मध्यप्रदेश में केबिनेट के गठन को लेकर कांग्रेस हमलावर तो सांसद तन्खा ने की राष्ट्रपति शासन की मांग

संविधान के आर्टिकल 163 में स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होना चाहिए ताकि वह सलाह दे सके. पूरी सरकार केवल मुख्यमंत्री ही हैं, यह ऐसी स्थिति है जब सारा विपक्ष कोरोना के खिलाफ लड़ाई में खड़ा है और मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री ही नहीं है

केबिनेट के गठन को लेकर कांग्रेस हमलावर
केबिनेट के गठन को लेकर कांग्रेस हमलावर

पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. कोरोना के कहर के कारण देशभर में लॉक डाउन जारी है. बात करें मध्यप्रदेश की तो वहां सरकार गठन के दूसरे दिन से लॉक डाउन जारी है और मंत्रिमंडल के रूप में सिर्फ एक खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अकेले हैं जो कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. लॉक डाउन के कारण एमपी में मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है. ऐसे में अब विपक्ष ने शिवराज सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने पर कांग्रेस के सीनियर लीडर, राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक को एक पत्र लिखकर प्रदेश में जल्द केबिनेट के गठन और या फिर राष्ट्रपति शासन की मांग की है. सांसद विवेक तन्खा ने बताया कि संविधान के आर्टिकल 163 में स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होना चाहिए ताकि वह सलाह दे सके.

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा कि, “मध्यप्रदेश में कोरोना की वजह से स्थिति बहुत खराब है, कोरोना की वजह से इंदौर में अन्य शहरों की तुलना में मौत का प्रतिशत बहुत ज्यादा बढ़ गया है जिसके चलते इंदौर को कोरोना हॉटस्पॉट घोषित किया गया है. भोपाल में खुद स्वास्थ्य विभाग के 45 अफसर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. यह प्रशासनिक पतन का पीड़ा है. दूसरे शहरों में भी स्थिति सही नहीं है, वहां भी जांच नहीं हो रही हैं. मुख्यमंत्री ने ब्यूरोक्रेट्स की सलाह पर प्रदेश में एस्मा लगा दिया है. प्रधानमंत्री के आह्वान पर डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी और पूरा विपक्ष इस महामारी से लड़ने के लिए एकजुट है.

सांसद तन्खा ने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोना की वजह से जब इतनी परेशानी हो रही है ऐसी स्थिति में प्रदेश में वन मैन शो चल रहा है. इस वजह से यहां की साढ़े सात करोड़ जनता प्रभावित हो रही है. 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने बिना कैबिनेट के शपथ ली थी, जबकि संविधान के आर्टिकल 163 में स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होना चाहिए ताकि वह सलाह दे सके. पूरी सरकार केवल मुख्यमंत्री ही हैं. यह ऐसी स्थिति है जब सारा विपक्ष कोरोना के खिलाफ लड़ाई में खड़ा है. आज मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री ही नहीं है. इसी के साथ सांसद तन्खा ने राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं, उन्होंने कहा कि राज्यपाल पूर्व में नियमित रूप से फ्लोर टेस्ट के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को डीओ भेजते थे. अगर मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल बनाने में सक्षम नहीं हैं तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए.

बता दें, मध्यप्रदेश में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक 23 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने से वहां सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को शपथ ग्रहण की. इसके बाद 25 मार्च से देशभर में 21 दिनों लॉक डाउन जारी है, जिसके कारण से एमपी में मंत्रिमंडल का विस्तार टल रहा है. हालांकि सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि अभी कैबिनेट में कौन-कौन लोग शामिल होंगे, इसे लेकर माथापच्ची जारी है. अब आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सांसद विवेक तन्खा के राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी के बाद मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन कितने दिन में और किस स्वरूप में होगा.

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