लोकसभा चुनाव में नागौर से चुनाव जीत चुके राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानी आरएलपी के मुखिया हनुमान बेनीवाल को एक और खुशखबरी मिली है. चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को क्षेत्रीय दल का दर्जा दे दिया है. यही नहीं, चुनाव आयोग ने आरएलपी को स्थायी रूप से ‘बोतल’ चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया है. आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया था.

विधानसभा चुनाव से पहले हनुमान बेनीवाल ने दावा किया था आरएलपी राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी का विकल्प बनेगी. उन्होंने कहा था कि बिना आरएलपी के प्रदेश की नई सरकार का गठन नहीं होगा. हालांकि चुनाव परिणाम ने बेनीवाल के दावों की हवा निकाल दी और आरएलपी को महज तीन सीटों पर जीत नसीब हुई. उस समय राजनीति के जानकारों ने यह कयास लगाया था कि राजस्थान की राजनीति में हनुमान बेनीवाल का भविष्य ‘विधायक’ से अधिक नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनकी किस्मत ने गजब का पलटा खाया.

हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा चुनाव में नागौर सीट से ताल ठोकने का मन बनाया. नागौर से चुनाव लड़ने की सोच के पीछे खुद का सियासी कद बढ़ाने से बड़ी वजह थी डॉ.ज्योति मिर्धा की सियासत पर विराम लगाना. लेकिन बेनीवाल को पता था कि आरएलपी के बैनर पर यह चुनाव नहीं जीता जा सकता. उन्होंने पहले कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश की. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसके लिए तैयार भी हो गए, लेकिन ज्योति मिर्धा आलाकमान से अपने संपर्कों के बूते टिकट ले आईं.

कांग्रेस के साथ बात नहीं बनने के बाद बेनीवाल ने बीजेपी से संपर्क साधा. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के न चाहने के बावजूद संघ की पैरवी और प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर के प्रयासों से बीजेपी ने आरएलपी से गठबंधन किया और नागौर सीट से खुद हनुमान बेनीवाल मैदान में उतरे. चुनावी रण में उतरते ही उन्हें उस समय बड़ा झटका लगा जब चुनाव आयोग ने आरएलपी का ‘बोतल’ चुनाव चिन्ह गुजरात की पॉवर पार्टी को आवंटित कर दिया.

दरअसल, किसी भी राजनीतिक दल को स्थायी चुनाव चिन्ह तभी आवंटित होता है जब उसे निश्चित संख्या में वोट मिलते हैं. इसी नियम को आधार बनाकर चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के ‘बोतल’ चुनाव चिन्ह को गुजरात की पॉवर पार्टी को आवंटित कर दिया. चुनाव आयोग ने आरएलपी को नया चुनाव चिन्ह ‘टायरों की जोड़ी’ आवंटित किया. इस बदलाव को वोटर्स तक पहुंचाने के लिए हनुमान बेनीवाल को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि उनकी पार्टी का ‘बोतल’ चुनाव चिन्ह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुका था.

चुनाव के समय यह कहा जा रहा था कि हनुमान बेनीवाल को चुनाव चिन्ह बदलने का नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन जब परिणाम आया तो इस तरह के कयास पूरी तरह से हवा हो गए. बेनीवाल ने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को 1 लाख 81 हजार के बड़े अंतर से पटकनी दी. यही नहीं, बीजेपी ने राजस्थान में क्लीन स्वीप किया और पूरे देश में 303 सीटें जीतकर पार्टी ने अपने दम पर बंपर बहुमत हासिल किया. कहा जा रहा था कि हनुमान बेनीवाल को मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, लेकिन जाट चेहरे के रूप में बाड़मेर सांसद कैलाश चौधरी ने उनकी जगह रोक दी.

हनुमान बेनीवाल के समर्थकों को उम्मीद है कि देर-सवेर उनके नेता को मंत्री जरूर बनाया जाएगा. इस बीच प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की गहमागहमी शुरू हो गई है. खींवसर सीट बेनीवाल के सांसद बनने से खाली हुई है जबकि मंडावा सीट नरेंद्र खींचड़ के सांसद बनने से. बेनीवाल यह कह चुके हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी से गठबंधन किया था लेकिन उपचुनाव में वे अपने उम्मीदवार उतारेंगे. यदि वाकई में ऐसा होता है तो आरएलपी की बोतल की गूंज एक बार फिर सुनाई दे सकती है.

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