धारा के विपरीत चलने वाले मलिक ने बढ़ाई भाजपा का मुश्किलें, अब न उगलते बन रहा ना निगलते!

राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लेकर भाजपा की दुविधा, ना विरोध कर सकते ना ही हटा सकते, मलिक ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा, पद की परवाह किए बगैर लगातार साध रहे हैं निशाना, अगले साल सितंबर तक है मलिक का कार्यकाल, तब तक ना जाने कितना डैमेज कर देंगे भाजपा को?

मलिक के वार से परेशान भाजपा
मलिक के वार से परेशान भाजपा

Politalks.News/Delhi. किसी सरकार द्वारा नियुक्त किया गया राज्यपाल उसी सरकार के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है ऐसा कभी सुना नहीं होगा. मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. मलिक को लेकर भाजपा की स्थिति असमंजस भरी है. भाजपा न तो उगल ही सकती है ना ही निगल, मतलब की भाजपा न तो सत्यपाल मलिक की आलोचना कर सकती है और न उनकी बातों का जवाब दे सकती है. मलिक भी भाजपा के इस स्थिति को समझ रहे हैं तभी केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ लगातार बोलते हुए भी राज्यपाल पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं.

सत्यपाल मलिक राज्यपाल पद की संवैधानिक गरिमा को भलीभांति समझते हैं. उनको पता है कि जब तक वे संवैधानिक पद पर हैं तब तक भाजपा के नेता उनके खिलाफ नहीं बोल पाएंगे. इसलिए मलिक लगातार भाजपा, केंद्र सरकार और उसकी राज्य सरकारों को निशाना बना रहे हैं. हालांकि मलिक को जानने वालों का कहना है कि राजनीति के शुरुआती दिनों से ही धारा के विपरीत चलने की सत्यपाल मलिक की फितरत रही है. अपने सिद्धांतों के लिए कुर्सी छोड़ देना उनकी पुरानी फितरत रही है. मलिक ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया तो अब क्या करेंगे.

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हाल ही में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गोवा की भाजपा सरकार के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसे विपक्षी पार्टियां अब मुद्दा बना रही हैं. आपको बता दें कि मलिक गोवा के राज्यपाल भी रहे हैं इसलिए उनके आरोपों को जनता के बीच ले जाने से विपक्ष को फायदा मिल सकता है. मलिक ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहने के दौरान के कुछ मामले उजागर करके मोदी सरकार और उसके चहेते उद्योगपतियों को पहले ही कठघरे में खड़ा कर दिया है. इसके अलावा सत्यपाल मलिक केंद्र के तीनों कृषि कानूनों पर मोदी सरकार का लगातार विरोध कर रहे हैं और किसानों का समर्थन कर रहे हैं.

आपको बता दें कि अब तक मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने से बच रहे थे लेकिन राजस्थान के एक कार्यक्रम में उन्होंने परोक्ष रूप से पीएम मोदी को भी निशाना बनाया. अपने एक पुराने बयान का हवाला देते हुए मलिक ने बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के लिए कहा कि, ‘कुत्ते का बच्चा मर जाता है तब भी संवेदना प्रकट की जाती है लेकिन छह सौ लोग किसान आंदोलन में शहीद हो गए और एक शब्द नहीं कहा गया‘. किसान आंदोलन के समर्थन में सत्यपाल मलिक का बोलना भाजपा को बिल्कुल रास नहीं आ रहा है क्योंकि वे उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की संभावना खराब कर रहे हैं. इसके बावजूद उनके पद की मर्यादा की वजह से सब चुप्पी साधे हुए हैं.

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भाजपा की दुविधा यह भी है कि सत्यपाल मलिक को नरेंद्र मोदी की सरकार ने ही राज्यपाल बनवाया है. उनके खिलाफ कैसे बयान दिया जाए. दूसरे, अगर मौजूदा राज्यपाल के ऊपर हमला किया जाता है तो विपक्ष उसे भी मुद्दा बनाएगा. तीसरा, मलिक जाट समुदाय से आते हैं, जो पहले से मोदी सरकार से नाराज हैं. मलिक को हटाए जाने से नाराजगी और ज्यादा बढ़ना तय है. भाजपा की चिंता यह है कि मलिक का कार्यकाल अगले साल सितंबर तक है. सोचें, अगर अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तक वे इसी तरह बयान देते रहे तो भाजपा को कितना नुकसान होगा!

आपको बता दें, मेघालय के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करके भी धारा के विपरीत चलने की अपनी पुरानी छवि दोहराई है. मलिक यह भी एलान कर चुके हैं कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं.

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