मोदी सरकार ने अपनी सरकार बनवाने के लिए पूरे देश की जनता की जान जोखिम में डाल दी: कमलनाथ

बीजेपी एमपी में कांग्रेस सरकार गिराने में लगी हुई थी, यही वजह है कि लॉकडाउन लगाने में 40 दिन की देरी हुई, प्रदेश में बढ़ती कोरोना मरीजों की संख्या पर जताई चिंता, मध्यप्रदेश देश का एकमात्र प्रदेश है जहाँ जितने मरीज़ ठीक हुए हैं लगभग उतनों की ही मृत्यु हो गई है

Cm Kamalnath Shivraj Singh Chauhan 1280x720
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पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. प्रदेश में कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रहा है, अब तक यहां 43 जानें जा चुकी हैं और 565 से ज्यादा संक्रमित सामने आ चुके हैं. बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच एमपी में राजनीती भी अपने उफान पर है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने देश और प्रदेश में बढ़ते कोरोना मरीजों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि बीजेपी एमपी में कांग्रेस सरकार गिराने में लगी हुई थी, यही वजह है कि लॉकडाउन लगाने में 40 दिन की देरी हुई. जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस गंभीर बिमारी को लेकर काफी पहले चिंता व्यक्त की थी. यह बयान देकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने सीधे सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “मैं अपने राज्य मध्यप्रदेश को लेकर भी बेहद चिंतित हूँ, यहां के हालात दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग हैं. यहां प्रजातंत्र के नाम पर एक मुख्यमंत्री मात्र है, न स्वास्थ्य मंत्री है, न गृह मंत्री है, मतलब कैबिनेट ही नहीं है, न ही लोकल बॉडी है. आज इस लड़ाई की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी हैल्थ डिपार्टमेंट की है और मेरे प्रदेश के हैल्थ डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेकेट्री सहित 45 से अधिक अधिकारी खुद कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं.”

कमलनाथ ने बताया कि मध्यप्रदेश वह पहला राज्य है, जहाँ इस जंग में दो डॉक्टरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. इंदौर शहर सबसे ज़्यादा प्रभावित है और राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है. मध्यप्रदेश देश का एकमात्र प्रदेश है जहाँ जितने मरीज़ ठीक हुए हैं लगभग उतनों की ही मृत्यु हो गई है. इस लॉक डाउन का लाभ तब ही होगा जब हम अधिक से अधिक टैस्ट कराएंगे. मध्यप्रदेश में 10 लाख़ लोगों पर मात्र 55 टेस्ट हो रहे हैं जो बेहद चिंता जनक हैं. कमलनाथ ने आगे कहा कि प्रदेश के 20 जिलों में इस महामारी की पहुँच हो चुकी है. सबसे बड़ी चिंता किसानों की है, उनकी फ़सल पक गई है. सरकारी ख़रीद 25 मार्च को चालू हो जानी थी अभी तक उसका कुछ पता नहीं है. रोज़ कमाकर खाने वालों की चिंता है, उन तक मदद नहीं पहुँच रही है.

आज देश के हालात आख़िर ऐसे क्यों बने ये समझना भी ज़रूरी है

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बताया कि सबसे पहले 12 फ़रवरी को राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को कोरोना की महामारी के बारे में आगाह किया था. केंद्र की भाजपा सरकार ने 40 दिन बाद 24 मार्च को लॉक डाउन घोषित किया. तब तक ये महामारी इंडिया में 175 गुना बढ़ चुकी थी.

मोदी सरकार ने लॉक डाउन की 24 मार्च तक प्रतीक्षा क्यों की ?

मोदी सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा करने के लिए 24 मार्च तक का इंतजार क्यों किया, इसका जवाब देते हुए कमलनाथ ने बताया कि उसका एक मात्र कारण था कि वो फ़रवरी माह से ही मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए काम कर रही थी. 23 मार्च को मध्यप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री ने शपथ ली और 24 मार्च से लॉक डाउन घोषित किया गया.

