नया डेथ वारंट हुआ जारी, 3 मार्च को सुबह 6 बजे होगी दोषियों को फांसी! निर्भया की मां ने जताई चिंता

सात साल से इंसाफ मांग रहा देश और बिलख रहा निर्भया का परिवार, जारी हो चुका है तीसरा डेथ वॉरंट लेकिन फांसी पर संशय बरकरार, कानूनी विकल्पों के जरिए पहले 2 बार टाली जा चुकी है फांसी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. खैर.. इंतजार की घड़ियां खत्म होते दिख रही हैं. नए डेथ वारंट के तहत आगामी 3 मार्च को सुबह 6 बजे निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा, जिससे इस तरह के जघन्य अपराध की विकृत मानसिकता वाले अपराधियों में भय व्याप्त होगा. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वॉरंट सोमवार को जारी कर दिया है, ये तीसरा डेथ वॉरंट है. वहीं निर्भया की मां ने तीसरा डेथ वारंट जारी होने पर खुशी तो जाहिर की लेकिन साथ ही यह भी कहा कि बहुत ज्यादा खुश नहीं हूं, उम्मीद है इस बार दोषियों को फांसी हो ही जाएगी.

कहीं फिर अड़चन न बन जाए कानूनी विकल्प

निर्भया की मां की इस आधी अधूरी खुशी के साथ चिंता का बड़ा कारण है पवन गुप्ता की बची हुई क्यूरेटिव और राष्ट्रपति के पास भेजे जाने वाली दया याचिका और फिर अगर दया याचिका हो जाए खारिज तो उसके खिलाफ लगने वाली सुप्रीम कोर्ट की याचिका है.

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जी हां बता दें, निर्भया के चारों दोषियों में से अब केवल पवन गुप्ता के पास ही सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव दाखिल करने और राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प शेष है. अन्य तीन दोषियों की तरह ही पवन गुप्ता की दया याचिका पारित होने की उम्मीद भी न के बराबर है. लेकिन ऐसे में पवन के पास दया याचिका खारिज किए जाने को लेकर फिर से सुप्रीम कोर्ट जाने का एक विकल्प और होगा. उसके बाद सभी दोषियों के पास बचने के सारे विकल्प खत्म हो जाएंगे. लेकिन ऐसा तब ही सम्भव है जब पवन के लिए बचे ये सारे विकल्प 3 मार्च से पहले पहले खत्म हो जाएं. ऐसे में दोषियों के किए तीसरा डेथ वारंट भले ही जारी हो चुका है लेकिन फांसी अभी भी तय नहीं मानी जा सकती.

निर्भया

यही वजह है कि पवन के वकील मौत की तारीख करीब आने का इंतजार कर रहे हैं. ऐन वक्त पर पहले सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका और बाद में राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी जाएगी. अगर दोनों याचिका खारिज होती है तो फिर से दया याचिका खारिज करने को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी. ऐसे में फांसी लटकने के आसार फिर से हैं. पवन के वकील दया याचिका लगाने की बात भी कह चुके हैं.

पहले के 2 डेथ वारंट इसी तर्ज पर टलवाए हैं दोषियों ने

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में मौत की सजा पाए दोषी विनय कुमार की याचिका हाल में खारिज कर दी. विनय कुमार ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी. जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने विनय कुमार शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें दया याचिका खारिज करने के आदेश की न्यायिक समीक्षा का कोई आधार नहीं है. साथ ही इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है.

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इससे पहले अन्य दोषी अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विनय शर्मा सहित पवन गुप्ता ने फांसी टालने और वक्त जाया करने की पूरजोर कोशिश की. इसी का नतीजा है कि सात साल से अधिक का समय निकल गया. यही नहीं, दो बार डेथ वॉरंट जारी होने के बाद भी फांसी टल गई. सबसे पहले 22 जनवरी को चारों को फंदे से लटकाने का फैसला आया लेकिन दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी टल गई. दूसरी बार एक फरवरी को सुबह 6 बजे दोषियों के लिए मौत का फरमान फिर जारी हुआ लेकिन इस बार भी एक दोषी की दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी टल गई.

इंसाफ में लगातार हो रही देरी के चलते निर्भया की मां आशा देवी की आस भी धीरे धीरे शिथिल होती जा रही है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट में चारों दोषियों के अलग अलग फांसी देने पर सुनवाई चल रही है, जिस पर आगामी 20 फरवरी को सुनवाई होनी है. बता दें, इससे पहले हाईकोर्ट ने चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी पर लटकाए जाने से इंकार कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान आशा देवी ने कोर्ट में कहा था ‘मामले को 7 साल हो चुके हैं. मैं भी इंसान हूं. मेरे अधिकारों का क्या होगा? मैं आपके सामने हाथ जोड़ती हूं, कृपया डेथ वॉरंट जारी कर दीजिए’. इसके बाद वे कोर्ट में रो पड़ी थीं लेकिन फैसला उनके पक्ष में नहीं आया.

अब हालात ये हैं कि जेल प्रशासन तैयार है और जल्लाद भी. यहां तक की निर्भया केस की वकील सहित कई अन्य लोग खुद दोषियों को फांसी देने के लिए तैयार हैं. मामला भावनाओं से जुड़ा होने के चलते अनुभवी जल्लाद को मेरठ से बुलाया गया है. फांसी देने के लिए उत्तर प्रदेश जेल विभाग की ओर से एक जल्लाद उपलब्ध करा दिया गया है. बस इंतजार है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का. वहीं, माना तो यही जा रहा है कि पवन गुप्ता और उसके वकील इस मामले को कुछ दिन और लटकाने की फिराक में हैं ताकि बचने का कोई और उपाय ढूंढा जा सके. यही वजह है कि पवन ने अपने लिए नए वकील की मांग की है जिसे स्वीकार भी कर लिया गया है.

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अन्य तीन के दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने और क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के बाद भी पवन ने अभी तक दया याचिका नहीं भेजी है. चूंकि नया डेथ वारंट आ चुका है, ऐसे में पहले की तरह फांसी से केवल चंद दिनों पहले क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका भेजने का प्रोसेस किया जाना पक्का है. निश्चित तौर पर पहले क्यूरेटिव फिर दया याचिका भेजी जाएगी और उसके तुरंत बाद फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका रद्द होने के लिए याचिका दाखिल होगी. जब ये संपूर्ण प्रकिया पूर्ण होगी, उसके बाद ही दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा, ऐसा हमारा मानना है. उम्मीद यही है कि 3 मार्च तो आंशिक है लेकिन आगामी एक महीने के अंदर अंदर देश निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे से लटकते हुए देखेगा.

गौरतलब है कि, 16 दिसम्बर, 2012 की एक काली रात. एक चलती हुई बस और सवार थे इंसान के वेश में 6 दरिंदे, एक युवती और उसका दोस्त. उस बस के अंदर हुआ हैवानियत का वो नंगा नाच जिससे देश कांप उठा और मानवता थरथरा उठी. सामुहिक दुष्कर्म के बाद युवती को कड़ी ठंड में चलती बस से फेंक दिया गया. जिसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी. दोषी पकड़े जा चुके हैं लेकिन पिछले सात सालों से निर्भया की मां सहित निर्भया के परिवार और पूरे देश को इंसाफ का इंतजार है.

गौतरलब है कि छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी किशोर था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था, शेष चार दोषी तिहाड़ जेल में कैद हैं.

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