Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण की व्यापक रोकथाम के लिए गहलोत सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है. वहीं लोगों को कोविड के महंगे इलाज से निजात दिलाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों में भी जांच से लेकर इलाज तक सभी प्रकार की न्यूनतम फीस तय की गई है. लेकिन प्रॉपर मोनिटरिंग के अभाव में ये निजी अस्पताल अपनी मनमर्जी करते हुए लूट मचा रहे हैं. मंत्री डॉ रघु शर्मा के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही को उजागर किया है खुद सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने, यहीं नहीं महेश जोशी ने बाकायदा पत्र लिखकर इसकी शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से की है.
वहीं महेश जोशी द्वारा सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों की शिकायत करने से सीएम गहलोत के खास सिपहसालार माने जाने वाले डॉ रघु शर्मा और महेश जोशी के बीच कितना सामंजस्य है यह भी समझ आता है. आखिर क्या दिखाना चाह रहे हैं महेश जोशी अब सियासी गलियारों में यह चर्चा का विषय बन गया है. हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 के इलाज के नाम पर शहर के निजी अस्पतालों ने लूट मचा रखी है. इसे लेकर शिकायतें आईं तो सरकार ने कोविड के इलाज की दरें तय कर दीं, लेकिन इसके बाद भी अस्पतालों की लूट जारी है. इसे रोकने और निजी अस्पतालों पर लगाम कसने के लिए मुख्य सचेतक महेश जोशी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है.
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चिकित्सा मंत्री को छोड़ सीधे मुख्यमंत्री गहलोत को लिखे अपने पत्र में महेश जोशी ने साफ लिखा है कि राज्य सरकार की ओर से तय राशि के बावजूद निजी अस्पताल बहुत अधिक धनराशि वसूल रहे हैं. सरकार के निर्देशों की अवहेलना नजर नहीं आए, इसलिए कोविड मरीजों से अन्य बीमारी या सुविधा के नाम पर यह राशि ली जारही है. ऐसा करना एक अमानवीय कृत्य है. जोशी ने मुख्ययमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज की व्यवस्था का उल्लेख किया मगर लिखा कि यह कम सुविधाजनक है और सभी को इसकी प्रक्रिया का नहीं पता. इसलिए शिकायतें रजिस्टर नहीं हो पाती हैं. इसलिए सरकार को अधिक धनराशि वसूलने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
मुख्य सचेतक महेश जोशी ने गहलोत सरकार से अनुरोध किया है कि चिकित्सा विभाग एवं जिला प्रशासन के माध्यम से कोविड मरीजों का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों से पेमेंट संंबंधी पूरी जानकारी लेकर उसकी आॅडिट कराई जानी चाहिए, ताकि ऐसे लालची अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाइ हो सके. अगर संभव हो तो जिन अस्पतालों में कोरोना का इलाज चल रहा है, वहां के तीन या पांच स्थानीय प्रतिष्ठित लोगों की एक कमेटी बनाई जानी चाहिए, ताकि कमेटी अस्पतालों की निगरानी कर सके.