जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट कर दी है. इसके तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया है. लद्दाख जम्मू-कश्मीर से अलग हो गया है और इस तरह अब दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. लद्दाख बगैर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा रहेगी. इस संबंध में सोमवार को संसद का सत्र शुरू होते ही राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने संकल्प पेश किया और धारा 370 के कुछ प्रावधान तथा 35ए को हटाने की घोषणा की. लगे हाथ कानून मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी. अधिसूचना पर राष्ट्रपति ने दस्तखत कर दिए हैं. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान और अलग ध्वज की मान्यता खत्म हो गई है.
इससे पहले सुबह 9.30 बजे प्रधानमंत्री निवास में मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य मंत्री संसद पहुंचे. इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी संसद में पहुंच गए थे. राज्यसभा की बैठक शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद कर दिया गया है, ऐसे में गृहमंत्री को घाटी की स्थिति पर बयान देना चाहिए.
गुलाम नबी आजाद की बात सुनने के बाद अमित शाह ने कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और वहां से धारा 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया है. शाह के संकल्प पेश करते ही राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया. हंगामे के बीच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अधिसूचना के बारे में बताया. राज्यसभा में इसके साथ ही हंगामा शुरू हो गया. नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद फर्श पर धरना देकर बैठ गए. उनके साथ ही कई विपक्षी सदस्य जुट गए. पीडीपी के सांसदों ने अपने कपड़े फाड़ लिए. धरने पर बैठे सांसदों को हटाने के लिए मार्शल को बुलाया गया.
अमित शाह ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का विधेयक पेश किया है. इसके तहत लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है. लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है. लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें. जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है. जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी.
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अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता आज मुश्किलों में जी रही है. आज जो हम बिल लेकर आए हैं, वह ऐतिहासिक है. धारा 370 ने कश्मीर को देश से जोड़ा नहीं, बल्कि अलग करके रखा था. बहुजन समाज पार्टी ने राज्यसभा में इस संकल्प का समर्थन किया है. संकल्प पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत कर दिए हैं, इसके साथ ही केंद्र सरकार का फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. इसके साथ ही कश्मीर को धारा 370 के तहत जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, वे भी खत्म हो गए हैं.
इससे पहले रविवार शाम गृहमंत्री अमित शाह ने इस संबंध नें विशेष बैठक बुलाई थी. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृह सचिव राजीव गॉबा, खुफिया ब्यूरो और रॉ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. इससे पहले कश्मीर में भारी हलचल थी. कश्मीर घाटी के कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. कुछ इलाकों में के हालात हैं. रविवार रात 11.12 बजे जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि इंटरनेट बंद होने की खबरें आ रही हैं, घाटी में कर्फ्यू पास बांटे जा रहे हैं, खुदा जाने कल क्या होने वाला है.
महबूबा मुफ्ती के ट्वीट के कुछ मिनट बाद नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, मुझे लगता है कि मैं आधी रात से नजरबंद कर दिया गया हूं. अन्य नेताओं को भी नजरबंद करने की प्रक्रिया जारी है. पता नहीं ये खबरें सही हैं या गलत. अगर ये खबरें सही हैं तो हम अल्लाह के भरोसे हैं.
रविवार शाम को प्रशासनिक अधिकारियों को सेटेलाइट फोन दे दिए गए हैं और सेटेलाइट फोन नंबरों की डायरेक्टरी भी दे दे दी गई है, जिसमें राज्य के डिप्टी कमिश्नरों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नंबर हैं. इससे पहले तीन अगस्त को महबूबा मुफ्ती को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की तरफ से नोटिस भेजा गया है, जिसमें जानकारी मांगी गई है कि उनके मुख्यमंत्री रहते समय सरकार के मंत्रियों की सिफारिश पर जम्मू-कश्मीर बैंक में कितनी नियुक्तियां की गईं.
नोटिस मिलने के बाद महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि यह कश्मीर में मुख्य धारा के नेताओं को दबाव में लाने का प्रयास है. इस समय जो रहा है, उस परिस्थिति में कश्मीर के सभी नेताओं को एकजुट होने की जरूरत है. पूर्व विधायक राशिद को एनआईए ने समन भेजा है. वह एनआईए के सामने हाजिर होने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं.
इस दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला ने अपने निवास पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में कहा था कि धारा 370 या 35ए हटाने, इसमें कोई बदलाव करने, राज्य में क्षेत्रों के परिसीमन करने या राज्य को जम्मू, लद्दाख और कश्मीर के रूप में तीन हिस्सों में बांटने का कोई भी प्रयास ठीक नहीं होगा. जम्मू-कश्मीर की जनता इसका विरोध करेगी.
बहरहाल केंद्र सरकार के आदेश से महबूबा मुफ्ती और अब्दुल्ला का सारा विरोध धरा रह गया है. जम्मू-कश्मीर के संबेदनशील इलाकों में चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती हो रही है. श्रीनगर में सचिवालय, पुलिस मुख्यालय, एयरपोर्ट आदि प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. श्रीनगर के प्रमुख बाजार रविवार से ही बंद हैं. लोगों को लंबे समय उथल पुथल जारी रहने के आसार दिख रहे हैं और वे अपने घरों में राशन जुटाने में लगे हैं.