रमेश मीणा के बाद पायलट समर्थक दो ओर विधायकों ने खोला मोर्चा, आलाकमान से करेंगे शिकायत

रमेश मीणा के बाद पायलट समर्थक मुरारी मीणा और वेदप्रकाश सोलंकी ने भी लगाए विधानसभा में सीट आवंटन और विकास कार्यों में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव के आरोप, रमेश मीणा ने राहुल गांधी द्वारा भी सुनवाई नहीं करने पर दी इस्तीफे की धमकी, तो मुरारी मीणा ने कहा हम हाईकमान और मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और अपनी बात कहेंगे, आखिर मंत्रियों को मनमानी का हक किसने दिया?

रमेश मीणा के बाद पायलट समर्थक दो ओर विधायकों ने खोला मोर्चा
रमेश मीणा के बाद पायलट समर्थक दो ओर विधायकों ने खोला मोर्चा

Politalks.News/Rajasthan. कुछ महीनों की शांति के बाद प्रदेश में एक बार फिर सियासी भूचाल आने की संभावना बनती नजर आ रही है. सचिन पायलट समर्थक विधायकों ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ अनदेखी और भेदभाव के आरोप लगाए हैं. वहीं पूर्व मंत्री और करौली से कांग्रेस विधायक रमेश मीणा ने तो सुनवाई नहीं होने पर इस्तीफे की धमकी भी दे दी है. रमेश मीणा ने गहलोत सरकार पर एससी, एसटी और माइनॉरिटी विधायकों के इलाकों में बजट देने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा, ‘जिस तरह प्रदेश में SC,ST और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव किया जा रहा है, वह ठीक नहीं है. मैं अपनी समस्याओं को लेकर राहुल गांधी से मिलूंगा. मैंने मुलाकात का वक्त मांगा है और अगर वहां भी सुनवाई में हमारी समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ तो मैं इस्तीफा देने से भी पीछे नहीं हटूंगा.’ रमेश मीणा के अलावा पूर्व मंत्री और दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा और चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी विधानसभा में सीट आवंटन और विकास कार्यों में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया है.

बता दें, अभी दो दिन पहले ही विधायक रमेश मीणा ने विधानसभा में एससी-एसटी और अल्पसंख्यक विधायकों को सदन में बोलने नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि जानबूझकर इन वर्गों से जुड़े विधायकों को विधानसभा में ऐसी जगह बैठाया, जहां माइक ही खराब या बंद पड़े हैं. वहीं आज सुबह विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में रमेश मीणा ने कहा अब मुख्य सचेतक ठण्डे छींटे देकर मामले को शांत करना चाह रहे हैं. बिना माइक की सीट देना कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है. हम विधायक हैं और अगर हमें अपने क्षेत्र के मुद्दों को विधानसभा में ही रखने नहीं दिया जाएगा तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है? इस दौरान विधायक मीणा ने गहलोत सरकार को घेरते हुए राहुल गांधी से शिकायत करने और सुनवाई नहीं होने पर इस्तीफा देने की बात कही. इसके अलावा रमेश मीणा ने कहा कि राज्यसभा के चुनावों में भी हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाई थी, लेकिन तब भी उन समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ था.

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विधायक रमेश मीणा ने अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर अनदेखी के आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘आज जो मंत्री बने बैठे हैं वे अमीन खां, बाबू लाल बैरवा जैसे वरिष्ठ विधायकों तक की सुनवाई नहीं कर रहे. मंत्रियों से मिलने के लिए जब विधायक जाते हैं तो वे कोई न कोई बहाना बनाकर उनसे मिलते नहीं है. आज जब मंत्री ही विधायकों से नहीं मिल रहे तो मुख्यमंत्री की तो दूर की बात है.’ इसके साथ ही विधायक मीणा ने गहलोत सरकार पर बजट में भी एससी, एसटी विधायकों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 3 साल का बजट उठाकर देख लीजिए. एससी, एसटी विधायक जहां से आते हैं उन्हें अब तक क्या मिला है? और कोटा, जोधपुर में क्या मिला है? यहां रमेश मीणा ने नाम लिए बिना सीएम अशोक गहलोत के साथ यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को भी निशाने पर लिया.

