पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) और राज्य सरकार के बीच तनातनी शुरु हो गई है. उन्होंने भड़कते हुए कहा कि उन्हें बगैर बताए सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना उचित नहीं. इस मामले पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि मैं कोई रबर स्टैंप नहीं हूं. केरल गवर्नर ने कहा कि अखबारों से खबर मिलने की जगह उन्हें इस बारे में प्रोटोकोल के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा सूचना दी जानी चाहिए. (Kerala News) हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि राज्य सरकार का सुप्रीम कोर्ट जाना उन्हें गलत नहीं लगता क्योंकि संविधान ने ये अधिकार सभी को दिया हुआ है.
एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से रूबरू होते हुए राज्यपाल कहा कि उन्हें सूचित किए बिना संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का राज्य सरकार का कदम ‘अनुचित’ है. प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले सूचित किया जाना चाहिए था. (Kerala News) उन्होंने कहा कि विधानसभा के नियमों के अनुसार भी विधायिका को ऐसे किसी भी विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए जो उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यदि वे सुप्रीम कोर्ट जाते हैं पर मुझे लगता है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख को सूचित किए बिना उन्होंने जो किया, वह ठीक नहीं है. कानून के शासन का सम्मान करना हर किसी के लिए बाध्यकारी है. बता दें, केरल सरकार ने 13 जनवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके कहा था कि सीएए संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है.
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राज्यपाल ने कहा, ‘तब भी, मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता. मुझे सुप्रीम कोर्ट जाने के उनके फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती क्योंकि संविधान न्यायालय को अधिकार देता है, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले मुझे सूचित करना चाहिए था.’ उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है उसमें मैं भी शामिल हूं. मुझे नहीं पता कि राज्य विधानसभा संसद द्वारा पारित कानून पर कैसे सवाल उठा सकती है.
गवर्नर ने आश्चर्य जताया कि क्या राज्यपाल की मंजूरी के बगैर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जा भी सकते हैं. ऐसे में तो राज्य सरकार निरंकुश हो जाएगी और मनमाना फैसला करने लगेगी. इस पर माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार का कहना है कि यह कानून संवैधानिक मूल्यों के विरूद्ध है. (Kerala News)
इससे पहले गवर्नर खान ने केरल पंचायतीराज अधिनियम-1994 पर दस्तखत करने से भी इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह कोई रबर स्टैंप नहीं हैं. संविधान उन्हें किसी भी मुद्दे पर विचार करने का अधिकार सुनिश्चित करता है. उन्हें यह देखना होता है कि किसी अधिनियम का इस्तेमाल किसी अतिवादी मकसद के लिए न हो.
इस बारे में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने कहा था राज्य, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इसलिए गया क्योंकि यह संवैधानिक शुचिता के खिलाफ है. संविधान के दायरे में रहते हुए यह हस्तक्षेप किए जाने का दावा करते हुए विजयन ने कहा कि संविधान और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में राज्य सबसे आगे रहेगा. बता दें, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सीएए और एनपीआर पर रोक लगाने की मांग की है.