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उत्तर प्रदेश का योगी मॉडल, जिसकी तारीफ स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं. योगी सरकार ने पिछले कुछ सालों में यूपी का गुंडाराज को जिस तरह से साफ किया है, उसकी प्रशंसा देश का बच्चा बच्चा कर रहा है. परन्तु अब लगने लगा है कि यूपी में ‘खेला’ होने जा रहा है. सियासी ​गलियारों से यह खबर चुपके से छिपती छिपाती आ रही है कि शायद योगी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ न ले पाएं. वजह है ​राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जिसके हालिया कुछ बयानों से स्पष्ट है कि सीएम और डिप्टी सीएम के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. हालांकि दोनों खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं लेकिन उनके बयानों और संबोधनों ने दोनों के बीच की दूरियों को साफ कर दिया है.

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में सीटें कम आने के बाद सीएम योगी और डिप्टी सीएम मौर्य में दूरियां बढ़ गई हैं. मौर्य का किसी भी बैठक में शामिल न होना इस बात का संकेत दे रहा है. आम चुनाव में यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने पहली बार बयान दिया. लखनऊ में कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात डिप्टी सीएम मौर्य ने सोशल मीडिया पर बड़ा सांकेतिक बयान देते हुए लिखा, ‘संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा. मैं उप-मुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं. मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं.’

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केशव के इस बयान को योगी को संदेश देने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. साथ ही उस बयान पर पलटवार भी माना जा रहा है जिसमें सीएम योगी ने कहा था, ‘अगर, सरकार को खरोंच आई तो उसका असर उन पर भी पड़ेगा. जो लोग अभी से उछल-कूद कर रहे हैं, उन्हें दोबारा ऐसा करने का मौका नहीं मिलेगा.’ हालांकि बीजेपी से जुड़े लोग इसे कार्यकर्ताओं और अन्य बड़बोले विधायकों/नेताओं से जोड़ रहे हैं लेकिन केशव मौर्य की बैठकों में अनुपस्थिति सीएम और डिप्टी सीएम के बीच दरार होने की बात को पुख्ता कर रही है.

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हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया है. 2 साल पहले भी मौर्य ने यही बयान दिया था. उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था. तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी. ऐसे में मौर्य का प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कह देना कि संगठन सरकार से बड़ा है. कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश सरकार पर उनके एक हमले की तरह ही देखा जा रहा है.

लोकसभा चुनाव 2024 में अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन को लेकर कार्यकर्ताओं की सरकार की ओर से अनदेखी को एक बड़ा मुद्दा माना गया है. जिसमें सुधार की बात लगातार कही जा रही है. इसके विपरीत राज्य सरकार में योगी विरोधी खेमा यह नरेटिव सेट करने में लगा है कि सरकार में सुनवाई नहीं होने के कारण कार्यकर्ता नाराज हैं. ऐसे में केशव प्रसाद का कार्यकर्ताओं के लिए अपने द्वार खुले रखने का बयान स्पष्ट तौर पर यह बता रहा है कि आम चुनाव के बाद सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच दरार भी अब खाई बन चुकी है, जिसे पाटना लगभग नामुमकिन है. अनुमान लगाया जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान यूपी के दूरगामी भविष्य की पटकथा लिखेगा. वहीं योगी भी इस खाई को पाटने की कोशिश करते हुए नजर आएंगे, इसमें कोई संशय नहीं है.

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