पॉलिटॉक्स न्यूज. कैलाश मानसरोवर लिंक रोड को लेकर भारत और नेपाल में सीमा विवाद बढ़ता दिख रहा है. इस मुद्दे को लेकर नेपाल सरकार ने काठमांडू में भारतीय राजदूत को बुलाया और उन्हें राजनयिक संदेश सौंपा. कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए हाल में भारत की ओर से पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था. इस पर नेपाल ने अपनी आपत्ति जताई है. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत से विदेश सचिव स्तर की राजनयिक वार्ता की तारीख जल्द से जल्द तय करने के लिए भी कहा है. नेपाल ने भारत के उस आग्रह को भी ठुकरा दिया है जिसमें भारत ने कोरोना संकट के बाद वार्ता करने का प्रस्ताव रखा था.
दरअसल, भारत ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए बीते शुक्रवार को पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था. उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख पर लंबे समय से नेपाल अपना दावा पेश करता रहा है और इसी दावे के तहत नेपाल ने सड़क निर्माण को लेकर विरोध जताया. इससे पहले नेपाल के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बयान जारी कर भारत के लिपुलेख में रोडलिंक बनाने के कदम की आलोचना की थी. इस मुद्दे को लेकर नेपाल सरकार ने काठमांडू में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वाटरा को बुलाया और उन्हें राजनयिक संदेश भी सौंपा.
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नेपाल के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने सोमवार को भारतीय राजदूत क्वाटरा को समन किया और लिपुलेख की विवादित जमीन पर रोड लिंक बनाने को लेकर नाराजगी जाहिर की. विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने बताया कि भारतीय राजदूत विनय क्वाटरा को सीमा विवाद पर नेपाल सरकार के रुख से अवगत करा दिया गया है और इस संबंध में एक राजनयिक संदेश भी सौंपा. सूत्रों के मुताबिक, नेपाल के विदेश मंत्रालय ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत से विदेश सचिव स्तर की राजनयिक वार्ता की तारीख जल्द से जल्द तय करने के लिए कहा है.
नेपाल के विदेश मंत्रालय के बयान पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सड़क पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में स्थित है. भारत ने ये भी कहा है कि नेपाल से करीबी संबंध को देखते हुए सीमा विवाद को कूटनीतिक तरीकों से सुलझाया जाएगा. भारत ने कहा कि दोनों पक्ष विदेश सचिव स्तर की वार्ता को आयोजित कराने की प्रक्रिया की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. भारत ने ये भी कहा कि कोरोना वायरस के आपातकालीन संकट से सफलतापूर्वक निपटने के बाद वार्ता पर फैसला किया जाएगा.
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भारत के अधिकारिक बयान के बाद नेपाल ने भारत के इस अनुरोध को ठुकरा दिया है. नेपाल सीमा विवाद के मुद्दे पर जल्द से जल्द वार्ता चाहता है. नेपाल के विदेश मंत्री ग्यावली ने भी पुष्टि करते हुए कहा कि नेपाल भारत के साथ बातचीत के लिए कोरोना वायरस संकट के खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकता. अंतरराष्ट्रीय संबंध मामलों की संसदीय समिति के सामने ग्यावली ने कहा कि प्रधानमंत्री या विदेश सचिव, हम भारत के साथ किसी भी स्तर की वार्ता करने के लिए तैयार हैं.
विदेश मंत्री ग्यावली ने कहा कि नेपाल भारत से बातचीत के बाद चीन के साथ भी बातचीत करेगा. ग्यावली ने कहा कि नेपाल, भारत और चीन अभी तक लिपुलेख के ट्राइजंक्शन पर एक निश्चित स्थिति पर नहीं पहुंच सके हैं इसलिए हम भारत से बातचीत के बाद चीन के साथ भी वार्ता करेंगे.
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इसके बाद नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार ने भी कैलाश मानसरोवर लिंक रोड के उद्घाटन को लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, ‘यह दुखद और आपत्तिजनक है कि जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रही है, उस वक्त भारत ने चीन के मानसरोवर के लिए नेपाली क्षेत्र से गुजरने वाली सड़क का उद्घाटन किया. जबकि 4 नवंबर, 2019 में भारत का नया मानचित्र जारी होने के बाद से ही लगातार विदेश सचिव स्तर की वार्ता की मांग की जा रही है लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया.’
बता दें, बीते नवंबर महीने में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद भारत ने देश का नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. इस मानचित्र में कालापानी और लिपुलेक को उत्तराखंड में दिखाए जाने को लेकर भी नेपाल ने विरोध जताया था. नेपाल ने दावा किया कि ये क्षेत्र नेपाली सीमा के भीतर स्थित हैं. हालांकि भारत ने कहा कि नये नक्शे में इसके संप्रभु क्षेत्र का सटीक चित्रण किया गया है और उसने नेपाल के साथ अपनी सीमा में बदलाव नहीं किया है. उसी के बाद से ही नेपाल सीमा विवाद के समाधान के लिए वार्ता करने पर जोर दे रहा है. पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली कैलाश मानसरोवर लिंक रोड को लेकर नेपाल आपत्ति जताते हुए सीमा विवाद सुलझाना चाह रहा है.