गहलोत ने पीएम मोदी से मनरेगा की तर्ज पर शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना शुरू करने की मांग की

प्रधानमंत्री मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ वीसी के दौरना सीएम गहलोत ने दिए कई अहम सुझाव, राज्यों को मिले जोन निर्धारण की छूट, कृषि उत्पादन के 50 प्रतिशत तक हो एमएसपी पर खरीद, उद्योग एवं व्यापार जगत को मिले व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज, राज्यों को मिलने वाली ऋण सीमा 3 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत हो

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पॉलिटॉक्स न्यूज़. वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के दौरान सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पांचवे दौर की वार्ता की. इस दौरान पीएम मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से 17 मई के बाद लॉकडाउन की स्थिति को लेकर फीडबैक लिया तथा कोरोना संकट से उपजे आर्थिक संकट से मुकाबला करने के लिए सुझावों के साथ साथ राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ली. वार्ता के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी से मनरेगा की तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना शुरू करने का आग्रह किया है. सीएम गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी पर गुजर-बसर करने वाले, गरीब, मजदूर एवं जरूरतमंद तबके की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे लोगों को रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र मनरेगा की भांति ही शहरी क्षेत्र के लिए भी ऐसी योजना लाने पर विचार करे. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए न्यूनतम 200 दिन रोजगार उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया.

मिलकर लड़नी होगी अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने की जंग

अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने वार्ता के दौरान कहा कि अब केन्द्र एवं राज्य सरकारों को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लड़नी है. एक तरफ कोरोना से जीवन बचाने की जंग तो दूसरी तरफ आजीविका बचाने और आर्थिक हालात पटरी पर लाने की लड़ाई. सीएम गहलोत ने आगे कहा कि लॉकडाउन के कारण केन्द्र एवं राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है. केन्द्र की मदद के बिना यह असंभव है कि राज्य इस संकट का मुकाबला कर सकें. इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र जल्द से जल्द व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए. एमएसएमई, मैन्यूफैक्चरिंग, सर्विस, टूरिज्म, रियल एस्टेट सहित तमाम सेक्टर्स को संबल की जरूरत है. इकोनॉमिक रिवाइवल के लिए जरूरी है कि ऐसे उपाय हों जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढे़, उन्हें रोजगार मिले तथा उद्योगों को भी राहत मिले.

सामाजिक सुरक्षा पर देना होगा जोर

मुख्यमंत्री गहलोत ने आगे कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता जरूरतमंद वर्ग की मदद करना है. हमें ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले. सीएम गहलोत ने बताया कि इस समय बेरोजगारी की दर 37.8 प्रतिशत हो गई है जो सर्वाधिक है.

राज्यों को मिले जोन निर्धारण की छूट

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि केन्द्र द्वारा घोषित लॉकडाउन का राज्य सरकारों और आमजन ने पूरी इच्छाशक्ति और संकल्प के साथ पालन किया है. अब अगले चरण में विभिन्न जोन के निर्धारण और प्रतिबंधों को लागू करने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए. केन्द्र सरकार के मानक दिशा-निर्देशों के अनुरूप रहते हुए राज्यों को यह अधिकार मिले जिससे कि वे स्थानीय स्तर पर यह तय कर सकें कि किन गतिविधियों के लिए उन्हें छूट देनी है और किन को प्रतिबंधित रखना है.

कृषि उत्पादन के 50 प्रतिशत तक हो एमएसपी पर खरीद

संकट की इस घड़ी में किसानों को संबल देना हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए. किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, चने एवं सरसों की खरीद की सीमा को कृषि उत्पादन के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया जाए.

टिड्डी नियंत्रण में मिले सहायता

प्रदेश में एक बार फिर से बढ रहे टिड्डियों के प्रकोप की सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को जानकारी दी और इसके नियंत्रण में सहयोग का आग्रह किया. सीएम गहलोत ने कहा कि बीते साल टिड्डियों के हमले के कारण प्रदेश के 12 जिलों में फसलों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा था. इस साल 11 अप्रैल से ही प्रदेश में टिड्डियों के हमले शुरू हो गए हैं और अजमेर तक भी टिडडी दल पहुंच गए हैं.

उद्योग एवं व्यापार जगत को मिले व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज

कोरोना महामारी का बड़ा प्रतिकूल प्रभाव उद्योग एवं व्यापार जगत पर पड़ा है. डेढ़ महीने से अधिक समय से औद्योगिक गतिविधियां ठप हैं. ऐसे में उन्हें उबारने के लिए केन्द्र एक व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए, जैसा वर्ष 2008 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय दिया गया था.

राज्यों को मिलने वाली ऋण सीमा 3 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत हो

राज्यों को मिलने वाली शुद्ध ऋण सीमा को जीडीपी के 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत बिना शर्तों के की जाए. इस मुश्किल समय में राज्य सरकार जरूरतमंद, निराश्रित एवं बेसहारा लोगों को संबल देने के लिए तमाम जरूरी कदम उठा रही हैं. ऐसे में उन्हें वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं रहे इसके लिए यह अनुमत किया जाए. सीएम गहलोत ने एफआरबीएम एक्ट के तहत राजकोषीय घाटे की सीमा 6 माह तक जीडीपी के 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत तक करने का भी सुझाव दिया.

जीएसटी क्षतिपूर्ति को 5 वर्ष और बढ़ाया जाए

सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोना के कारण हर राज्य की स्थानीय परिस्थितियों एवं आर्थिक स्थिति को देखते हुये जीएसटी के तहत राज्यों को वर्ष 2022 तक दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अवधि को 5 वर्ष और बढ़ाया जाए.

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54 लाख लोगों को मिले खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ

मुख्यमंत्री ने आगे पीएम मोदी से कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में लाभार्थियों के चयन का आधार वर्ष 2011 की जनगणना है. वर्तमान विशेष परिस्थितियों को देखते हुए लाभार्थियों की संख्या को 2019-20 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर तुरन्त बढ़ाया जाए. सीएम गहलोत ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने मई महीने में एफसीआई से 21 रूपए प्रति किलो की बाजार दर से गेहूं खरीदकर करीब 54 लाख ऐसे लोगों को वितरित किया है जिन्हें एनएफएसए का लाभ नहीं मिल पा रहा था. इन लोगों को प्रति व्यक्ति 10 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने करीब 78 करोड़ रूपए खर्च किए हैं. लॉकडाउन के कारण विषम वित्तीय हालात को देखते हुए राज्य सरकार हर महीने यह खाद्यान्न उपलब्ध नहीं करा पाएगी. वंचित लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिले इसके लिए केन्द्र सरकार से सहायता का अनुरोध किया.

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