मोदी सरकार ने दिया राजस्थान को बड़ा झटका, मेमू रेल कोच फैक्ट्री सहित एक अन्य प्रोजेक्ट को साफ ना

सोनिया गांधी द्वारा 2013 में शिलान्यास किए गए भीलवाड़ा में मेमू रेल कोच फैक्ट्री लगाने से साफ इनकार करने के साथ ही जैसलमेर-बाड़मेर-कांडला रेल प्रोजेक्टस को भी वित्तीय रूप से गैर जरूरी और गैर वाजिब ठहराकर उस पर काम शुरु करने से मोदी सरकार ने साफ मना कर दिया है

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Politalks.News/Rajasthan. केंद्र की मोदी सरकार ने राजस्थान को बड़ा झटका देते हुए दो बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम करने से साफ इनकार कर दिया है. सोनिया गांधी द्वारा 2013 में शिलान्यास किए गए भीलवाड़ा में मेमू रेल कोच फैक्ट्री लगाने से साफ इनकार करने के साथ ही जैसलमेर-बाड़मेर-कांडला रेल प्रोजेक्टस को भी वित्तीय रूप से गैर जरूरी और गैर वाजिब ठहराकर उस पर काम शुरु करने से केंद्र सरकार ने साफ मना कर दिया है. बता दें, पाली से सांसद पीपी चौधरी और उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा के अतारांकित सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राजस्थान से जुड़े इन दोनों प्रोजेक्ट्स पर काम शुरु करने से साफ इनकार किया है.

सात साल पुरानी रेल बजट की घोषणाओं के बावजूद अब केंद्र ने यूटर्न लेते हुए रेल मंत्रालय ने राजस्थान के दो बड़े प्रोजेक्ट्स पर अब पूर्ण विराम लग गया है. भीलवाड़ा की मेमू कोच फैक्ट्री के सवाल पर रेल मंत्री ने जवाब में लिखा है, कोच फैक्ट्री रेल्वे की ओवरऑल जरूरतों के हिसाब से स्थापित की जाती हैं और मौजूदा रेल कोच फैक्ट्रियों की पिछले कुछ वषों में उत्पादकता और उत्पादन क्षमता बढ़ने के बाद वर्तमान में भीलवाड़ा में अतिरिक्त कोच प्रोडक्शन यूनिट की कोई आवश्यकता नहीं है.

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गौरतलब है कि भीलवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री का काम शुरु करने को लेकर अशोक गहलोत अभी मुख्यमंत्री रहते हुए और पहले पांच साल विपक्ष में रहते हुए भी केंद्र से मांग करते रहे हैं. इसी के चलते सीएम गहलोत कई बार मोदी सरकार पर राज्य के साथ भेदभाव करने और प्रोजेक्ट्स लटकाने के आरोप लगा चुके हैं. अब मेमू कोच फैक्ट्री प्रोजेक्ट को लेकर साफ इनकार करने के बाद मोदी सरकार के खिलाफ सियासी बयानबाजी तेज होना तय है.

आपको बता दें, यूपीए राज में सोनिया गांधी ने 22 सितंबर 2013 को भीलवाड़ा के रूपाहेली में मेमू कोच फैक्ट्री (मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट कोच फैक्ट्री) का शिलान्यास किया था. उस समय सीपी जोशी केंद्रीय रेल मंत्री और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. 25 फरवरी, 2013 को फैक्ट्री की स्थापना के लिए रेलवे और भेल के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे और 21 सितंबर, 2013 को रेल मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच एमओयू हुआ था. मेमू कोच फैक्ट्री की रूपाहेली में 22 सितंबर, 2013 को नींव रखी गई थी और 2013-14 के रेल बजट में इस प्रोजेक्ट की मंजूरी दी गई थी.

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1293 बीघा जमीन पर सात साल से है रेल्वे का कब्जा

रेल्वे कोच फैक्ट्री के लिए तत्कालीन गहलोत सरकार ने 1292.14 बीघा जमीन रूपाहेली क्षेत्र में आवंटित की थी, जिसके बाद रेलवे ने यह जमीन अपने कब्जे में ले ली थी, इसी जमीन पर शिलान्यास भी हो गया था. अब केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट का काम आगे बढ़ाने से इनकार करने के बाद भीलव़ाड़ा में रेल कोच फैक्ट्री लगने की संभावनाएं फिलहाल खत्म हो गई हैं. 2013 की डीपीआर के मुताबिक यह 800 करोड़ का प्रोजेक्ट था.

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वायबल नहीं है जैसलमेर-बाड़मेर-कांडला रेल प्रोजेक्ट

पाली सांसद पीपी चौधरी के अतारांकित सवाल के जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लिखित उत्तर में बताया कि जैसलमेर-बाड़मेर-कांउला रेल प्रोजेक्ट से भी रेल मंत्रालय ने हाथ खड़े कर दिए है. सवाल के जवाब में लिखा है कि जैसलमेर और बाड़मेर पहले से ही ब्रॉड गैज लाइन से कांडला पॉर्ट से जुड़े हुए हैं. जैसलमेर से बाड़मेर और बाड़मेर से भाभर तक 2012-13 में सर्वे पूरा हो चुका है. पहले से कनेक्टिविटी है और यह प्रोजेक्ट वित्तीय रूप से वायबल नहीं है, इसलिए इस प्रोजेक्ट को हाथ में नहीं लिया जाएगा.

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