Rajasthan Politics: राजस्थान में भाजपा नेता इन दिनों गहलोत सरकार की योजनाओं को लेकर जमकर हमलावर है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने आज गहलोत सरकार 100 यूनिट बिजली फ्री स्कीम पर जमकर हमला बोला वहीं केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना सहित अन्य योजनाओं को जमकर सराहा.
प्रदेश भाजपा कार्यालय पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार के वादे और इरादे में फर्क है. कांग्रेस कोई वादा भी करती है, तो उसके साथ शर्त जरूर लगाती है. कांग्रेस ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया तो उसके साथ शर्त लगाई कि उपभोक्ता का नाम रजिस्टर्ड होना चाहिए. फिर इन लोगों ने दिमाग लगाया कि इस मुफ्त बिजली की भरपाई कहां से करेंगे तो फ्यूल सरचार्ज लगाकर वसूली करने लगे. इसके बाद प्रदेश में 8 से 9 घंटे के पावर कट किए गए.
राज्यवर्धन सिंह राठौड ने कहा कि महिला सुरक्षा के नाम पर बात करें तो भीलवाडा की घटना ने प्रदेश को हैरान कर दिया जहां एक महिला का अपहरण किया गया और गैंगरेप किया गया. पुलिस ने गृहमंत्री के कहने पर पीडिता को ही झूठा बता दिया. इसके पीछे कारण यह था कि कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी राजस्थान दौरे पर आई हुई थी, जैसे ही प्रियंका गांधी वापिस गई तो पुलिस ने मान लिया कि हां गैंगरेप हुआ था. वहीं आज सूरतगढ में एक महिला का जला हुआ शव बरामद हुआ है. इसके अलावा कांग्रेस ने कोटा में रिवरफ्रंट के नाम पर हजारों करोड लगाकर उसे तैयार किया और जब उदद्धाटन की बात आई तो कांग्रेस के नेता छिपते फिर रहे हैं. इसका कारण यह है कि कांग्रेस को पता है इसमें जनता की गाढी कमाई को लगाकर घोटाला किया गया है. वहीं अजमेर में अवैध तरीके से सेवन-वंडर का निर्माण कराया गया और अब एनजीटी ने उस निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया है.
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राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस का काम ही यही है कि लुभावने वादे और इरादे कुर्सी बचाने के. यदि तुलना करें केंद्र की मोदी सरकार से तो बीते नौ सालों में मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि की घोषणा की तो अभी तक 14 किस्तें जारी भी हो चुकी है. उज्जवला में करोड़ों महिलाओं को गैस कनेक्शन, गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड भारतीयों को पांच किलो अनाज मुफ्त देना, धारा 370 हटाना और राम मंदिर निर्माण जैसे सभी वादे पूरे करके दिखाए.
राज्यवर्धन राठौड ने संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने फिक्स चार्ज और फ्यूल सरचार्ज के नाम पर जनता से वसूली बराबर जारी रखी. 1 जून 2023 से मुफ्त बिजली की घोषणा की गई और लोगों से अगस्त 2023 तक फ्यूल सरचार्ज ले रहे थे. शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के बजट में 83 करोड की बिजली सब्सिडी दी गई थी, लेकिन सरकार ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 37 करोड़ 22 लाख की वसूली कर ली ये है कांग्रेस का विकास और जनकल्याण. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के लिए 60 करोड की सब्सिडी दी थी और उसमें से फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 19 करोड की वापस जनता से ही वसूली कर ली. जब कांग्रेस को जून में मुफ्त बिजली की घोषणा करनी थी तो जनता को लूटने की तैयारी पहले से ही शुरू कर दी जिसके तहत मार्च-अप्रैल 2023 में 30 पैसे और 45 पैसे फ्यूल सरचार्ज बढाया गया. इसके बावजूद भी प्रदेश के काफी लोगों को मुफ्त बिजली योजना का लाभ नहीं मिला और उनके बिजली बिल बढकर आए.
राज्यवर्धन सिंह राठौड ने कहा कि अकेले जयपुर में 5 हज़ार से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर खराब होने से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली संकट पैदा हो गया. इसका मूल कारण यह था कि सरकार के पास ना तो साधन थे और ना ही संसाधन, इस काम के लिए जो बजट आया था वह अन्य जगहों पर डायवर्ट कर दिया गया. खुद सरकार के मंत्री अशोक चांदना सरकार के खिलाफ बिजली की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए इससे बुरा हाल क्या होगा. इसके अलावा एक दिलचस्प वाक्या हुआ जिसमें सरकार ने जिस अधिकारी को श्रेष्ठ अधिकारी बताकर पुरूष्कृत किया उसी अधिकारी को कुछ समय बाद सस्पेंड कर दिया. अब सवाल यह है कि पुरूष्कृत करना सही था या सस्पेंड करना सही था.
राज्यवर्धन सिंह राठौड ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोयला खरीद और कोल क्लिनिंग के नाम पर 75 पैसा फ्यूल सरचार्ज बढाया जबकि सरकार के पास कोयला ही नहीं था. सवाल ये है कि जब कोयला था ही नही कोल क्लिनिंग किस बात की. वहीं सरकार ने कोल इंडिया से कोयला खरीदा और उसका भुगतान भी नहीं किया, जिसके चलते 631 करोड रूपया कोेल इंडिया का बकाया चल रहा है. उसके बावजूद कोल इंडिया ने कहा कि आपके हिस्से का 17.80 लाख टन कोयला स्टॉक में है, लेकिन सरकार ने महज 5.04 टन कोयला ही उठाया. ये हाल तो तब है जब इन्हे खोदना भी नहीं है केवल आरसीआर के द्वारा यह कोयला लाना है, और यह सूचना इसी 10 सितंबर की है. केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को 91 हैक्टेयर क्षेत्र में मायनिंग ऑपरेशन की अनुमति फरवरी 2022 में ही दे दी थी, लेकिन कांग्रेस की छत्तीसगढ सरकार ने उन्हे कोल मायनिंग के लिए वह जमीन ही हैंडओवर ही नहीं की. आज प्रदेश के 23 थर्मल पावर प्लांट में से 12 पावर प्लांट बंद पडे हैं. बिजली कटौती के नाम पर जब सरकार से पूंछो तो टैक्निकल इश्यू बताते हैं. आज प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता इतनी घट गई है कि खुले बाजार में प्रदेश सरकार को क्रेडिट पर बिजली तक नहीं मिलती है. पैसे दो और बिजली लो इस तर्ज पर इन्हे बिजली मिलती है. इस योजना के तहत इन्हे 08 रूपए से 18 रूपए और कई बार बढकर 22 रूपए प्रति यूनिट में बिजली खरीदनी पड रही है. मतलब औसत पड रहा है 08 से 12 रूपए प्रति यूनिट बिजली खरीदी जा रही है.