हेमाराम अकेले नहीं, कई विधायक अंदर ही अंदर घुट रहे हैं, काम नहीं होंगे तो मैं भी दूंगा इस्तीफा- सोलंकी

हेमाराम चौधरी के बाद सचिन पायलट खेमे के एक और विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, कांग्रेस सरकार में अफसरशाही हावी हो रही है, विधायकों के काम नहीं होते हैं, मैं तो कैसे भी करके अपने काम करवा लेता हूं, लेकिन मेरे काम भी नहीं होंगे तो मैं भी इस्तीफा दे दूंगा- वेदप्रकाश सोलंकी

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Politalks.News/Rajasthan. कोरोना महासंकट के बीच कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी सियासत गरमा गई है. हेमाराम चौधरी के बाद सचिन पायलट खेमे के एक और विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वेद प्रकाश सोलंकी ने भी कांग्रेस विधायकों की सुनवाई नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ज्यादातर विधायकों की हालत हेमाराम जैसी है, अकेले हेमाराम चौधरी ही पीड़ित नहीं हैं.

चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने बुधवार को अपने जयपुर स्थित आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह सही है कांग्रेस सरकार में अफसरशाही हावी हो रही है. विधायकों के काम नहीं होते हैं, मैं तो कैसे भी करके अपने काम करवा लेता हूं, लेकिन मेरे काम भी नहीं होंगे तो मैं भी इस्तीफा दे दूंगा. सोलंकी ने कहा कि बहुत से विधायकों की ऐसी ही हालत है. इसमें हर गुट के विधायक हैं, इसमें किसी गुट से मतलब नहीं है. सीनियर विधायकों की सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है. कई विधायक अंदर ही अंदर घुट रहे हैं, तो कई मजबूरी के कारण चुप हैं. जो सहन नहीं कर पाए उन्होंने खुलकर बोल दिया. हेमाराम से बर्दाश्त नहीं हुआ, इसलिए इस्तीफा दे दिया. मेरे कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होगी और काम नहीं होंगे तो मुझे भी इस्तीफा देना पड़ेगा.

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वेदप्रकाश सोलंकी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाने की जरूरत है. आज मेरे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूट रहा है. बहुत विभाग बिना मंत्रियों के चल रहे हैं. वहां के अधिकारी हावी हो रहे हैं. राजनीतिक नियुक्तियों की विभागों में अभी भी जरूरत है. सोलंकी ने कहा- हेमाराम चौधरी से वरिष्ठ और ईमानदार विधायक कांग्रेस में कौन है. हाईकमान इस बात की जांच करें कि इतने वरिष्ठ और ईमानदार विधायक को इस्तीफा देने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा? मेरे जैसा जूनियर विधायक इस्तीफा देता तो फिर भी बड़ी बात नहीं थी, लेकिन हेमाराम चौधरी जैसे नेता को इसलिए इस्तीफा देना पड़े कि उनकी वाजिब मांगों और बातों को नहीं सुना जा रहा था.

सोलंकी ने आगे कहा कि कांग्रेस हाईकमान को हेमराम चौधरी की वाजिब मांगों की सुनवाई करके उन्हें पूरा करना चाहिए. इतने सीनियर नेता को यूं नहीं छोड़ना चाहिए, उन्हें मनाना चाहिए. उनकी वाजिब मांगों को तवज्जो नहीं दी जा रही थी, इसलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है. सचिन पायलट खेमे और खुद के अगले कदम के बारे में सोलंकी ने कहा, अभी तो सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि हेमाराम चौधरी को मनाया जाए, उनकी बात को सुना जाए.

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सचिन पायलट गुट के होने की वजह से अनदेखी के सवाल पर वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि, गुट और गुटबाजी तो अलग मामला है, यहां तो जो सरकार के नजदीक हैं वे विधायक भी परेशान हैं, उनकी भी सुनवाई कहां हो रही है. वरिष्ठ विधायकों की अफसरशाही नहीं सुन रही. ये तो खुद के विधायकों की ही नहीं सुन रहे. मदन प्रजापत का कल ही बयान आया है वे भी दुखी लग रहे थे, उन्होंने भी खुलकर अपना दर्द जाहिर किया हैं इससे पहले राजेंद्र गुढ़ा को अपने क्षेत्र की जनता की पानी की मांग को लेकर जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर के दफ्तर में धरने पर बैठना पड़ा. विधायक बाबूलाल बैरवा ने भी अपना दर्द खुलकर बताया था कि कैसे उनकी वाजिब मांगों की सुनवाई नहीं हुई.

विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि कोरोना काल में जनता को बचाने का प्रयास किये जा रहे हैं. मैं खुद 3 दिन से चाकसू में जनता की बीच रहा हूं. चाकसू में चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है. कोरोना में जब रैली और नियुक्ति हो रही है तो राजस्थान में क्यों नहीं हो रही. सीनियर नेताओं की जब सुनवाई नहीं होती तब ही सीनियर नेता अपना इस्तीफा देते हैं. हेमाराम जी से बढ़कर कांग्रेस में कोई सीनियर नेता नहीं है, सरकार को चाहिए कि उन्हें मनाएं.

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गौरतलब है कि, सचिन पायलट गुट के माने जाने वाले चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी पहले भी गहलोत सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं. विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोलंकी ने रमेश मीणा के साथ एससी एसटी और माइनोरिटी के विधायकों की आवाज दबारने का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर सवाल उठाए थे. सोलंकी ने इसके बाद एससी एसटी विधायकों को दमदार महकमों का मंत्री बनाने और राजनीतिक नियुक्तियों में जगह देने की मांग उठाई थी.

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