बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त मोदी सरकार को सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बताया अवैज्ञानिक तरीका- नोटों पर छापें मां लक्ष्मी का फोटो

जब कोई व्यक्ति किसी लाईलाज बीमारी से पीड़ित हो जाता है और डॉक्टर अपने हाथ खड़े कर देते हैं तब इंसान भगवान को मनाने के लिए इस तरह के सारे अवैज्ञानिक तरीके अपनाता है, इनडाइरेक्ट ही सही स्वामी ने स्वीकार की अर्थव्यवस्था की सच्चाई

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. जाने या अनजाने में भाजपा नेताओं द्वारा देश की आर्थिक स्थिति को लेकर दिए जा रहे बयान महंगाई और पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था से कराहा रही देश की जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं. बेकाबू महंगाई और बढती बेरोजगारी से त्रस्त ऐसे समय में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अजीबो-गरीब बयान देकर मजाक उडाने का प्रयास किया है. भाजपा नेता स्वामी ने देश की अर्थव्यवस्था पर चिंता जाहिर करतेे हुए कहा कि मोदी सरकार को चाहिए कि वो नोटों पर मां लक्ष्मी का फोटो छापे, ऐसा करने से देश के खराब आर्थिक हालातों में सुधार आएगा.

हालांकि ऐसा करने से अर्थव्यवस्था सुधरेगी ही, यह तो एक सवाल है ही लेकिन सुब्रह्मण्यम स्वामी के पास इसके पक्ष में एक तर्क भी है. स्वामी का कहना है कि इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर गई थी. वहां की सरकार ने भी हर संभव कोशिश की लेकिन हालातों पर काबू नहीं पा सकी. फिर कुछ पंडितों के कहने के बाद वहां के नोटों पर गणेश जी का चित्र छापा गया और इसके बाद वहां की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ. भाजपा नेता स्वामी भारत में भी कुछ ऐसा ही चाह रहे हैं. उनका पूरा विश्वास है कि मोदी सरकार दो हजार और पांच सौ सहित अन्य नोटों पर अगर मां लक्ष्मी का फोटो लगाया जाए तो बिगडे हुए आर्थिक हालातों में सुधार हो सकता है और जनता को राहत मिल जाएगी.

भाजपा के लिए यह भी अच्छा है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह क्लियर नहीं किया कि मां लक्ष्मी की फ़ोटो कहां लगाएं, कहीं स्वामी ने यह कह दिया होता कि गांधी की फोटो को हटाकर मां लक्ष्मी का फोटो छापा जाए, तो विपक्ष को बैठे-बिठाए एक नया मुददा मिल जाता बीजेपी को घेरने का. सुब्रह्मण्यम स्वामी का यह बयान उस समय आया है जब देश की जनता का एक बडा वर्ग जबरदस्त महंगाई और बढ़ती बेराजगारी से जूझ रहा है. वहीं स्वामी के इस बयान से दो बातें और निकलती हैं, पहली यह कि अगर बिगड़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी को रोकने के लिए अगर अब यही कदम बचा है तो क्या यह माना जाए कि मोदी सरकार अपने प्रयासों में फैल हो चुकी है.

दूसरी बात यह कि चलो घुमाकर ही सही बीजेपी के इस दिग्गज नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह तो माना कि देश के आर्थिक हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब मोदी सरकार के बस की नहीं रही इनको काबू करना, तभी तो उन्होंने इस तरह का अवैज्ञानिक तरीका ईजाद करने की सलाह दी. जब कोई व्यक्ति किसी लाईलाज बीमारी से पीड़ित हो जाता है और डॉक्टर अपने हाथ खड़े कर देते हैं तब इंसान भगवान को मनाने में जुट जाता है और वो इस तरह के सारे अवैज्ञानिक तौर-तरीके अपना लेता है जो सुनने में भी बड़े अटपटे लगें. खैर, सुब्रह्मण्यम स्वामी को साधुवाद की आखिर उन्होंने इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार किया वरना मोदी-शाह सहित पूरी बीजेपी इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में कहीं बेरोजगारी या महंगाई है, बीजेपी की नजर में आज देश की सबसे बड़ी जरूरत अगर कुछ है तो वो सिर्फ और सिर्फ CAA और NRC और कुछ नहीं.

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ऐसा नहीं है कि देश के बिगडे आर्थिक हालातों पर इस तरह का अजीबो-गरीब बयान केवल स्वामी ने ही दिया हो. इससे पहले संसद में देश की वित मंत्री ने बढ़ रही प्याज की कीमतों पर कहा था कि वो और उनका परिवार प्याज नहीं खाता है. वहीं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तो आर्थिक हालातों पर बडा ही अजीब बयान दिया था, उन्होंने तीन फिल्मों के पहले दिन की कमाई का आंकडा सौ करोड के ऊपर जाने का हवाला देते हुए कहा था कि यदि महंगाई होती तो फिल्में इतना पैसा कैसे कमाती. खैर जब इंसान सच्ची बात को छुपाता है तो ऐसे ही उल्टे सीधे जवाब मुंह से निकल ही जाते हैं.

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