Politalks.News/WestBengalPolitics. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) और राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के बीच चली आ रही पुरानी अदावत एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. यहां तक कि बीते रोज 30 जनवरी को शहीद दिवस के मौके पर हुई सियासी तल्खी के बाद आज ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपने ट्वीटर अकाउंट (Twitter Account Block) पर ब्लॉक कर दिया है. ममता बनर्जी ने इसका कारण राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा लगातार उनके या उनकी सरकार पर उठाये जा रहे हैं सवालों को बताया है. बंगाल सीएम ममता बनर्जी ने सोमवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘मैंने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपने ट्विटर अकाउंट से ब्लॉक कर दिया है. उनके हर ट्वीट से मैं हर दिन व्यथित हो रही हूं.’ इसके साथ ही ममता बनर्जी ने राज्यपाल पर फ़ोन टैपिंग के आरोप भी लगाए.
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकार वार्ता के दौरान राज्यपाल जगदीप धनखड़ के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि, ‘मैं इसके लिए, पहले से ही माफी मांगती हूं. वह (जगदीप धनखड़) लगभग हर दिन कुछ न कुछ ट्वीट करे मुझे या मेरे अधिकारियों के खिलाफ कमेंट करते हैं. वे असंवैधानिक और अनैतिक बातें कहते हैं. वे निर्देश और सलाह देते हैं, चुनी हुई सरकार मानो बंधुआ मजदूर बनकर रह गई है, इसलिए मैंने उन्हें अपने ट्विटर अकाउंट से ब्लॉक कर दिया है. मैं हर दिन व्यथित हो रही हूं.’
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ममता बनर्जी ने कहा कि, ‘हमारी सरकार पिछले एक साल से पीड़ित हैं. उन्होंने हमारी कई फाइलों को क्लियर नहीं किया, वह हर फाइल को पेंडिंग रख रहे हैं. वह नीतिगत फैसलों के बारे में कैसे बोल सकते हैं. मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कम से कम चार पत्र लिखे हैं. उन्होंने मुझे ट्विटर पर ब्लॉक करने के लिए मजबूर किया गया है. वह हर दिन सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाते और धमकाते हुए ट्वीट कर रहे थे जैसे कि हम उनके बंधुआ मजदूर हैं.’
वहीं ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘पीएम ने गवर्नर को क्यों नहीं हटाया? पेगासस गवर्नर हाउस से चल रहा है. वह फोन टैप कर रहे हैं.’ सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी ने राज्यपाल को ब्लॉक करने का निर्णय जगदीप धनखड़ के शहीद दिवस पर दिए बयान के बाद आया है.
दरअसल महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर में हुगली नदी के तट पर स्थित गांधीघाट पर कहा कि, ‘मैं बंगाल की पवित्र भूमि को खून से लथपथ और मानवाधिकारों को कुचलने की प्रयोगशाला बनते हुए नहीं देख सकता. लोग कह रहे हैं कि बंगाल लोकतंत्र का गैस चैंबर बनता जा रहा है. बंगाल में कानून का शासन नहीं है, यहां तो केवल शासक का राज है. यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं संविधान की रक्षा करूं.किसी भी प्रकार का ‘अपमान’ उन्हें अपने कर्तव्य पालन से विमुख नहीं कर सकता. हिंसा और लोकतंत्र एक साथ नहीं चल सकते. मैं प्रदेश और देश की जनता से अपील करता हूं कि, ‘वे शांति और अहिंसा के दूत बनें, जो राष्ट्रपिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.’