Politalks.news/Budget2021-22. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 के लिए आम बजट घोषित कर दिया है. बजट 2021-22 में आम आदमी को निराशा हाथ लगी है. आम बजट में किसानों एवं युवाओं को कुछ नहीं मिला. वित्त मंत्री द्वारा पेश किये गए बजट को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने निशाना साधा है. राहुल गाँधी ने जहाँ इस बजट को नरेंद्र मोदी के पूंजीपति मित्रों का बजट बताया, तो सीएम गहलोत ने बताया कि, बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पर रहा, वहीं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट घोषणा को लेकर राहुल गाँधी ने ट्वीट कर निशाना साधा और कहा कि लोगों के हाथों में नकदी डालना भूल गए, मोदी सरकार ने भारत की संपत्ति को अपने कुलीन पूंजीवादी दोस्तों को सौंपने की योजना बनाई है. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आम बजट पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान को केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें थीं लेकिन प्रदेश की जनता को इससे निराशा हुई है. हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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सीएम गहलोत ने पेट्रोल डीजल पर लगाए गए कृषि सेज को लेकर भी निशाना साधा. सीएम गहलोत ने कहा आमजन के लिए इस बजट में बुरी खबरें ही हैं. पेट्रोल-डीजल पर लगे नए सेस लगाकर पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई राहत नहीं दी है. पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर आखिर में आमजन पर आएगा.
वित्त मंत्री द्वारा पेश किये गए बजट में आगामी विधानसभा चुनाव पर खासा फोकर रहा. इसे लेकर सीएम गहलोत ने कहा बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पर रहा. यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है. बजट में बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के लिए कोई नीति नहीं है.
सीएम गहलोत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय FDI के मुखर विरोधी रही भाजपा सरकार में आने के बाद से FDI को बढ़ावा दे रही है जिसकी झलक बजट में भी दिखी. अगर पूर्व में सिर्फ राजनीतिक कारणों से FDI का विरोध करने की जगह देशहित में बीजेपी ने यूपीए का सहयोग किया होता तो इस दिशा में देश और भी आगे होता.
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वहीं राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आम बजट को लेकर कहा कि वित्त मंत्री का बजट भाषण निजीकरण को बैंकिंग, बिजली, बीमा, शिपिंग सहित अनेक क्षेत्रों में बढ़ाने पर केंद्रित है जिसमें दो सरकारी बैंकों के निजीकरण, बंदरगाह प्रबंधन को निजी हाथों में देने, बिजली वितरण में सरकारी कंपनियों के समानांतर निजी कंपनियों को मौका देने के अलावा बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.
सचिन पायलट ने कृषि क्षेत्र में कर्ज की सीमा 15 लाख करोड़ से 16.25 लाख करोड़ को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि राज्यों की सहकारी बैंकों को नाबार्ड से यह राशि भी पिछले वर्षों में समय पर नहीं मिलने के कारण किसानों को परेशानी हुई है. बजट में किसानों के कर्ज, एमएसपी की गारंटी पर कुछ नहीं कहा गया है. पायलट ने एमएसपी की खरीद के सरकारी आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यूपीए सरकार की नीतियों के कारण किसान को एपीएमसी में एमएसपी से अधिक या बराबर मूल्य मिलता था क्योंकि व्यापार और उद्योग-धंधे फल-फूल रहे थे जबकि भाजपा शासन में व्यापार व उद्योग की हालत खराब है.
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पायलट ने कहा कि स्वास्थ्य, पोषण, शहरी जल-जीवन मिशन, शहरी स्वच्छ मिशन को लेकर 5 साल के लिए जो घोषणाएं की गई हैं, उनके क्रियान्वयन हेतु राज्यों के पास संसाधनों की कमी एक बड़ी समस्या होगी. उन्होंने कहा कि बजट से बेरोजगारी कम नहीं होगी क्योंकि नए निवेश को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है.
पायलट ने कहा कि राजस्थान को इस बजट से निराशा ही मिली है क्योंकि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना, लम्बित रेल परियोजनाओं, नए राष्ट्रीय राजमार्गों के बारे में पूरी तरह चुप्पी साधी गई है. वित्तीय घाटे के 9.5 प्रतिशत तक पहुंच जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार की पूंजीगत व्यय की घोषणाएं पूरी होना इसलिए कठिन दिखती हैं कि सरकार ने लोक लुभावन तरीके से पूंजीगत व्यय में 34 प्रतिशत की वृद्धि कर दी जबकि वित्तीय घाटा एफआरबीएम सीमा से 4 प्रतिशत अधिक दिखाया है.
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को आयकर सीमा में किसी प्रकार की छूट न देकर उनके साथ धोखा किया गया है वहीं किसानों, बेरोजगारों, युवाओं और एमएसएमई के लिए बजट में कुछ नया न होने से इस बजट से यथास्थितिवाद ही रहेगा.