Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में गहराते है रहे बिजली संकट पर प्रमुख विपक्षी पार्टी गहलोत सरकार पर लगातार हमलावर है. विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि कहा कि त्यौहारी सीजन में विद्युत की मांग सबसे ज्यादा होती है, लेकिन राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण थर्मल पावर प्लांटों में कोयला आपूर्ति नहीं होने के कारण प्रदेश में उत्पन्न अभूतपूर्व बिजली संकट की मौजूदा स्थिति के लिए ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला जी को तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा दे देना चाहिए.
बीजेपी नेता एवं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत एवं ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला एक ओर जहां 24 हजार 690 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ राजस्थान को विद्युत क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का दंभ भरकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश में सर्वाधिक बिजली उत्पादन करने वाले राजस्थान में एक बार फिर सरकारी कुप्रबंधन की वजह से समय पर कोयले की आपूर्ति नहीं होने के कारण अरबों रुपये की लागत से बने अधिकतर थर्मल पावर प्लांट बंद होने के कगार पर हैं.
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बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समय पर कोल कंपनियों को भुगतान नहीं करने तथा कुप्रबंधन के कारण हुई कोयले की कमी से राजस्थान में सूरतगढ़ थर्मल की 250-250 मेगावट की 5 यूनिट बंद हैं तथा तकनीकी कारणों से छबड़ा की 660 मेगावाट की 1 यूनिट, कालीसिंध की 600 मेगावाट की 1 यूनिट और छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 3 यूनिट बंद हैं.
राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि राज्य में बिजली वितरण कम्पनियों को समय पर बकाया भुगतान नहीं कराए जाने से उत्पन्न कोयले संकट के लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार है. राज्य सरकार की अकर्मण्यता के कारण प्रदेश में एक बार फिर से विद्युत सिस्टम हांफने लगा है और गांवों-शहरों में अघोषित बिजली कटौती से अधिकतर आबादी अंधकार की चपेट में है.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि डिस्कॉम कोल आपूर्ति करने वाली कंपनियों को तय अनुबंध के तहत समय पर भुगतान नहीं कर पा रहा है जिस वजह से एक बार पुनः सरकार एक्सचेंज से विद्युत खरीदने के लिए अधिकतम खरीद दर की सीलिंग हटानी पड़ रही है. सरकारी कुप्रबंधन के कारण विद्युत उत्पादन करने वाले प्लांट तो बंद करने पड़ रहे हैं और एक्सचेंज से 20 रुपये प्रति यूनिट यानी कई गुणा महंगी दरों से बिजली खरीदी जा रही है जिसका भार अंततः प्रदेश के 1.52 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा.
पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में सर्वाधिक महंगी बिजली राजस्थान में वसूली जा रही है. स्थायी शुल्क और वेरिएबल कोस्ट के नाम पर विद्युत उपभोक्ताओं पर पहले से ही अनावश्यक भार लादा जा रहा है और अब प्रदेश में उत्पन्न बिजली के अभूतपूर्व संकट से यह निश्चित है कि एक बार फिर सरकार बिजली दरों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी कर विद्युत उपभोक्ताओं की जेब ढीली कर अपनी तिजोरी भरने का काम करेगी.
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राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि वर्तमान में त्यौहारी सीजन में विद्युत की मांग सबसे ज्यादा होती है लेकिन राज्य सरकार के कुप्रबंधन की वजह से व्यापारी वर्ग और आमजन त्रस्त है. सरकार को त्यौहारी सीजन में बिजली डिमांड का पूर्वानुमान लगाकर पर्याप्त मात्रा में कोयले की व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी लेकिन सरकारी स्तर पर अव्यवस्थाओं का आलम इस कदर है कि विगत 3 महीनों में दूसरी बार प्रदेश बिजली संकट से जूझ रहा है.