बंगाल में BJP को वोट न देने की अपील के साथ शुरू हुआ किसान नेताओं का अभियान, नंदीग्राम में सभा आज

किसान संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने अब पश्चिम बंगाल पहुंचकर भाजपा के खिलाफ खोला मोर्चा, शुक्रवार से सिलसिलेवार तीन दिन तक किसान नेता महापंचायतें, रैलियां, जनसभाएं आदि के जरिए नए कानूनों को लेकर भाजपा की घेराबंदी करेंगे और बंगाल की जनता से भाजपा को वोट नहीं देने की करेंगे अपील

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Politalks.News/WestBengalElection. केन्द्र के तीनों कृ़षि कानूनों के विरोध में उठी आग अब दिल्ली और उसके आस-पास के राज्यों से दूर यानी चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है. 100 दिनों से ज्यादा समय से दिल्ली की लगभग सभी सीमाओं पर डटे किसान संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने अब पश्चिम बंगाल पहुंचकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शुक्रवार से सिलसिलेवार तीन दिन तक किसान नेता महापंचायतें, रैलियां, जनसभाएं आदि के जरिए नए कानूनों को लेकर भाजपा की घेराबंदी करेंगे और बंगाल की जनता से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करेंगे. हालांकि ये किसान नेता किसी एक दल का समर्थन नहीं देने की राह पर है, हां लेकिन उनका मकसद भाजपा को टक्कर देने वाले दूसरे दल के प्रत्याशी को जिताना है. इसमें पश्चिम बंगाल चुनाव की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम विधानसभा सीट भी शामिल है जहां से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं.

भाजपा के खिलाफ किसान संगठनों की यह रणनीति बंगाल चुनाव पर कितना असर डालती है यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन किसानों के इस सियासी कदम से भाजपा नेताओं को आशंकित कर दिया है. किसानों के बंगाल में पहुंचने से तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, वामदलों के नेताओं ने अपने-अपने गुणाभाग करने शुरू कर दिए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा 12 से 14 मार्च के बीच बंगाल की राजधानी कोलकाता, नंदीग्राम, सिंगुर, आसनसोल में निरंतर एक के बाद एक रैलियां, रोड शो, किसान महापंचायतें, जनसभाएं करेगा. इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के नेता स्थानीय मीडिया के जरिए भी अपनी बात आम जनता तक पहुंचाएंगे.

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आपको बता दें, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को घेरने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेताओं में राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरुनाम सिंह चढूनी, हन्नान मुल्ला, युद्ववीर सिंह के अलावा मेघा पाटकर, योगेद्र यादव जैसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है. ये नेता बंगाल के शहरों, कस्बों और गांवों में जाकर किसानों के अलावा मजदूर व गरीबों को कृषि कानून से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे. इस दौरान होने वाली जनसभाओं व महापंचायतों में अब तक दो सौ से अधिक आंदोलनरत किसानों की मौत के मुद्दे को उठाकर मोर्चा के नेता भाजपा को कठघरे में खड़ा करेंगे.

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गौरतलब है कि दिल्ली से पहुंचे किसान नेताओं ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. यहां किसान नेताओं ने कहा कि वह किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि बंगाल चुनाव में अगर बीजेपी हार जाती है तो उसका घमंड टूट जाएगा और फिर किसानों की बात मानी जाएगी. किसान एकता मोर्चा ने अपने एक ट्वीट में लिखा, “हमारे किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ‘नो वोट टू बीजेपी‘ के तहत अभियान शुरू कर दिया है. हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे उस पार्टी के खिलाफ खड़े हों, जो किसान विरोधी कानून लाती है.”

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आपको बता दें, शनिवार को यानी आज बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल विधानसभा सीट नंदीग्राम में संयुक्त किसान मोर्चा किसान महापंचायत करेगा. जानकारों का कहना है कि किसान नेताओं द्वारा भाजपा के खिलाफ महौल बनाने से इसका असर चुनाव पर पड़ेगा. संयुक्त मोर्चा बंगाल के अलावा असम, केरल, तमिलनाडु में भी भाजपा के खिलाफ किसान पंचायत करने की योजना बना रहा है, इसके बारे में जल्द ही घोषणा हो सकती है. वहीं किसान संघों ने 26 मार्च को अपने आंदोलन के चार महीने पूरे होने के मौके पर भारत बंद का आह्वान किया है. इसके अलावा 28 मार्च को होलिका दहन के दौरान नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का भी निर्णय लिया है.

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