लोकसभा में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक-2019 पर चर्चा पर बोलते हुए नागौर सांसद हनुमान ​बेनीवाल ने एम्स सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में कभी भी होने वाली डॉक्टर्स की हड़ताल पर जमकर बहस की. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक जब चाहें बिना किसी लिखित सूचना के हड़ताल पर चले जाते हैं या धरना प्रदर्शन करने बैठ जाते हैं. उनकी अनुपस्थिति में जितनी भी जाने जाती हैं, उनका जिम्मेदार कौन है.

उन्होंने राजस्थान में हुई चिकित्सकों की हड़ताल पर सवाल पूछते हुए कहा कि प्रदेश में उस दौरान 100 लोगों की जाने गई थी. ऐसे में उन सभी डॉक्टर्स पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए.

हनुमान ने अस्पतालों में जातिगत आधार पर संविदाकर्मियों की भर्ती का मुद्दा भी सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि हाल ही में जोधपुर एम्स में बिना कोई विज्ञपत्ति निकाले जाति के आधार पर एक हजार संविदाकर्मी भर्ती किए गए. इससे पहले दिल्ली के एम्स अस्पताल में भी ऐसा ही कुछ किया गया. इस तरह अगर चलता रहा तो देश के सभी सरकारी अस्पतालों में जातिगत भर्तियों की दुकानें चल निकलेंगी.

उन्होंने यह भी कहा कि एम्स जैसे हाई प्रोफाइल सरकारी अस्पतालों में एक विधायक तो अपनी चला सकता है लेकिन सांसदों की वहां बिलकुल नहीं चलती. ऐसे में आम जनता कैसे वहां अपना ईलाज कराएंगा.

इससे पहले उन्होंने मेडिकल कांउन्सिल आॅफ इंडिया में व्याप्त भष्टाचार के मुद्दे से अपने भाषण की शुरूआत करते हुए कहा कि जयपुर के निम्स मेडिकल कॉलेज और महात्मा गांधी हॉस्पिटल के मालिक खुद भष्टचार और छेड़छाड़ के मुद्दों पर जेल की हवा खाकर आए हैं लेकिन दिल्ली एमसीआई के चलते वे सभी अपना काम चला लेते थे. ​इसके चलते उनकी दुकानें आज तक बंद नहीं हुई और न ही उनकी मान्यता रद्द हुई. लेकिन अब एमसीआई के भंग होने के बाद सरकार का हस्तक्षेप भी सीधे तौर पर रहेगा. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘भष्टाचार को खत्म करेंगे’ नारे को साकार करने में मदद मिलेगी.

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