वहीं मीडिया द्वारा मंत्री बनने के लिए दबाव बनाने के सवाल पर रमेश मीणा ने कहा- मंत्री तो मैं पहले ही था और अगर मंत्री पद का ही मोह होता तो उस वक्त भी चुप रह सकता था और इनके चिपका रहता. लेकिन हम हमारे लोगों के साथ भेदभाव पर चुप नहीं रह सकते. मुझे मंत्री नहीं बनना, मैं कांग्रेस को कमजोर करने वाली हरकतों के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं. आप कांग्रेस की बैकबोन वाले वर्गों के विधायकों को विधानसभा में बोलने नहीं दो. मंत्री उनसे मिले नहीं. उनसे बदतमीजी से बात करें तो कांग्रेस को कमजोर करने का इससे बड़ा कृत्य क्या हो सकता है?

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इसके साथ ही एक बार फिर अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए विधायक रमेश मीणा ने कहा कि सरकार सदन में माइक व्यवस्था ठीक नहीं होने में भी खर्चा देख रही है. बजट में जब टेबलेट और ब्रीफकेस बांटे तब खर्चा नहीं देखा गया. थोड़ा खर्चा करके अगर माइक व्यवस्था को ठीक करवा ले तो क्या हो जाएगा? आज जिन लोगों को टेबलेट दिए हैं उनमें से 20% भी उसे चलाना नहीं जानते. अगर टेबलेट दिया है तो फिर ब्रीफकेस देने की जरूरत क्यों आ पड़ी?

विधायक रमेश मीणा के बाद सचिन पायलट समर्थक दो ओर विधायकों मुरारी लाल मीणा और वेद प्रकाश सोलंकी ने मीडिया से बात करते हुए अपनी ही सरकार सवाल उठाए. इससे पहले विधायक रमेश मीणा के इस्तीफे की धमकी पर दौसा विधायक मुरारी मीणा ने कहा कि, यह उनकी अपनी व्यथा है, लेकिन यह बात सही है कि हम परेशान तो हैं. हमारे साथ शुरू से ही भेदभाव हो रहा है. इसे लेकर हमने कई बार मुख्यमंत्री और पार्टी स्तर पर भी अपनी आवाज उठाई है. मेरे क्षेत्र में विकास तो हुआ है, इसे तो मैं नकार नहीं सकता लेकिन सरकार और विधानसभा क्षेत्र में बहुत से लोगों के काम नहीं हो रहे हैं.

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मुरारी मीणा ने आगे कहा कि, हमारे नेता एससी, एसटी और माइनॉरिटी को कांग्रेस की बैकबोन मान रहे हैं. लेकिन कांग्रेस की बैकबोन को विधानसभा, सरकार और पार्टी स्तर पर कमजोर किया जा रहा है. बहुत से मंत्री-पदाधिकारी ऐसे हैं जो एससी-एसटी विधायकों को इग्नोर करते हैं. उनके क्षेत्रों में काम नहीं करते. मेरे इलाके में मुझसे पूछे बिना थानेदार से लेकर कई अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग की गई. मंत्रियों के इन कारनामों से पार्टी कमजोर हो रही है. हम हाईकमान और मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और अपनी बात कहेंगे, आखिर मंत्रियों को मनमानी का हक किसने दिया?

वहीं चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि, यह केवल विधायकों की ही नहीं पूरे राजस्थान के एससी, एसटी और माइनॉरिटी समाज का सवाल है. सदन में कुछ तथाकथित लोगों को ही बोलने का मौका दिया जाता है. सदन में आगे सीट देने में वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा. क्या हमारे दलित वर्ग के विधायक बोलना नहीं जानते? एक तरफ आप एससी, एससटी और माइनॉरिटी को कांग्रेस की बैकबोन बता रहे हो और दूसरी तरफ इनके विधायकों को कमजोर कर रहे हो, दोनों चीजें चलेंगी नहीं. सोलंकी ने कहा कि जिन 50 लोगों को बिना माइक वाली सीटों पर बैठाया है उनमेंं से अधिकांश एससी-एसटी-माइनॉरिटी के हैं. इनके खून पसीने की मेहनत से यह सरकार बनी है. यह जांच का विषय है, जिन 50 लोगों के पास माइक नहीं है उन लोगों मेंं कौन हैं? उनकी लिस्ट सार्वजनिक करनी चाहिए. महेश जोशी यह साफ करें कि सिटिंग अरेंजमेंट का क्राइटेरिया क्या है?

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