पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे भाजपा और कांग्रेस के उन सभी नेताओें को इस्तीफा देकर विधायक का चुनाव लडना होगा जो राज्यसभा और लोकसभा में सांसद के रूप में बैठे हैं. जी हां, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों ही पार्टियों के नेतृत्व ने दिल्ली प्रदेश के उन सभी वरिष्ठ सांसद नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की चाह है तो सांसद पद से इस्तीफा देकर विधायक का चुनाव लडना होगा.
दिल्ली में प्रत्याशियों के चयन को लेकर चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक समाप्त हो चुकी है. जबकि खबर लिखे जाने तक बीजेपी का प्रत्याशियों को लेकर मंथन का दौर जारी था. वहीं कांग्रेस खेमे से आ रही खबरों के अनुुसार कांग्रेस नेतृत्व ने उन सभी नेताओं को विधायक का चुनाव लडने के लिए कहा है, जिन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव लडा था. जानकारों की मानें तो कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में अधिकांश ऐसे नेताओं ने चुनाव लडने से किनारा कर लिया है.
वहीं मुख्यमंत्री के लिए सांसद पद से इस्तीफा देकर विधायक का चुनाव लड़ने की बात से दिल्ली के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी के सपनों को बड़ा झटका लगा है. तिवारी अपने आप को मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार मानकर चल रहे थे और वो भी बिना चुनाव लड़े. मनोज तिवारी के अलावा मिनाक्षी लेखी, रमेश विदूडी, प्रवेश वर्मा और विजय गोयल सरीखे नेता भी बीजेपी से सांसद हैं. भाजपा खेमे में भी हाईकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो सांसद पद छोडकर विधायक का चुनाव लडना ही होगा.
बता दें, आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों की घोषणा के 48 घण्टे बाद तक भाजपा और कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की कोई भी सूची जारी नहीं कर सकी है. गुरूवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सभी प्रत्याशियों के नामों पर विचार हो चुका है. अब भाजपा के नाम तय होने बाद, संभवतया दोनों ही पार्टियां शुक्रवार तक नामों की घोषणा कर देंगी.
बीजेपी और कांग्रेस दोनों में मुख्यमंत्री को लेकर रखी गई इस कंडीशन के बाद कौन सांसद पद से इस्तीफा देकर चुनाव लडेगा और कौन चुनाव से बचना चाहेगा यह तो आने वाले कुछ घंटों में साफ हो ही जाएगा, साथ ही भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही चुनावी घमासान की तस्वीर भी लगभग साफ हो जाएगी.