Rajasthan Politics: राजस्थान में 200 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनावों में जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट काफी अहम है. वैसे तो यहां पिछले 10-20 सालों से कांग्रेस और बीजेपी का ही राज रहा है. वर्तमान में कांग्रेस सरकार में मंत्री लालचंद कटारिया यहां से विधायक हैं जबकि 2008 और 2013 में बीजेपी के राजपाल सिंह शेखावत यहां से विधायक रहे. इस बार दो नए चेहरे यहां से ताल ठोक रहे हैं. दोनों प्रत्याशी समाजसेवी बनकर पिछले कुछ सालों से जनता के बीच में पैठ बनाने का प्रयास कर रहे हैं. एक उम्मीदवार बीजेपी की ओर से टिकट मांग रहा है लेकिन यहां से राजपाल सिंह शेखावत का दावा काफी मजबूत है. ऐसे में उनके एक बार फिर से निर्दलीय मैदान में उतरने की संभावना बन रही है. वहीं दूसरा प्रत्याशी भी एक भामाशाह है और पिछले कुछ सालों में इस इलाके के कुछ सरकारी विद्यालयों को गोद लेकर लगातार काम कर रहा है. हाल में उन्होंने कभी इस इलाके की लाइफ लाइन समझे जाने वाले कालख बांध में जल भराव का मुद्दा उठाकर रातों रात मीडिया में अपनी पहचान बना ली. उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए 10 करोड़ रुपए की सहायता की पेशकश भी की है.
सुरपुरा बनाम जाखड़ में होगी कांटे की टक्कर
समाजसेवी एवं बीजेपी नेता राजेंद्र सिंह सुरपुरा और नई नवेली भारत नव निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनदयाल जाखड़ झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में जमकर पसीना बहा रहे हैं. शक्ति प्रदर्शन के नाम पर दोनों ही नेता पानी की तरह पैसा भी बहा रहे हैं. सुरपुरा पिछले एक दशक से बीजेपी से विद्याधर नगर या झोटवाड़ा से टिकट मांग रहे हैं लेकिन पिछले दो चुनावों में उन्हें निराशा ही हाथ लगी. नाराज होकर सुरपुरा ने पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ा लेकिन हार गए. इसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ा और दो बार के विधायक राजपाल सिंह शेखावत को हार झेलनी पड़ी. इस बार शेखावत की लंबे समय से क्षेत्र में असक्रियता सुरपुरा का टिकट पक्का कर रही है. लेकिन सुरपुरा जिस तरह से मेहनत कर रहे हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि अगर इस बार भी टिकट नहीं मिली तो वे फिर से निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं.
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इधर, दीनदयाल जाखड़ की टीम वंदे मातरम टीम झोटवाड़ा के अलावा जोबनेर, कोटपुतली आदि इलाकों में जमकर जाखड़ के लिए प्रचार प्रसार कर रही है. हाल में जाखड़ ने कालख बांध के लिए अभियान चलाकर मीडिया की सुर्खियां बटौरी है. उन्होंने कालख बांध में पानी न आने तक नंगे पैर रहने का संकल्प लिया है. इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्र की लाइफ लाइन को फिर से जीवित करने के लिए 10 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है. उन्होंने क्षेत्र के 8 सरकारी स्कूलों को गोद लेकर युवा वर्ग में जगह बनाने की कोशिश की है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला इन दोनों के बीच ही होगी.
इस क्षेत्र में जाखड़ जहां समाजसेवा और कालख बांध के जरिए लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं. कालख बांध में जल भराव और बांड़ी नदी को यमुना नदी से जोड़ने की मांग को लेकर उन्होंने पदयात्रा भी की जिसमें स्थानीय लोगों ने उनका जमकर साथ दिया. वहीं राजेंद्र सिंह सुरपुरा क्षेत्र के इलाकों में मैराथन, खेल प्रतियोगिता आदि का आयोजन करते हुए युवा वर्ग को अपने पक्ष में करने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं.
जाखड़ और सुरपुरा दोनों जमकर इलाके में प्रचार प्रसार कर रहे हैं. इलाके के सभी बड़े होर्डिंग्स पर इन दोनों के ही बैनर लगे हैं. यहां आम जन के बीच दोनों की एक समाजसेवी वाली साफ सुधरी छवि है जिसे दोनों ही नेता भुनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं.
