लोकसभा चुनाव के परिणाम आए तो मोदी की आंधी में कांग्रेस के 9 पूर्व मुख्यमंत्रियों के किले भी धवस्त हो गए. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा को भी इस लहर में हार का सामना करना पड़ा. वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा को बीजेपी के रमेश कौशिक ने सोनीपत सीट पर करारी हार का स्वाद चखाया. दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी की इस तुफानी लहर के बावजूद भी बीजेपी सरकार के कई मंत्री चुनाव हार बैठे. इन सीटों के नतीजे वाक्यी में चौंकाने वाले रहे.
गाजीपुरः उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन होने के बावजूद बीजेपी ने प्रदेश में विशाल जीत हासिल की. बीजेपी ने यहां की 80 लोकसभा सीटों में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं उनकी सहयोगी अपना दल ने दो सीटों पर फतह हासिल की. लेकिन इस प्रचंड मोदी लहर में भी देश के रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा चुनाव हार गए. उनको बसपा के अफजाल अंसारी से हार का सामना करना पड़ा. बता दें कि अफजाल अंसारी यूपी के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई हैं. मुख्तार वर्तमान में यूपी की मउ विधानसभा सीट से विधायक है और वह बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में 2004 से जेल में बंद है.
अमृतसरः पंजाब में बीजेपी शुरु से ही अकाली दल की पिछलग्गु रही है. यहां उसके लिए कभी भी ज्यादा संभावनाए नहीं रही. पिछले विधानसभा चुनाव में भी अकाली-बीजेपी गठबंधन को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा था. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह तय था कि इस बार अकाली-बीजेपी गठबंधन के लिए लोकसभा चुनाव में परेशानी होने वाली है. नतीजे भी कुछ ऐसे ही रहे.
मोदी सरकार के दूसरे मंत्री जिनको लोकसभा चुनाव में व्यापक लहर होने के बावजूद हार का सामाना करना पड़ा, वो हरदीपसिंह पुरी रहे. हरदीपसिंह पुरी मोदी सरकार में शहरी विकास मंत्रालय का काम देखते थे. उनको पार्टी ने इस बार अमृतसर संसदीय क्षेत्र से चुनावी समर में उतारा. उनका सामना वर्तमान सांसद गुरजिंदर सिंह औजला से था. हरदीपसिंह को यहां करीब एक लाख मतों से हार का सामना करना पड़ा. 2014 में इसी सीट से बीजेपी के बड़े नेता अरुण जेटली को भी हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मात दी थी.