Politalks.News/GehlotCabinet. बीते रोज बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की अध्यक्षता में वीसी के माध्यम से आयोजित हुई गहलोत मंत्रिपरिषद (Gehlot Cabinet) की बैठक में कोविड के बढ़ते संक्रमण (Corona) पर चिंता व्यक्त की गई. इसके अलावा कैबिनेट में हुई बैठक में प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया की इस बार गहलोत सरकार का विधानसभा बजट सत्र 9 फरवरी से शुरू होगा. कैबिनेट से प्रस्तावित यह प्रस्ताव अब राज्यपाल को भेजा जाएगा और राज्यपाल कलराज मिश्र सत्र आहूत करने को लेकर आज्ञा जारी करेंगे.
बुधवार रात गहलोत मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बैठक की ब्रीफिंग देते हुए कहा कि कैबिनेट में कोरोना की स्थितियों की समीक्षा की गई. इसके साथ ही 9 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र बुलाने को लेकर प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है. खाचरियावास ने कहा कि जिस तरीके से पिछली बार गहलोत सरकार ने कोरोना संक्रमण के बीच शानदार बजट पेश किया था, उसी तरह से इस बार भी आम जनता के दिल को छूने वाला बजट होगा. खाचरियावास ने बताया कि कैबिनेट बैठक में राजस्थान इंडस्ट्री एग्रो बोर्ड सहित करीब आधा दर्जन प्रस्तावों को भी अप्रूव्ड किया गया है. जिसके तहत राज्य में पहली बार अलग कृषि बजट पेश होगा. जिसके लिए कृषि और वित्त विभाग के अधिकारियों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. गहलोत सरकार किसानों की आय़ को दोगुनी करने की तैयारियों के रूप में कृषि बजट को लेकर चल रही है. किसानों के कृषि बजट में कई तरह की रियायतें दी जाएंगी.
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प्रताप सिंह खाचरियावास ने आगे कहा कि सरकार हर वर्ग हर तबके का ध्यान इस बजट में रखेगी. विपक्ष को बोलने के लिए पिछले बजट में भी कुछ नहीं था और इस बजट में भी कुछ नहीं मिलेगा, इस तरह का शानदार बजट पेश किया जाएगा. खाचरियावास ने बताया कि बैठक में कोरोना की स्थिति की भी समीक्षा की गई, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओमिक्रोन को लेकर कहा कि वर्तमान में यह ज्यादा घातक नहीं है, लेकिन पोस्ट ओमिक्रोन क्या इम्पेक्ट होगा, इसका अभी कुछ पता नहीं है. बैठक में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए कोविड प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना तथा शत-प्रतिशत टीकाकरण पर बल दिया गया. बैठक में बताया गया कि विगत कुछ सप्ताह से पॉजिटिविटी दर लगातार बढ़ रही है. मात्र एक सप्ताह में यह दर 7.61 प्रतिशत से बढ़कर 15.52 प्रतिशत तक अर्थात दोगुनी हो चुकी है.
बैठक में कहा गया कि संक्रमण की इस गति को रोकने के लिए जरूरी है कि आमजन के की ओर से कोविड प्रोटोकॉल की निरंतर पालना की जाए. साथ ही संक्रमण को रोकने के लिए फोकस्ड सैम्पलिंग की जाए. जिन लोगों में सर्दी, खांसी, जुकाम के लक्षण हैं, उनकी प्राथमिकता से जांच की जाए. यह भी बताया गया कि इस वायरस से छोटी आयु के बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं. देश की भावी पीढ़ी का जीवन सुरक्षित करना बेहद जरूरी है. दुनिया के कई देशों में 2 साल की आयु तक के छोटे बच्चों को वैक्सीन लग रही है, लेकिन भारत में फिलहाल 15 से 18 साल तक के किशोर वर्ग का वैक्सीनेशन हो रहा है. हमारे देश के बच्चों में पोषण से संबंधित समस्याएं पहले से ही हैं. ऐसे में 12 साल से अधिक आयु के बच्चों का वैक्सीनेशन जल्द शुरू होना चाहिए. केन्द्र सरकार इस सम्बन्ध में जल्द निर्णय ले.
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गहलोत मंत्रिपरिषद की बैठक में बताया गया कि केन्द्र सरकार ने प्रिकॉशन डोज 60 वर्ष से अधिक के को-मोर्बिड व्यक्तियों के लिए अनुमत की है, जबकि चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार को-मोर्बिड की स्थिति हर आयुवर्ग में हो सकती है. इसे देखते हुए बूस्टर डोज हर वर्ग के लिए अनुमत की जानी चाहिए. साथ ही प्रिकॉशन डोज के लिए 9 माह के अन्तराल को कम कर इसे 3 से 6 माह किया जाना आवश्यक है.
बैठक में चिकित्सा मंत्री श्री परसादी लाल मीणा (Parsadi Lal Meena) ने कहा कि प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग तीसरी लहर से मुकाबले के लिए पूरी तैयारी है. मंत्री मीणा ने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु के 94.4 प्रतिशत लोगों को पहली और 78 प्रतिशत लोगों को दूसरी डोज लगा दी गई है. साथ ही 56.5 प्रतिशत किशोर-किशोरियों को पहली डोज लगाई जा चुकी है. इन सभी में राजस्थान का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. दिसम्बर माह में 1 करोड़ 31 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई गई थी. जनवरी माह में भी इसी भावना के साथ वैक्सीनेशन किया जा रहा है.