हरियाणा की राजनीति में शुरु से ही डेरा के समर्थन का खास महत्व रहा है. चाहे दौर देवीलाल का हो, भजनलाल का या फिर अभी का, हर बार नेताओं को डेरे के अंदर वोटों की आस के लिए सिर झुकाते हुए देखा गया है. 2009 के लोकसभा चुनाव में ‘डेरा सच्चा सौदा’ के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने कांग्रेस का समर्थन किया था. नतीजों के बाद शुक्रिया अदा करने खुद मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां पहुंचे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में राम रहीम का मूड भी देश की जनता की तरह बदला और उन्होंने चुनाव से पूर्व मोदी के समर्थन का ऐलान किया.

चुनावों के नतीजे आए तो परिणाम सबसे सामने था. बीजेपी ने हरियाणा में उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया और प्रदेश की 10 में से सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. यह बीजेपी का अब तक के चुनावी इतिहास में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा. इस बार डेरे का धन्यवाद अदा फरमाने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास शर्मा पहुंचे थे.

राजनीतिक के जानकारों और विश्लेषकों ने आकलन किया कि इस प्रदर्शन में मोदी लहर का असर तो था ही. साथ ही यह भी माना गया कि डेरा प्रमुख की अपील का फायदा भी बीजेपी को हुआ. बीजेपी आलाकमान ने खुद इस बात को स्वीकार किया. उसके बाद बीजेपी के नेताओं ने डेरे के चक्कर लगाने शुरु कर दिए. बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय विधानसभा के उम्मीदवारों को लेकर गुरमीत राम रहीम के पास समर्थन के लिए पहुंच गए थे.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने इस बार भी बीजेपी को निराश नहीं किया. उन्होंने विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया और चुनाव से एक दिन पूर्व बीजेपी को वोट करने की अपील की. विधानसभा के चुनाव हुए और परिणाम फिर से बीजेपी के पक्ष में आए. बीजेपी को जबरदस्त कामयाबी मिली. जो पार्टी 2009 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ चार सीटों पर सिमट गई थी, उसने 2014 के चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल किया. बीजेपी के लिए ये किसी करिश्मे से कम नहीं था.

इन चुनावी नतीजों के बाद राम रहीम की खातिरदारी में बीजेपी नेताओं ने कोई कमी नहीं छोड़ी. हरियाणा के शिक्षामंत्री रामविलास शर्मा तो कई बार उनके पैर छूते नजर आए. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी उनकी तारीफ में कई बार ट्वीट किया है. लेकिन 2018 में गुरमीत राम रहीम को यौन शोषण और हत्या से जुड़े मामले में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद से डेरे के प्रभाव में कमी आई है.

इस बार के चुनाव में भी सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता डेरे के समर्थन के लिए चक्कर लगा रहे हैं. चाहे वो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हो या कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर या फिर जजपा नेता अजय चौटाला. हर कोई डेरे का समर्थन अपने पक्ष में चाहता है. गुरमीत राम रहीम को सजा होने के बाद भी सभी राजनीतिक पार्टियां डेरे के प्रभाव को भली-भांति जानते हैं लेकिन इस बार डेरा किसी भी दल को समर्थन देने के पक्ष में नहीं है. डेरा यह भली-भांति जानता है कि अगर इन चुनावों में किसी दल को खुलकर समर्थन दिया तो यह उनके लिए हानिकारक होगा.

डेरा समर्थकों से बात करने से पता चला कि वो गुरमीत राम रहीम की सजा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी मानते हैं. उनका मानना है कि राम रहीम को इसलिए फंसाया गया क्योंकि वे नशे के खिलाफ थे. उनके खिलाफ प्रदेश के बड़े नेताओं ने साजिश रची है. बीजेपी के समर्थन पर डेरा समर्थक कहते हैं कि हम बीजेपी को प्रदेश की सत्ता में लाए लेकिन उन्होंने ही राम रहीम को जेल में डाल दिया. अब हम कभी बीजेपी को समर्थन नहीं देंगे. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि डेरा अपने अनुयायियों को असमंजस से बाहर निकालकर किस पार्टी का बेड़ा पार लगाने वाला है.

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