Wednesday, January 15, 2025
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कांग्रेस में होगी बड़ी सर्जरी, हटेंगे एक दर्जन से ज्यादा प्रदेशाध्यक्ष और प्रभारी

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लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस आलाकमान संगठन की सर्जरी करने में जुटे हुए हैं. हाईकमान राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा मंजूर होने से पहले कईं राज्यों के पीसीसी चीफ और प्रदेश प्रभारी बदलने का खाका तैयार कर लिया है. बताया जा रहा है कि करीब एक दर्जन से ज्यादा राज्यों के चीफ और प्रभारी नए बनाए जाएंगे. जब तक नई नियुक्तियां इन पदों पर नहीं हो जाती, तब तक इस्तीफा दे चुके पीसीसी चीफ को पद पर रहते हुए काम करने के निर्देश दिए गए हैं.

गौरतलब है कि 24 मई से 30 मई के बीच करीब एक दर्जन पीसीसी चीफ अपना इस्तीफा राहुल को भेज चुके हैं. नए पीसीसी चीफ और प्रभारियों में मेहनती नेताओं को इस बार ज्यादा मौका दिया जाएगा. यह तमाम बदलाव राहुल गांधी के इस्तीफा मंजूर होते ही शुरु हो जाएगा. इसे लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कवायद में जुटे हुए हैं.

अधिकतर राज्यों में राहुल गांधी अपनी पसंद के नेताओं को कमान सौपेंगे. वहीं मुकुल वासनिक जैसे अच्छा काम करने वाले नेताओं का प्रमोशन हो सकता है. इस बदलाव पर तमाम नेताओं की नजरें बनी हुई हैं. सभी एक-दूसरे से संपर्क साध ‘क्या हो सकता है’ इसकी जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं.

इन राज्यों के बदले जाएंगे पीसीसी चीफ:
कांग्रेस जिन राज्यों में पीसीसी चीफ नए बनाएगी उनमें महाराष्ट्र, बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और पंजाब के चीफ बदले जाने तय हैं. इनमें से कई राज्यों के अध्यक्ष तो अपना इस्तीफा भी भेज चुके हैं. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के पीसीसी चीफ सीएम बन चुके हैं. राजस्थान के पीसीसी चीफ के कार्यकाल को साढ़े पांच साल हो चुके हैं. वहीं जाटलैंड हरियाणा में दलित चेहरे अशोक तंवर के पीसीसी चीफ बनाने का प्रयोग असफल होने पर उन्हें भी बदला जाना तय है. महाराष्ट्र के पीसीसी चीफ अशोक चव्हाण खुद ही चुनाव हार गए हैं. ऐसे में पीसीसी चीफ बनाने के लिए राहुल गांधी नया प्रयोग भी कर सकते हैं.

प्रदेश प्रभारी भी होंगे चेंज:
प्रदेशाध्यक्ष के साथ एक दर्जन से अधिक राज्यों के प्रभारी भी बदले जा सकते हैं. जिन राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया या उम्मीद से कम सीटें आई हैं, वहां नए नेताओं को प्रभारी बनाया जाना तय है. हालांकि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के मौजूदा प्रभारियों को बरकरार रखा जा सकता है. प्रभारियों के साथ सहप्रभारी लगाने का प्रयोग एकदम बंद किए जाने की तैयारी है.

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