Politalks.News/Bihar. जदयू नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक बार फिर बिहार की सत्ता के सिरमौर बन गए हैं. नीतीश कुमार ने 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल बड़ा ही रोमांचक रहा है. पिछले 20 साल के कार्यकाल में नीतीश कुमार सात बार मुख्यमंत्री बने हैं. अगर बीच में एक साल छोड़ दिया जाए तो बीते 15 सालों से बिहार की सत्ता की चाबी नीतीश कुमार के पास रही है. 2013 में किन्ही कारणों के चलते नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद जीतनराम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था. इसी कार्यकाल में नीतीश कुमार फिर एक बार प्रदेश की सीएम कुर्सी पर आसीन हुए.
सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश साल 2000 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. भला कौन सोच सकता था कि पहले कार्यकाल में महज सात दिन बिहार की सत्ता संभालने वाले नीतीश कुमार सातवीं बार प्रदेश की बागड़ौर अपने हाथों में लेंगे. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले नीतीश की राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं और सही समय पर दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनाना भी बखूबी जानते हैं. तीन साल शासन के बाद यानि साल 2023 में वे बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर सकते हैं.
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जदयू को पिछली बार 2015 विधानसभा चुनाव में मिली 71 सीटों के मुकाबले इस बार मात्र 43 सीटें मिलीं हैं, लेकिन सियासी वक्त की नजाकत को समझने वाले नीतीश कुमार इस बार भी मुख्यमंत्री बने रहने में कामयाब रहे. आज भी बिहार की राजनीति में उनसे बड़ा नेता न तो बिहार बीजेपी में रहा और न ही जदयू में. लालू यादव और शरद यादव को उनके समकक्ष समझा जा सकता है लेकिन शरद यादव करीब करीब राजनीतिक संन्यास ले चुके हैं और लालू यादव जेल में हैं. ऐसे में पूरी बिहार राजनीति में सभी चेहरे नीतीश कुमार के नीचे हैं. मंडल की राजनीति से नेता बनकर उभरे नीतीश कुमार को बिहार को अच्छा शासन मुहैया कराने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन उनके विरोधी उन पर अवसरवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं.
भले ही इस बार चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन पहले जैसा नहीं रहा और पार्टी के खाते में 2015 विधानसभा चुनाव में मिली 71 सीटों के मुकाबले इस बार महज 43 सीटें ही आई हो, बावजूद इसके नीतीश कुमार के कद को देखते हुए एक बार फिर एनडीए की ओर से उन्हें ही सत्ता की बागड़ौर सौंपने का निर्णय लिया गया.
7वीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार
सुशासन बाबू के नाम से जाने जाने वाले नीतीश कुमार को बिहार को अच्छा शासन मुहैया कराने का श्रेय दिया जाता है. हालांकि, उनके विरोधी उन पर अवसरवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं. भले ही इसे राजनीतिक अवसरवादिता कहा जाए या उनकी बुद्धिमत्ता, राजनीतिक शतरंज की बिसात पर नीतीश की चालों ने कई साल से सत्ता पर उनका दबदबा बनाए रखा है. वे 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कम ही लोगों को पता है कि नीतीश कुमार जब पहले बार मुख्यमंत्री बने थे, तो उनकी सरकार केवल सात दिन चल पाई थी.
- इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले नीतीश कुमार सबसे पहले 3 मार्च, 2000 में मुख्यमंत्री बने थे. बहुमत नहीं होने के कारण महज सात दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई थी और राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनीं.
- नीतीश कुमार 24 नवंबर 2005 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. बतौर सीएम उनका ये कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक चला.
- 26 नवंबर, 2010 को नीतीश कुमार ने तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बाद में कार्यकाल के पूरा होने के पहले ही 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई पार्टी की करारी हार का जिम्मा लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उस समय जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद का कार्यभार दिया था.
- 22 फरवरी, 2015 को चौथी बार नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली. उन्होंने सीएम के तौर पर शपथ ग्रहण की.
- 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और लालू यादव की आरजेडी के बीच महागठबंधन बना. महागठबंधन ने इस चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. 20 नवंबर, 2015 को नीतीश कुमार पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने. इस सरकार में तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने थे.
- करीब डेढ़ साल बाद ही नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ गठंबधन तोड़ने का फैसला लिया. फिर बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार बनाई. उस समय 27 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार 6वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने.
- हाल में हुए बिहार चुनाव के बाद आए नतीजों में एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला है. एनडीए को 125 सीटों पर जीत मिली, जबकि बीजेपी को 75 और नीतीश कुमार की जदयू को 43 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई. महागठबंधन ने 110 सीटों पर अपना कब्जा जमाया. आज नीतीश कुमार ने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की. तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी डिप्टी सीएम बने हैं.