पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र और हरियाणा की राजनीतिक राह पर चल रहे झारखंड (Jharkhand) में सीएम रघुवरदास (CM Raghubar Das) और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान कहीं डुबो नहीं दे पार्टी की नैया को. गौरतलब है कि पांच चरणों में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Election) का परिणाम 23 दिसम्बर को आना है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो झारखंड में खंडित जनादेश मिला तो भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है. ऐसे में आजसू और झारखंड विकास मोर्चा रहेंगे किंगमेकर की भूमिका में लेकिन ये नेता रघुवरदास की जगह अर्जुन मुंडा को समर्थन करेंगे.
महाराष्ट्र की तरह झारखंड (Jharkhand Election) में भी अंदरखाने चल रहा कलेश ले डूबेगा भाजपा को. रघुबरदास और अर्जुन मुंडा की आपसी खींचतान के हो सकते हैं बड़े दुष्परिणाम. जिस तरह टिकट बंटवारे में रघुवार दास ने अपनी मनमानी चलाई और आलाकमान ने भी रघुबरदास पर छोड़ दिये कई फैसले, इसको लेकर अर्जुन मुंडा खेमे में बढ़ी नाराजगी है. ये मनमुनाट कहीं डुबो नहीं दे पार्टी की नैया. बता दें, आदिवासी मुद्दे पर पहले से चल रही रघुवरदास और अर्जुन मुंडा के बीच की तनातनी से जनता है अच्छे से वाकिफ है. इसी मुद्दे के चलते एक दर्जन मुंडा समर्थक विधायकों का इस बार रघुबरदास ने टिकट काट दिया और शायद यही कारण कि अर्जुन मुंडा ने चुनाव प्रचार से भी दूरी बना ली है.
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अब अगर ऐसे में झारखंड (Jharkhand Election) में खंडित जनादेश मिलता है तो आजसू और झारखंड विकास मोर्चा रहेंगे किंगमेकर की भूमिका में और ये भी तय है कि ये नेता रघुवरदास की जगह अर्जुन मुंडा को ही करेंगे समर्थन. इसका सबसे बड़ा कारण है आजसू से भाजपा के गठबंधन टूटने के पीछे रहा था रघुवरदास का हाथ, रघुबरदास की टिकट वितरण को लेकर की गई मनमानी. रघुबरदास ने वहां भी अपने उम्मीदवार उतारे जो सीटें आजसू ने आने लिए मांगी थी. ऐसे में अब रघुवरदास को इन पार्टियों का समर्थन मिलना मुश्किल ही है.
अब सवाल ये खड़ा होता है कि झारखंड (Jharkhand Election) में भाजपा को तलाशना होगा नया मुख्यमंत्री या रघुवरदास फिर से बना पाएंगे खुद की सरकार ? गौरतलब है कि अर्जुन मुंडा झारखंड में पहले भी चला चुके हैं गठबंधन की सरकार.
Politalks Bureau. The political tussle between CM Raghuvardas and former Chief Minister Arjun Munda in Jharkhand, which is on the political path of Maharashtra and Haryana, should not drown the party’s naiya. It is important to note that the results of the Jharkhand assembly elections in five phases are to come on 23 December. According to political analysts
BJP can emerge as the largest party if it gets a fractured mandate in Jharkhand. In such a situation, AJSU and Jharkhand Vikas Morcha will be in the role of kingmakers
But these leaders will support Arjun Munda in place of Raghuvardas.
Like Maharashtra, BJP in Jharkhand will submerge the inside. Raghubardas and Arjun Munda’s mutual tussle can have major consequences. In the way of ticket distribution, Raghuvar Das made his own arbitrary move and the high command also left many decisions on Raghubardas, there is increasing resentment in Arjun Munda camp. This manmunat will not sink anywhere. Let me tell you, the public is well aware of the conflict between Raghuvardas and Arjun Munda, which is already going on on the tribal issue. Due to this issue, this time Raghubardas of a dozen pro-Munda MLAs cut the ticket and perhaps that is why Arjun Munda has also kept away from campaigning.
Now, if such a fractured mandate is found in Jharkhand, then Azu and Jharkhand Vikas Morcha will be in the role of Kingmaker and it is also decided that these leaders will support Arjun Munda instead of Raghuvardas. The biggest reason for this is that the hand of Raghuvardas was behind the break-up of BJP’s alliance with AJSU, the arbitrariness of Raghubardas’s ticket distribution. Raghubardas fielded his candidates there too, which Ajsu had asked for seats. In such a situation, it is difficult for Raghuvardas to get the support of these parties.
Now the question arises that in Jharkhand, BJP will have to find a new Chief Minister or will Raghuvardas be able to form his own government again? Significantly, Arjun Munda has run a coalition government in Jharkhand before.