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Maharashtra Politics: एक कहावत है कि जो बोया है, वही काटने को मिलेगा. महाराष्ट्र की राजनीति में बिलकुल वैसा ही देखने को मिल रहा है. सत्ता में तीन तीन बड़ी पार्टियां होने और एक तिहाई सीटें होने के बावजूद विपक्ष का खौफ इतना है कि सरकार की नींद उड़ी हुई हैं कि पता नहीं अगले पल क्या घट जाए. पिछले तीन साढ़े तीन साल में महाराष्ट्र की राजनीति में उठापटक के बाद कुछ समय के लिए शांति छा गयी थी, वो अब अशांति की ओर बढ़ते दिख रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख अजित पवार को बड़ा झटका देते हुए चार शीर्ष नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इन सभी के शरद पवार की एनसीपी (SP) में शामिल होने की तीव्र संभावना जताई जा रही है. अब सियासी रणनीतिकारों का मानना है कि यही महाराष्ट्र में एक बार फिर ‘खेला’ होने की शुरुआत है. उसके साथ ही 29 पार्षदों ने भी अजित पवार का साथ छोड़ शरद पवार की पार्टी का दामन थामने की तैयारी कर ली है, जो एनसीपी के लिए बड़ा झटका है.

इससे पहले एक दिन अचानक शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हुए एकनाथ शिंदे ने पार्टी तोड़ी थी. शिंदे ने स्वार्थ के चलते उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर राज्य में कमल खिलाया और प्रदेश के मुख्यमंत्री बन बैठे. कुछ ही महीने बीते थे कि अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार का साथ छोड़ा और चीर प्रतिद्वंद्वी की गोद में जा बैठे. यहां उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी तो मिली ही, अपने उपर चल रही जांच और केसों से भी छुटकारा मिल गया. हालांकि आम चुनावों में जो उनकी पार्टी की दुर्गति हुई है, उन्हें अपनी भूल का अहसास जल्दी होना निश्चित है. पार्टी के नेताओं के इस्तीफों से इसकी शुरुआत हो भी चुकी है.

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इस कड़ी में एनसीपी पिंपरी-चिंचवड़ इकाई के प्रमुख अजीत गव्हाणे, पिंपरी-चिंचवड़ छात्र इकाई के प्रमुख यश साने, पूर्व नगरसेवक राहुल भोसले और पंकज भालेकर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. सूत्रों के मुताबिक, ये चारों 20 जुलाई को शरद पवार की पार्टी में शामिल होंगे. एनसीपी के कई पदाधिकारी, पूर्व नगरसेवक और नेता पार्टी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं. हालांकि इन चारों में शरद पवार की पार्टी में शामिल होने पर चुप्पी बरकरार रखी है लेकिन ऐसा होना सुनिश्चित है. यह इसलिए भी है क्योंकि 20 जुलाई को शरद पवार पिंपरी-चिंचवड़ में ही मौजूद रहेंगे.

गव्हाणे विधानसभा उपचुनाव में भोसरी का टिकट ना मिलने से नाराज थे. इसको लेकर वह चुनाव से पहले डिप्टी सीएम अजित पवार से मिले भी थे. गव्हाणे ने उन्हें बताया था कि एनसीपी के लिए इस सीट से लड़ना कितना जरूरी है. हालांकि गठबंधन के तहत इस सीट पर बीजेपी ने महेश लांडगे को मैदान में उतारा था. गव्हाणे और महेश दोनों रिश्तेदार हैं और गांववाला के नाम से प्रसिद्ध हैं. दोनों के परिवार राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. 2017 के नागरिक चुनावों में गव्हाणे और लांडगे परिवार एक-दूसरे के सामने थे. गव्हानेवस्ती नागरिक चुनावों में गव्हाणे का बोलबाला रहा.

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इन चार शीर्ष नेताओं के पार्टी छोड़ने का सदमा अजित पवार के लिए गहरा है. इस्तीफों पर एनसीपी के प्रवक्ता उमेश पाटिल ने खुद स्वीकार किया है कि इनका पार्टी छोड़ना एक झटका है. हालांकि पार्टी कोशिश में है कि अजित गव्हाणे को वापिस बुलाया जाए. फिलहाल ऐसा होते हुए नजर नहीं आ रहा है. बताते चलें कि पिछले कुछ महीनों से अजित पवार की पार्टी में टूट की संभावना को हवा दी जा रही थी. शरद गुट के कई नेता बयान दे चुके हैं कि राज्य के अंतिम बजट के पारित होने के बाद कई बड़े नेता शरद पवार के साथ वापिस आ जाएंगे. अब ये बयान हकीकत का रूप लेते हुए नजर आ रहे हैं.

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