कमलनाथ सरकार गिरने को लेकर पूरा घटनाक्रम

सबसे पहले प्रदेश भाजपा ने अपने केन्द्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर 3-4 मार्च को कांग्रेस सरकार गिराने की पहली कोशिश की, जिसमें कुछ कांग्रेस के और कुछ निर्दलीय विधायकों को दिल्ली ले जाया गया. मगर वे उस कोशिश में कामयाब नहीं हुए. तब दूसरे प्रयास में 8 मार्च को तीन चार्टर प्लेन करके कांग्रेस के 6 मंत्रियों सहित 19 विधायकों को बेंगलुरु के रिसोर्ट में रखा गया. फ़िर 10 मार्च को बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को उन लोगों का इस्तीफ़ा सौंपा.

कमलनाथ ने बताया कि 12 मार्च को ही WHO ने कोरोना को पेंडेमिक घोषित किया अर्थात विश्व की महामारी घोषित कर दिया. इस समय मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 14 मार्च को ही अपने प्रदेश के नागरिकों को इसके बारे में अलर्ट किया और स्कूल, कॉलेज, शॉपिंग मॉल बंद करने की घोषणा की. हमारे साथ 13 और राज्यों ने ऐसी घोषणाएं की थीं. उधर राजस्थान छत्तीसगढ़, उड़ीसा सहित कई राज्यों ने अपने विधानसभा के सत्र स्थगित कर दिए थे. कमलनाथ ने बताया कि जब भाजपा के विधायक और कांग्रेस के भगोड़े विधायक केंद्र के भाजपा नेताओं के आशीर्वाद से कर्नाटक की रिसोर्ट में उत्सव मना रहे थे, तब देश में कोरोना से पहली मौत कर्नाटक में ही हो भी गई थी, अर्थात् मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारी में लगी थी और केंद्र और प्रदेश की भाजपा अपनी सत्ता की भूख मिटाने में लगी थी.

पूर्व सीएम कमलनाथ ने बताया कि हमने अपने बजट सत्र का 16 मार्च से शुरू होने का नोटिफिकेशन पहले ही जारी कर दिया था. मगर हम कोरोना महामारी की गंभीरता को जानते थे. हमने राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद 16 मार्च को ही सत्र 26 मार्च तक स्थगित कर दिया ताकि हम इस गंभीर महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में लग जाएँ. इधर भाजपा सुप्रीम कोर्ट गई. तब भी केंद्र सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करता रहा. आख़िर में कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा ने 23 मार्च को अपना मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में बनवाया और फ़िर 24 मार्च रात 12 बजे से लॉक डाउन घोषित किया. मतलब साफ़ है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी सरकार बनवाने के लिए पूरे देश की जनता की जान जोखिम में डाल दी लेकिन इस लड़ाई में समूची कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी है.

मध्यप्रदेश में केबिनेट के गठन को लेकर कांग्रेस हमलावर तो सांसद तन्खा ने की राष्ट्रपति शासन की मांग

कमलनाथ ने आगे कहा, ‘मैं संक्षेप में कहना चाहता हूं कि केंद्र सरकार ने कोरोना की गंभीरता को समझने में लंबा समय लगा दिया और 40 दिनों के बड़े अंतर के बाद लॉकडाउन जैसा महत्वपूर्ण फैसला लिया. केंद्र सरकार का पूरा ध्यान मध्य प्रदेश की सरकार गिराने में रहा और उन्होंने इतनी बड़ी विपदा को भी नजरअंदाज कर दिया. उस दौरान केंद्र सरकार का ध्यान राज्यसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी के विधायक और नेताओं को अपने पक्ष में करने और सत्ता हथियाने पर था. इस वजह से कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण फैसले लेने में देरी की गई.’

कमलनाथ ने कहा कि आज पूरी दुनिया एक गंभीर महामारी की चपेट में है. दुनिया के सभी देश सामूहिक रूप से भी और अपने-अपने स्तर पर इसका समाधान तलाश रहे हैं. हज़ारों लोग रोज़ इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी इस महामारी से लड़ाई में केंद्र सरकार के साथ है. हम यह लड़ाई ऊँचे हौसले से लड़ रहे हैं. सब मिलकर लड़ रहे हैं. सभी दल अपनी पार्टी के दायरे से ऊपर उठकर एक साथ हैं. हम हर हाल में सब मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे.

गौरतलब है कि लॉक डाउन के कारण मध्य प्रदेश सरकार में मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है. ऐसे में अब विपक्ष ने शिवराज सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक को एक पत्र लिखकर प्रदेश में जल्द केबिनेट के गठन या फिर राष्ट्रपति शासन की मांग की है.

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