निर्भया के आरोपियों को फांसी देने के लिए नहीं है जल्लाद, निर्भया की वकील सहित कई व्यक्तियों ने जताई जल्लाद बनने की इच्छा

राष्ट्रपति से क्षमा याचिका नामंजूर होते ही कोर्ट निकालेगी ब्लैक वॉरंट, उसके बाद तय होगी फांसी की तारीख लेकिन तिहाड़ जेल में नहीं है कोई जल्लाद

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास से क्षमा याचिका नामंजूर होते ही दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप कांड (Nirbhaya Case) के दोषियों को कभी भी फांसी दी जा सकती है. इसी के चलते चारों दोषियों में से एक दोषी पवन को मंडोली जेल से तिहाड़ जेल शिफ्ट कर दिया गया है. देश की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल में इस फांसी को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई है, लेकिन ये हलचल फांसी को लेकर नहीं बल्कि किसी अन्य वजह से है. दरअसल जेल प्रशासन के पास फांसी देने वाले जल्लाद नहीं हैं. चूंकि दोषियों को कोर्ट द्वारा ब्लैक वॉरंट जारी किए जाने के बाद फांसी की तारीख तय हो जाएगी, उससे पहले जेल प्रशासन फांसी को अमलीजामा पहनाने वाले जल्लाद की खोजबीन में जुटा हुआ है. फांसी देने के लिए जरुरी विकल्पों पर काम किया जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार, तिहाड़ जेल प्रशासन निर्भया दोषियों की फांसी (Nirbhaya Case) के लिए पश्चिम बंगाल के अलीपुर स्थित सेंट्रल जेल से संपर्क करने की तैयारी में है. इसी जेल में धनंजय चटर्जी को फांसी के फंदे पर लटकाने का कार्य जल्लाद ने किया था. याद दिला दें, धनंजय ही वह शख्स था, जिसे दुष्कर्म के बाद हत्या जैसे संगीन मामले में देश में आखिरी बार जल्लाद द्वारा फांसी दी गई थी.

ऐसा नहीं है कि धनंजय के बाद किसी को अब तक फांसी नहीं दी गई बल्कि गौर करने वाली बात ये है कि धनजंय के बाद जिसको भी फांसी दी गई यानी उनको फंदे पर लटकाने का काम किसी जल्लाद ने नहीं बल्कि जेल के किसी कर्मचारी ने किया. 2012 में आतंकी कसाब को महाराष्ट्र के पुणे स्थित यरवडा जेल में फांसी पर लटकाया गया और ये काम जेल के एक कांस्टेबल ने किया. इसी तरह संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरू को 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया गया और जेल के ही एक कर्मचारी ने इस काम को अंजाम दिया. देश में चार साल पहले आखिरी बार जिस कैदी को फांसी दी गई, वह मुंबई बम धमाके का दोषी याकूब मेमन था जिसे 2015 में महाराष्ट्र के नागपुर सेंट्रल जेल में कांस्टेबल ने फंदे से लटकाया.

यह भी पढ़ें: नागरिकता संशोधन बिल पर संसद से सड़क तक बवाल, सबसे ज्यादा विरोध असम में

तिहाड़ जेल से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अक्सर फांसी की सजा सुनाई नहीं जाती क्योंकि ये रेयरेस्ट ऑफ द रेयर अपराधों के लिए ही मुकर्रर सजा है. ऐसी परिस्थिति में एक फुल टाइम जल्लाद की नियुक्ति नहीं की जा सकती. इस नौकरी के लिए अब कोई शख्स जल्दी से तैयार भी नहीं होता. पिछली बार अफजल की फांसी के समय में भी जल्लाद की कमी हुई थी. उस वक्त जेल के ही एक कर्मचारी ने फंदा खींचने के लिये अपनी सहमति दी थी.

ऐसे में देश में अब तक तीन व्यक्ति सामने आए हैं जो निर्भया के दोषियों को फंदे से लटकाने के लिए खुद ही जल्लाद बनने को तैयार हैं. इनमें से एक है शिमला के एक सब्जी विक्रेता रवि कुमार, जिन्होंने बकायदा देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर तिहाड़ जेल में अस्थायी जल्लाद के रूप में नियुक्त मांगी है ताकि निर्भया के दोषियों को जल्द ही फांसी दी जा सके और उसकी आत्मा को शांति मिल सके. दूसरा नाम है योगिता भयाना जो हैवानों को खुद फांसी पर लटकाना चाहती हैं. योगिता निर्भया की वकील भी रही हैं. योगिता भयाना दिल्ली-एनसीआर में रेप पीड़िताओं की सहायता के लिए पीपुल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया (परी) अभियान चलाती हैं.

योगिता भयाना ने (Nirbhaya Case) दोषियों को फांसी देने के लिए दिल्ली पुलिस और तिहाड़ जेल प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि अगर आपको जल्लाद नहीं मिल रहा है तो मैं इस काम के लिए तैयार हूं और मुझे आप ट्रेनिंग दे सकते हैं. इस संबंध में उन्होंने एक ट्वीट भी किया है जिसमें लिखा है, ‘मैं इन दरिंदों को खुद फांसी देने के लिए बिना किसी भय और बिना किसी शर्त के तैयार हूं. मुझे मौका देे. में उन हैवानों को फांसी देने के लिए मैं तैयार हूं. निर्भया के न्याय के लिए लड़ने वाली मेरी लंबी लड़ाई का यह सुखद अंत होगा’.

इसी तरह निर्भया कांड (Nirbhaya Case) के इन पापियों को फांसी देने के लिए ओंकारेश्वर के रहने वाले एक पूर्व फौजी भी जल्लाद बनने के लिए तैयार हैं. इसके लिए पूर्व फौजी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपील कर कहा है कि वह यह काम बिना किसी पैसे के करने लिए तैयार है बल्कि वे इस काम के लिए सरकारी खाते में अपने पास से 5 लाख रुपए भी जमा भी करेंगे.

हो सकता है देश में ऐसे और भी कई लोग होंगे जिनके दिल में इन पापियों को अपने हाथों से फांसी पर चढ़ाने की इच्छा होगी और उन्होंने कोशिश भी की होगी लेकिन पॉलिटॉक्स के पास उक्त तीन लोगों की जानकारी ही उपलब्ध हो पाई हो.

बता दें, राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर, 2012 को चलती बस में मेडिकल स्टूडेंट के साथ चार लोगों ने दरिंदगी की जिन्हें बाद में निर्भया का कथित नाम दिया गया. मामले के सात साल पूरे होने के बाद भी उनकी फांसी की सजा का मामला अब तक चल रहा है. एक दोषी नाबालिग था जिसे कुछ साल बालगृह में रखने के बाद छोड़ दिया गया. निर्भया के दोषियों की फांसी की तारीख करीब आते देख देश की विभिन्न जेलों में बंद 17 कैदियों के माथे पर चिंता की लकीरें अब नजर आने लगी हैं जिन्हें फांसी की सजा मिली हुई है. इसकी वजह है कि जैसे ही अस्थाई तौर पर भी जल्लाद नियुक्त किया जाएगा, इन सभी कैदियों को एक-एक कर फंदे पर लटकाने का काम शुरू हो जाएगा.

Leave a Reply