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Bihar Politics: देश में पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के लिए 1990 में लागू मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद 33 साल बाद एक बार फिर से जातीय राजनीति का नया अध्याय शुरू होते नजर आ रहा है. राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने से ऐनवक्त पहले बिहार ने जातिगत जनगणना का एक सर्वे करा ओबीसी आरक्षण पर एक नयी बहस छेड़ दी है. इसके साथ ही बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. हालांकि इस सर्वे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने जातिगत आधार पर देश को बांटने की बात कही है, लेकिन इस सर्वे के बाद ‘ओबीसी कार्ड’ आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के लिए एक अहम चुनावी हथियार के तौर पर लिया जाने वाला है.

फिलहाल देश में एससी को 15 फीसदी, एसटी को 7.5 फीसदी, ओबीसी को 27 फीसदी सहित कुल 49.5 फीसदी आरक्षण दिया हुआ है. कई राज्य सुप्रीम कोर्ट की तय सीमा से अधिक आरक्षण दे रहे हैं. राजस्थान में भी आरक्षण 50 फीसदी दिया हुआ है. यहां गुर्जर 4 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण की मांग कर रहे हैं जबकि ओबीसी आरक्षण का कोटा बढ़ाने पर बहस पहले से चल रही है. देखा जाए तो ओबीसी वर्ग बीते कुछ सालों में बीजेपी का वोटर बनकर उभरा है लेकिन जिस तरह से बिहार में जातिगत सर्वे सामने आया है, इस चुनौती से निपटना बीजेपी के लिए निश्चित तौर पर एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है.

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देश में 52% ओबीसी, आरक्षण बढ़ाने की मांग पकड़ेगी जोर

देश में 92 वर्ष पुराने आंकड़े के अनुसार, देश की जनसंख्या में 52% ओबीसी वर्ग का भाग है. अगर देश में जातीय जनगणना होती है और आंकड़े इसी तरह से रहते हैं तो निश्चित तौर पर इस वर्ग में आरक्षण बढ़ाने की मांग जोर पकड़ेगी. अन्य वर्ग के आरक्षण का कोटा तो कम होने से रहा. ऐसे में ये सीमा 50 फीसदी आरक्षण से अधिक जाएगी. 10% आरक्षण सामान्य वर्ग के निम्न आय वर्ग को पहले से दिया हुआ है. जातिगत जनगणना से राजनीति से लेकर नौकरियों, तमाम संसाधनों पर पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है. इसमें सामान्य वर्ग भी अपने आपको पिछड़ा हुआ महसूस करेगा. आरक्षण बढ़ने से साथ ही जातिगत दूरियां बढ़ेंगी, इसमें कोई संशय नहीं है. इसी मुद्दे पर मणिपुर का हाल देश में किसी से भी छुपा नहीं है.

देश को जात-पात के नाम पर बांट रहा विपक्ष — पीएम

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिगत जनगणना कराकर विपक्ष पर देश को जात-पात के नाम पर बांटने का आरोप लगाया है. पीएम ने कहा कि विकास विरोधी लोग पहले भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे और आज भी खेलते हैं. वो तब भी जात-पात के नाम पर लोगों को बांटते थे और आज भी यही पाप कर रहे हैं.

इधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के जातिगत सर्वे को देश में नजीर बताया है. वहीं राहुल गांधी ने कहा कि बिहार में ओबीसी, एससी और एसटी की आबादी 84 फीसद है. ऐसे में जिसकी जितनी आबादी, उसे उतना ही हक मिलना चाहिए. कांग्रेस सांसद ने देश में जल्द से जल्द जातिगत जनगणना की मांग रखी है.

जातीय गणना कराने वाला पहला राज्य बना बिहार

जातीय गणना के आंकड़े जारी करने के साथ ही बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. जातीय गणना रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की कुल जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है. इसमें 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं. इसमें पुरुषों की कुल संख्या 6 करोड़ 41 लाख 31 हजार 990 है, जबकि महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख 38 हजार 460 है. अन्य की संख्या 82 हजार 836 पाई गई है. गणना के अनुसार 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं.

सर्वे के अनुसार, अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52% है. बिहार की आबादी में करीब 82 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी मुसलमान हैं. बिहार में 2011 से 2022 के बीच हिंदुओं की आबादी घटी है. 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू आबादी 82.7% और मुस्लिम आबादी 16.9% थी. बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27% हैं. सबसे ज्यादा 14.26% यादव हैं. ब्राह्मण 3.65%, राजपूत (ठाकुर) 3.45% हैं. सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है.

बिहार की आबादी में सबसे ज्यादा अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36% है. उन्हें नौकरी में मौजूदा आरक्षण 18% दिया जा रहा है. 27% ओबीसी के लिए 12% आरक्षण दिया जा रहा है. मौजूदा समय में बिहार में ईबीसी और ओबीसी को मिलाकर 30% के रिजर्वेशन का प्रावधान है. इसमें 18% ईबीसी को और 12% ओबीसी को आरक्षण मिल रहा है. जबकि जाति आधारित गणना के मुताबिक इनकी संख्या बढ़कर 63% हो गई है.
बिहार सरकार ने सोमवार को जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. इसके साथ ही बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27% हैं. सबसे ज्यादा 14.26% यादव हैं. ब्राह्मण 3.65%, राजपूत (ठाकुर) 3.45% हैं. सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है.

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