Politalks.news/Delhi. संसद का मानसून सत्र भले ही जारी हो लेकिन बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही अपने तय समय से पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. लोकसभा की कार्यवाही के स्थगन के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं की एक बैठक बुलाई. उक्त बैठक में मानसून सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा किये गए हंगामे एवं सांसदों के व्यवहार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अप्रिय बताया. लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष में बुलाई गई इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पक्ष एवं विपक्ष का संसद चलाने के मुद्दे पर एक राय बनाना था. बैठक के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रेस वार्ता कर कहा कि सदन में हंगामे के कारण महज 22% ही कामकाज हुआ. सदन में चेंबर के पास आकर सांसदों का तख्तियां लहराना और नारे लगाना संसदीय परंपराओं के खिलाफ है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सदन में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, द्रमुक के TR बालू, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, YSRCP के मिथुन रेड्डी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और JDU के राजीव रंजन सिंह लल्लन, BSP के रितेश पांडेय और तेलंगाना राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव भी बैठक में शामिल हुए. बैठक के दौरान ओम बिरला ने सभी सांसदों से आग्रह किया कि भविष्य में सदन में चर्चा और संवाद को प्रोत्साहित किया जाए.
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि, ‘अगर सदन में व्यापक चर्चा और संवाद होगा तभी देश की जनता का कल्याण होगा’. उन्होंने कहा कि, ‘जिस ढंग से कुछ सांसदों ने व्यवहार किया, वह ठीक नहीं था. मैं चाहता हूँ कि संसद की मर्यादा बनी रहनी चाहिए. इस बारे में सभी पार्टियों को सोचना चाहिए. सदन में चेंबर के पास आकर सांसदों का तख्तियां लहराना और नारे लगाना संसदीय परंपराओं के खिलाफ है’.
लोकसभा का सत्र ख़त्म होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पत्रकार वार्ता में कहा कि, ‘मानसून सत्र में सदन की कार्यवाही ठीक से नहीं चली इसका मुझे बेहद दुःख है. बिरला ने कहा कि सदन की कार्यवाही सभी की सहमति और जिम्मेदारी के साथ चलनी चाहिए, लेकिन चेंबर के पास आकर बहुत से सांसदों का तख्तियां लहराई, मंत्रियों के हाथ से पेपर लेकर फाड़ना, नारे लगाना ये सभी बातें संसदीय परंपराओं के खिलाफ है’.
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पत्रकार वार्ता के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में हुए कार्यों का ब्यौरा भी दिया. बिरला ने कहा कि, ‘सदन में हंगामे के कारण सदन सुचारु रूप से नहीं चल जिसके कारण महज 22% ही कामकाज हुआ. मेरी कोशिश थी कि सदन पहले की तरह चलता और सभी मुद्दों पर चर्चा होती. बिरला ने बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 (मानसून सत्र)को शुरू हुई. इस दौरान 17 बैठक हुई जिसमें 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ. हंगामे के कारण 96 घंटे में से करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका. इस दौरान सदन में कुल 20 बिल पास हुए, जिसमें OBC से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक शामिल है’.
आपको बता दें कि संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त को समाप्त होना था लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को बुधवार 11 अगस्त को ही अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दिया गया. मानसून सत्र से ठीक पहले फूटे पेगासस रुपी बम को विपक्ष ने सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में उपयोग लिया सदन में खूब हंगामा किया. पेगासस के साथ साथ विपक्ष केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों, बढ़ती महंगाई, पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत को लेकर भी हंगामा किया. विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक दिन भी सुचारु रूप से नहीं चल पाई. सरकार ने भी हंगामे के बीच ही कई विधेयकों को पारित कराया.