को मिली. वहीं सोमवार को एक बार फिर महाराष्ट्र में ‘मानसून सत्र‘ शुरू होने से एक दिन पहले एक ऐसी खबर आई जो ‘हलचल‘ मचा गई. जिसके बाद भाजपा और शिवसेना के रिश्तों में ‘मिठास‘ दिखने लगी. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में आज सोमवार से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ. दो दिन के इस विशेष सत्र से पहले रविवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक बयान ने राज्य की राजनीति में ‘सरगर्मियां‘ बढ़ा दी.
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बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी और पूर्व सहयोगी शिवसेना दुश्मन नहीं हैं, हालांकि उनके बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं और कहा कि राजनीति में कोई ‘किंतु-परंतु‘ नहीं होता. यह पूछे जाने पर कि क्या दो पूर्व सहयोगियों के फिर से एक साथ आने की संभावना है, फडणवीस ने कहा कि स्थिति के आधार पर ‘उचित निर्णय किया जाएगा‘. यही नहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी हालिया बैठक और भाजपा और शिवसेना के फिर से एक साथ आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा कि, ‘राजनीति में कोई किंतु परंतु नहीं होता है, परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं‘ बता दें, फडणवीस महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
अब देवेंद्र फडणवीस के शिवसेना के प्रति इस तरह के नरम रुख और सियासी बयान ने राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की ‘धड़कनें‘ बढ़ा दी. वहीं फडणवीस के इस बयान के बाद शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी ‘दोस्ताना‘ अंदाज में जवाब दिया. राउत ने कहा कि ‘हम भारत-पाकिस्तान जैसे नहीं हैं, आमिर खान और किरण राव को देखिए, हम उनके जैसे हैं.’ राउत ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की ‘राजनीति राहें‘ भले ही अलग है लेकिन हमारी ‘दोस्ती‘ अभी भी बरकरार है.’ यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था. अब बात करते हैं आज शुरू हुए मानसून सत्र की, जिसमें जो हुआ उसने दोनों के बीच ‘दोस्ती‘ की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
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भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन पर फडणवीस का शिवसेना पर फूटा गुस्सा
सोमवार को शुरू हुए मानसून सत्र में महाराष्ट्र सरकार को ‘ओबीसी विधेयक‘ पारित करवाना था. इसी को लेकर सत्र के पहले ही दिन आज बीजेपी विधायकों ने जमकर हंगामा किया. पहले सदन की सीढ़ियों पर बैठकर बीजेपी के नेताओं ने नारेबाजी की और उसके बाद स्पीकर के केबिन में जाकर अधिकारियों से धक्का-मुक्की की. इस पर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने भाजपा के इन विधायकों को निलंबित करने का ‘प्रस्ताव‘ पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा के अंदर पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव से बदसलूकी करने पर बीजेपी के 12 विधायकों को महाराष्ट्र विधानसभा से एक साल के लिए ‘निलंबित‘ कर दिया गया.
इसके बाद एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने बताया कि इन भाजपा विधायकों ने स्टेज पर जाकर पीठासीन अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की की और सदन के अंदर नेता विपक्ष ने अपना स्पीकर माइक तोड़ा. आपको बता दें, बीजेपी के जिन 12 विधायकों को सदन से निलंबित किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं- संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, राम सातपुते, विजय कुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे और कीर्ति कुमार बंगड़िया हैं. दूसरी ओर बीजेपी विधायकों ने इस निलंबन की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और सदन से नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गए.
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ऐसे में विधायकों के निलंबन के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच ‘तल्खी‘ एक बार फिर बढ़ गई. जहां रविवार को देवेंद्र फडणवीस के बयान के बाद भाजपा और शिवसेना के सुधरते रिश्तों की बात की जा रही थी वहीं दूसरे दिन मानसून सत्र ने दोनों दलों के बीच खटास और बढ़ा दी. फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी सदस्यों ने फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘यह एक झूठा आरोप है और विपक्षी सदस्यों की संख्या को कम करने का प्रयास है.’ फडणवीस ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि हमने स्थानीय निकायों में ‘ओबीसी कोटे‘ पर सरकार के झूठ को उजागर किया है. फडणवीस ने आगे कहा कि बीजेपी सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी को गाली नहीं दी बल्कि शिवसेना विधायकों ने ही अपशब्दों का इस्तेमाल किया, मैं अपने विधायकों को अध्यक्ष के कक्ष से बाहर ले आया था.
खैर, विधानसभा में हंगामा होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन सोमवार को हुई इस घटना ने फिर से दोनों राजनीतिक दलों के बीच ‘दरार‘ को और बढ़ा दिया है.