राजस्थान में बीजेपी को बंपर जीत के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रदेश से इस बार करीब पांच से छह मंत्री बनाए जाएंगे. लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान से केवल तीन सांसदों को ही जगह मिल पायी. मोदी कैबिनेट में राजस्थान से गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी को शामिल किया गया है.
राजस्थान में ‘मिशन 25’ पूरा होने के बाद मोदी के मंत्रीमंडल में जिस चेहरे के शामिल होने की सबसे ज्यादा उम्मीद थी, उसे मोदी कैबिनट में जगह नहीं मिली. यहां हम बात कर रहे हैं नागौर सीट से रालोपा के टिकट पर सांसद बने हनुमान बेनीवाल की. बीजेपी ने इस बार के चुनाव में रालोपा के लिए नागौर सीट छोड़ी थी. यहां से चुनाव रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने लड़ा था. उनका मुकाबला कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से था. मुकाबले में बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा को भारी अंतर से मात दी.
हनुमान बेनीवाल के मंत्रीपद में सबसे बड़ा रोड़ा कैलाश चौधरी बने. बाड़मेर सीट पर कैलाश चौधरी ने पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र को बड़े अंतर से चुनाव हराया है. उन्हें बड़े चेहरे को हराने का ईनाम मिला है. चौधरी को मंत्रिमंडल में जाट चेहरे के तौर पर शामिल किया गया है जिसके कारण हनुमान की दावेदारी कमजोर हुई. पहले पार्टी जाट चेहरे के तौर पर हनुमान को शामिल करना चाहती थी लेकिन दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयं-सेवक ने खुद कैलाश की पैरवी की और उनको मंत्रिमंडल में शामिल करने का दबाव केंद्रीय नेतृत्व पर बनाया. कैलाश के नाम पर सहमति बनने के साथ ही हनुमान की दावेदारी ठंडे बस्ते में चली गई. इसकी आशंका हमें बीते दिन ही देखने को मिल गई थी जब हनुमान बेनीवाल दिल्ली छोड़ जयपुर वापस लौट आए थे.
हनुमान के मंत्रिमंडल में नहीं आने का कारण मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान भी बने. बालियान को जाटों के बड़े नेता चौधरी अजित सिंह को हराने का ईनाम मंत्रिमंडल का हिस्सा बना कर दिया है. मंत्रिमंडल में पर्याप्त जाट चेहरे होने के कारण ही हनुमान बेनीवाल कैबिनेट में जगह नहीं बना पाए.