Politalks.News/Bharat/Corona. मौजूदा समय में पूरा देश कोरोना महामारी से लाचार और बेबस नजर आ रहा है, लोग जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे हैं. इसके बावजूद मोदी सरकार करोड़ों-अरबों रुपये के अपने ‘ड्रीम प्रोजेक्ट‘ को बनाने में व्यस्त है जो सिर्फ नेताओं और राजनीतिक दलों के ही काम आएगा. इसे हम सीधे यह भी कह सकते हैं कि सांसदों का यह ‘नया महल‘ होगा जिससे जनता को सीधे तौर पर कुछ लेना देना नहीं है. कितना अच्छा होता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद ही आगे बढ़कर इस प्रोजेक्ट को कुछ समय के लिए रोके जाने की पहल करते. जबकि कोरोना संकटकाल में देश के ‘कमजोर हेल्थ सिस्टम‘ की वजह से सैकड़ों संक्रमित मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है, जिसको दुनिया ने देख रही है और कई देश तो हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था का खूब जमकर ‘मजाक‘ भी उड़ा रहे हैं. इन हालातों पर केंद्र सरकार के पास इसका कोई ‘जवाब‘ नहीं है.
आज हम आपको बताएंगे राजधानी दिल्ली में बनाए जा रहे मोदी सरकार के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट‘ के बार में. कोरोना संकटकाल के चलते देश की बिगड़ी व्यवस्था के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग हो रही है. इस संबंध में पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था. अब सर्वोच्च अदालत की सलाह पर दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. आज इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन किन्ही कारणों से नहीं हो सकी, अब इस मामले में बुधवार को हाईकोर्ट फैसला सुनाएगा. बता दें कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया है.
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आइए आपको बताते हैं सेंट्रल विस्टा क्या है? इस प्रोजेक्ट के तहत राजधानी दिल्ली में एक ‘नया संसद भवन‘ बनाया जा रहा है. जबकि नए संसद भवन की अभी ऐसी कोई खास जरूरत भी महसूस नहीं हो रही है, सभी सांसद वर्तमान संसद भवन में बड़े आराम से बैठते हैं. वहीं विपक्षी दल भी शुरू से ही नए संसद भवन, सरकारी ऑफिस और प्रधानमंत्री आवास बनाए जाने का विरोध करते रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस प्रोजेक्ट का यह कहते हुए विरोध किया कि महामारी के दौरान इसको रोक दिया जाना चाहिए. इस संकट काल में लोगों को हॉस्पिटल्स, ऑक्सीजन, वैक्सीन और दवाओं की किल्लत है. पहले केंद्र की मोदी सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
कांग्रेस समेत विपक्ष के नेता इस नए संसद भवन के निर्माण को लेकर कई दिनों से विरोध कर रहे हैं. राहुल गांधी ने पिछले दिनों ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘सेंट्रल विस्टा एक आपराधिक बर्बादी है, इसलिए लोगों की जिंदगी को बचाने पर ध्यान दें न कि एक नए घर को पाने के लिए अपने अंधे अहंकार को महत्व दें‘. बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली में सरकारी इमारतें और कुछ आवास बनाए जाने हैं. इसके लिए राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का करीब चार किलोमीटर का क्षेत्र चुना गया है और वहां कार्य जबरदस्त प्रगति है.
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वहीं पीएम मोदी के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को लेकर मंगलवार को उत्तरप्रदेश प्रभारी एवं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा. प्रियंका ने सवाल पूछा कि देश में कोरोना महामारी के संकट के समय प्रधानमंत्री के नए आवास के लिए क्यों किए जा रहे हैं पैसे खर्च? प्रधानमंत्री के नए आवास और सेंट्रल विस्टा की लागत लगभग 20 हजार करोड़ रुपये है, जबकि इतने पैसे में टीके की 62 करोड़ खुराक आ जाएगी देश में, 22 करोड़ रेमेडिसिवर के इंजेक्शन आ सकते हैं. यही नहीं 10 लीटर के तीन करोड़ ऑक्सीजन सिलेंडर आ जाएंगे या 13 एम्स जैसे अस्पताल बनाए जा सकते हैं, तो फिर ये क्यों?’
नई संसद के साथ उपराष्ट्रपति-पीएम के आवास और केंद्रीय सचिवालय भी बनाए जा रहे
बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन और आवासीय परिसर का निर्माण किया जाएगा. इसमें प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है. गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी. 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने परियोजना की ‘आधारशिला’ रखी थी. इस पुनर्विकास परियोजना में नए संसद भवन का निर्माण प्रस्तावित है.
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आपको बता दें, इस परियोना के तहत बनने वाली संसद भवन की नई इमारत करीब 65,400 स्क्वायर मीटर में बनाई जाएगी और यह भव्य कलाकृतियों से युक्त होगी. इमारत का एक तिकोना ढांचा होगा और इसकी ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी. इसमें एक बड़ा संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउन्ज, एक लाइब्रेरी, कई कमेटियों के कमरे, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे. राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा.
इस परियोजना के तहत पुराने मौजूदा गोलाकार संसद भवन के सामने स्थित गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया ‘तिकोना संसद भवन‘ बनाया जा रहा है. नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा. वहीं प्रधानमंत्री के नए आवास को 15 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा. नए संसद भवन में लोकसभा चैंबर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी. इसके साथ मंत्रालयों का साझा केंद्रीय सचिवालय बनाने के लिए शास्त्री भवन, उद्योग भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन सहित कई अन्य इमारतें भी गिराई जाएंगी. मोदी सरकार चाहती है कि साल 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे और नए जीते हुए सांसद इसी संसद भवन में बैठें. लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि अगली बार होने वाले लोकसभा चुनाव में पता नहीं कौन सी पार्टी की केंद्र में सरकार बनेगी.
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लेकिन इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि जब हम और हमारे सांसद जिंदा रहेंगे तब तो कोई संसद भवन अच्छा भी लगेगा, इतनी बड़ी त्रासदी देश में चल रही है कि अभी तो यही नहीं पता कौन जिंदा रहेगा इस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को देखने के लिए. चलो मान लिया कि थोड़े दिनों बाद यह त्रासदी थम भी जाएगी लेकिन अर्थव्यवस्था का क्या? वो तो इस त्रासदी के पहले से ही गड्ढे में जा चुकी है. तो सरकार, माई बाप आप इतनी सी बात क्यों नहीं समझ रहे हैं, ये 20 हजार करोड़ हमारे देश की मौजूदा जनसंख्या (130 करोड़ के आसपास) के कल्याण के लिए लगाओगे तो 2024 तो क्या उसके आगे भी बने रहोगे और ऐसे एक क्या कई सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट बन सकेंगे. वहीं दूसरी ओर अभी इस नए संसद भवन की कोई जरूरत भी क्या है? दोनों सदनों के सभी सांसद बड़े आराम से बैठ पा रहे हैं. प्रधानमंत्री निवास की क्या बात करें, वहां तो आप वैसे भी अकेले ही रहते हैं… खैर, बात गलत दिशा में जाए उससे पहले आपसे निवेदन है कि आप स्वतः ही परियोजना को अभी विराम लगा दें. जय हिन्द…..