‘राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने पर नाराज थे डॉ.मनमोहन सिंह, देना चाहते थे इस्तीफा’

6 साल पहले का है घटनाक्रम, तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष अहलूवालिया ने अपनी नई पुस्तक में किया वृतांत का उल्लेख, राहुल गांधी ने बताया था विवादित अध्यादेश

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. यूपीए सरकार में तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की किताब ‘बैकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स‘ ने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया. ये इस बारे में है कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक आर्डिनेंस को फाड़ने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने पीएम पद से इस्तीफा देने के बारे में सोचा था. उस समय राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के फैसले को बकवास करार देते हुए अधिनियम के दस्तावेजों की प्रति को फाड़ कर फेंक दिया था. घटनाक्रम 2013 में यूपीएक शासनकाल का है.

अहलूवालिया ने रविवार को अपनी नई किताब ‘बैकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स’ में दिए तथ्यों का जिक्र करते हुए बताया कि उस समय अपनी ही सरकार के लिए खासी शर्मिदगी उठा रहे डॉ.मनमोहन सिंह सरकार के लाए अधिनियम को राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके फाड़ डाला था. उस समय डॉ.मनमोहन सिंह और अहलूवालिया दोनों अमेरिका दौरे पर थे. तब पीएम डॉ.मनमोहन सिंह ने उस समय के योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से पूछा था, ‘क्या मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए?’ मीडिया में भी इस खबर पर काफी हो हल्ला हुआ था. यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर यूपीए सरकार की ओर लाया गया था. इसमें दोषी सांसदों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल के लिए सरकार अध्यादेश लेकर आई थी. तब अहलूवालिया ने डॉ.मनमोहन सिंह से कहा था कि ऐसे समय में उनका इस्तीफा देने ठीक नहीं होगा.

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इसके बाद डॉ.मनमोहन सिंह ने अमेरिका से स्वदेश लौटने पर अपने इस्तीफे की अटकलों से साफ इनकार कर दिया. हालांकि इस पूरे प्रकरण पर नाराज जरूर थे. अपनी पुस्तक में अहलूवालिया ने उस दौर को याद करते हुए लिखा, ‘मैं उस समय न्यूयार्क में प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा था. मेरे भाई संजीव, जो आइएएस पद से रिटायर हो चुके हैं, ने मुझे फोन करके बताया कि उसने एक लेख लिखा है जो पीएम के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने मुझे वह लेख ई-मेल किया और पूछा कि यह उन्हें शर्मसार करने वाला तो नहीं है?’

यह लेख अहलूवालिया के भाई का होने के नाते मीडिया में बेहद चर्चा में रहा था. आगे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने किताब में लिखा, ‘मैंने पहला काम यह किया कि उस लेख का टेक्सट लेकर मैं पीएम के स्वीट में गया. मैं चाहता था कि इसके बारे में सबसे पहले वह मेरे मुंह से सुनें. उन्होंने उसे शांति से पढ़ा और कोई टिप्पणी नहीं की. फिर एकाएक उन्होंने पूछा, ‘क्या वह सोचते हैं कि मैं इस्तीफा दे दूं?’ इस पर मोंटेक ने कहा कि मेरे विचार से इस मुद्दे पर इस्तीफा देना उपयुक्त नहीं होगा. फिर मैंने यह सोचा कि क्या मैं उनसे वह कह रहा हूं जो वह सुनना चाहते हैं. हालांकि मैं मानता हूं कि मैंने उन्हें सही सलाह दी थी’.

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