लालचंद कटारिया ढूंढ रहे सुरक्षित सीट
झोटवाड़ा के वर्तमान विधायक एवं सरकार में मंत्री लालचंद कटारिया इस बार अपने निर्वाचन क्षेत्र में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. सियासी बाजार में खबर गर्म है कि वे इस बार आमेर विधानसभा से अपना भाग्य आजमाने की जुगत में है और वहीं से टिकट की मांग कर रहे हैं. अगर कटारिया को यहां से हटाया जाता है तो यहां कांग्रेस को नया उम्मीदवार भी मिलता नहीं दिख रहा है जो इन नए चेहरों के सामने मुकाबला कर सके. वहीं राजपाल सिंह शेखावत यहां लंबे समय से एक्टिव नहीं दिख रहे हैं. वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में शेखावत ने इस क्षेत्र की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. यहां जो भी विकास कार्य होने थे, उन्हें चुनाव के ऐन वक्त पहले आधार शिला रखकर इतिश्री कर ली गयी थी. ऐसे में नाराज स्थानीय जनता ने उन्हें घर बैठाने में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाई थी. अगर टिकट बांटने में वसुंधरा राजे की चली तो ही शेखावत को यहां से टिकट हासिल हो सकता है.
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जाट और राजपूत आबादी है यहां निर्णायक
जातिगत गणना की बात करें तो झोटवाड़ा विधानसभा के शहरी इलाकों में बाह्ममण, अग्रवाल, राजपूत और मुस्लिम आदि की तादात है. वहीं ग्रामीण इलाकों में जाट, राजपूत और यादव बहुतायत संख्या में हैं. मीणा और लुहार जनजातियां भी यहां पायी जाती है. वैसे जाट और राजपूत यहां निर्णायक भूमिका में हैं. यह वोट बैंक जिसके पास गया, उसकी जीत पक्की है. राजपूत समाज परंपरागत रूप से बीजेपी के सपोर्ट में है जबकि जाट समाज उम्मीदवार पर दांव खेलता है. यादव समाज बंटा हुआ है जबकि मीणा सहित अन्य जनजातियां कांग्रेस के साथ है. शेखावत और सुरपुरा राजपूत समाज से आते हैं. अगर ये दोनों मैदान में उतरते हैं तो राजपूत वोटर्स का बिखरना तय है. ऐसे में जाट और यादव वोटर्स का एक मुश्त किसी भी उम्मीदवार को मिलना निर्णायक साबित हो सकता है.
आंकड़ों में झोटवाड़ा विधान सभा सीट
झोटवाड़ा विधानसभा सीट जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में आती है. यहां कुल 3,56,039 मतदाता हैं. जिनमें से 1,86,731 लाख पुरुष और 1,69,308 महिला वोटर्स है. 2018 में इस सीट पर रिकॉर्ड मतदान 71.65 हुआ था. वर्ष 2013 में 74.61 और 2008 में 61.7 मतदान हुआ था. 2013 में बीजेपी के राजपाल सिंह शेखावत को 19,602 मतों से जीत मिली थी. वर्ष 2008 में राजपाल सिंह शेखावत को 2,455 मतों से जीत मिली, मगर इसके बाद से इस सीट पर हार और जीत के मतों में बड़ा अंतर आ गया.
कुछ ऐसा रहा 15 सालों का हिसाब
वर्ष 2008 में इस विधान सभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. राजपाल सिंह शेखावत यहां से विजयी उम्मीदवार बनकर सदन में पहुंचे थे. उस दौरान कांग्रेस के लाल चंद कटारिया 66,396 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. कटारिया 2 हजार मतों से हार गए. 2013 में शेखावत ने फिर से एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया और कांग्रेस की रेखा कटारिया को 20 हजार से अधिक मतों से पटखनी दे दी. 2018 में कांग्रेस के लाल चंद कटारिया ने 11 हजार मतों से बीजेपी के राजपाल सिंह शेखावत को एक तरफा मुकाबले में हरा पिछली हार का बदला चुकता किया. 1980 से अब तक हुए कुल 5 चुनावों में कांग्रेस को चार और बीजेपी को तीन बार यहां से जीत का स्वाद चखने का मौका मिल चुका है. इस बार नए चेहरों पर चल रही चर्चाओं के बीच राजेंद्र सिंह सुरपुरा और दीनदयाल जाखड़ के बीच एक रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.