Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासी का भूचाल अभी तक थम नहीं पा रहा है. अजित दादा ने अपने चाचा के साथ जो किया, वो न तो शरद पवार के गले उतर रहा है और न ही उन लोगों के, जिनके साथ एनसीपी का नाता था. अजित पवार ने पार्टी के कुछ विधायकों को तोड़कर बीजेपी और शिंदे गुट वाली सरकार से हाथ मिला लिया और डिप्टी सीएम बन बैठे. अब जिन 8 विधायकों को मंत्री पद मिला, वो तो खुश लेकिन जिन्हें केवल अजित पवार का साथ मिला, वो तो बिचारे दो धारी तलवार पर बैठ गए. हाल में अजित पवार के कुछ विधायक जो कभी एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के काफी निकट थे, उनसे मिलने पहुंचे. हालांकि ये मुलाकात क्यों हुई और क्या इसके परिणाम निकले, ये तो पता नहीं चल सका लेकिन अजित गुट के प्रफुल्ल पटेल ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि हमने पैर पकड़कर शरद पवार का आशीर्वाद लिया.
अब भले ही अजित गुट के नेता कह रहे हों कि हम तो इसलिए मिलने गए थे ताकि पार्टी अलग न हो. हालांकि इसके पीछे हकीकत तो ये है कि अजित पवार अपने समर्थन वाले विधायकों की स्पष्ट संख्या नहीं बता पा रहे हैं. अब एनसीपी राष्ट्रीय पार्टी तो रही नहीं कि उनके साथ आने वाले सांसद अपनी राष्ट्रीय छवि रखते हों. कथित तौर पर जो भी सांसद अजित गुट के साथ गए हैं, उनकी पहुंच तो केवल और केवल महाराष्ट्र तक ही है.
इसके अतिरिक्त, स्पष्ट संख्या या बहुमत न आने की स्थिति में अजित का दांव उन पर ही उलटा पड़ने वाला है. वो इसलिए कि अगर संख्या एक तिहाई से कम हुई तो दल बदल कानून के तहत अजित पवार सहित इन सभी विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द हो जाएगी. इसके बाद न तो मंत्री पद बचेगा, न डिप्टी सीएम और न ही पार्टी का साथ. ऐसे में ये सभी न घर के रहेंगे और न ही घाट के.
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इधर, अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल, अदिती तटकरे, हसन मुश्रीफ, प्रफुल्ल पटेल और धनंजय पांडेय सहित अजित पवार भी वाईबी च्वहाण सेंटर में शरद पवार से मुलाकात करने पहुंचे. बैठक के बाद प्रफुल्ल पटेल जो कि कथित तौर पर लोकसभा या राज्यसभा में जाने की तैयारी कर रहे हैं, का कहना है कि हमने पैर पकड़कर शरद पवार से आशीर्वाद लिया ताकि नेता पार्टी से अलग न हो.
असल में, पांव पकड़कर तो सिर्फ मिन्नतें की जाती है या फिर माफी मांगी जाती है. आशीर्वाद तो पैर छूकर मांगा जाता है, वो भी तब जब सामने वाला का मन आपके प्रति साफ हो और आपके मन में सामने वाले के प्रति विश्वास, आदर और सम्मान हो. इससे उलट, एनसीपी के नेताओं ने खासतौर पर अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने तो शरद पवार की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है.