Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में मंत्रिमंडल पुनर्गठन और बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियों का काउंट डाउन जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद इस बात के संकेत दे चुके हैं. किसी भी समय वो तारीख भी आ सकती है जिसका इंतजार कांग्रेस के कई विधायक करीब सवा साल से हाथ पर हाथ धर कर रहे थे. इन सब के बीच सियासी गलियारों में मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर गपशप का दौर जारी है. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पुनर्गठन का इशारा दिए जाने के बाद से मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नए नामों और कुछ मौजूदा मंत्रियों की विदाई को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल पुनर्गठन का पूरा फॉर्मूला तैयार है जिस पर आलाकमान की मुहर भी लग चुकी है, अब सिर्फ राहुल गांधी के अवलोकन के बाद सीएम गहलोत कभी भी इसकी घोषणा कर सकते हैं.
मंत्रिमंडल पुनर्गठन का फॉर्मूला तैयार
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन का फॉर्मूला मिशन 2023 को ध्यान में तैयार रखकर किया गया है. कांग्रेस पार्टी को चुनाव जिताने वाले और व्यापक प्रभाव वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में मौका मिलेगा. राजस्थान की गहलोत सरकार में फिलहाल सीएम को मिलाकर कुल 21 मंत्री हैं जिनमें 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हैं. विधायकों की संख्या के हिसाब से तय कोटे के तहत 30 मंत्री बन सकते हैं. इसके मुताबिक 9 सीटें खाली पड़ी हैं और नए मंत्रियों का इंतजार कर रही हैं. सीएम गहलोत खुद नए सिरे से कैबिनेट बनाने का बयान दे चुके हैं. नए फॉर्मूले के हिसाब से अब जातीय, क्षेत्रीय, पार्टी के अंदरूनी, सरकार के सहारे, निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायक और युवा-अनुभव जैसे समीकरणों को साधने का प्रयास होगा.
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यह तो तय माना जा रहा है कि दो पद वाले 3 मंत्रियों को हटाने पर कुल 12 जगह खाली हो जाएगी. वहीं सियासी सूत्रों का कहना है कि अभी चुनाव में दो साल का समय है, ऐसे में ये भी तय है कि सरकार एक या दो पद खाली भी रखे जो कि अंतिम समय तक लॉलीपॉप के तौर पर काम आएंगे. वहीं यूपी में टिकट वितरण में महिलाओं की भागीदारी को लेकर प्रियंका गांधी के फॉर्मूले के तहत राजस्थान में दो या तीन महिला विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है.
पायलट को एडजस्ट कैसे किया जाता है इस पर सभी की नजरें
राजस्थान में सीएम गहलोत के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पायलट कैंप को कैसे एडजस्ट किया जाए. कैंप को तो फिर भी एडजस्ट कर लिया जाएगा. लेकिन पायलट की भूमिका को लेकर अब संशय बना हुआ है. हालांकि सचिन पायलट ने कल उदयपुर दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं से कहा कि,’ चिंता मत करो मैं कहीं जाने वाला नहीं हूं मैं यहीं हूं आपके साथ‘. इस बयान के बाद माना जा रहा है कि पायलट को राजस्थान में ही एडजस्ट किया जाएगा. उच्च सियासी सूत्रों को कहना है कि संगठन में अगर पायलट को भेजा जाता है तो पायलट को एक बार फिर पीसीसी चीफ बनाया जाएगा. अगर सत्ता में पायलट की फिर से एंट्री होती है तो उन्हें गहलोत सरकार में गृहमंत्री का पद दिया जाएगा. बात करें पायलट कैंप से तो मुरारीलाल मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, बृजेंद्र सिंह ओला, हेमाराम चौधरी, रमेश मीणा मंत्री बनने के दावेदार हैं. साथ ही अगर संसदीय सचिव फॉर्मूल लागू किया जाता है तो मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया और इंद्राज गुर्जर की भी लॉटरी लग सकती है.
डोटासरा, रघु और हरीश की जगह कई दावेदार
इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन में एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत लागू किया जाएगा. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के पास संगठन में पद होने के कारण एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के हिसाब से उन्हें मंत्री पद से हटाना तय माना जा रहा है. तीनों की जगह नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी. यह भी तय है कि इनके हटने के बाद दो जाट और एक सीनियर ब्राह्मण नेता को इनकी जगह एडजस्ट किया जाएगा. डोटासरा और हरीश चौधरी की जगह जाट चेहरों के तौर पर रामलाल जाट, बृजेंद्र सिंह ओला, हेमाराम चौधरी, नरेंद्र बुडानिया के नाम चर्चा में है तो निर्दलीय महादेव सिंह खंडेला का नाम भी दावेदारों में है. वहीं रघु शर्मा की जगह राजेंद्र पारीक, महेश जोशी, राजुकमार शर्मा दावेदार हैं. राजकुमार शर्मा पिछली गहलोत सरकार में चिकित्सा राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
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संसदीय सचिव बनाकर दिए जाएंगे ठंडे पानी के छिंटे
फिर वहीं ‘एक अनार सौ बीमार‘ वाली स्थिति से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ की तर्ज पर संसदीय सचिव वाला फॉर्मूला तैयार है. राजस्थान में 15 संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं. इससे सीएम गहलोत के सियासी कलह के दौरान खेमे में डटे रहे विधायकों, बसपा से आए विधायकों, निर्दलीय विधायकों और पायलट कैंप के युवा विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने की चर्चा है
दलित-आदिवासी चेहरों में ये दावेदार
गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन में दलित और आदिवासी चेहरे भी देखने को मिल सकते हैं. सामाजिक न्याय मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद गहलोत सरकार में कोई दलित कैबिनेट मंत्री नहीं है. सचिन पायलट ने हाल ही में चाकसू में इस बात का जिक्र भी किया था. मास्टर भंवरलाल मेघवाल की जगह मंजू मेघवाल को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. दलित वर्ग से विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, परसराम मोरदिया, अशोक बैरवा, गोविंद मेघवाल भी दावेदार हैं. आदिवासी चेहरों के तौर पर महेंद्रजीत मालवीय, दयाराम परमार के नाम दावेदारों में हैं. वरिष्ठ विधायक रामनारायण मीणा को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा जोरों पर हैं.
बसपा से कांग्रेसी बने और सरकार के ‘सारथी’ रहे निर्दलीय भी कतार में
गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल होने वालों में बसपा से कांग्रेस में आने वालों में राजेंद्र सिंह गुढ़ा, जोगिन्दर सिंह अवाना, लाखन सिंह दावेदारी कर रहे हैं. बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले छ विधायक ही दावेदारी कर रहे हैं. निर्दलीयों में महादेव सिंह खंडेला, संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर के नाम चर्चा में हैं. हालांकि पंचायत चुनाव में नागर परिवार को मिली हार के बाद उनके तेवर थोड़ ढीले पड़े हैं.
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सियासी गलियारों में इनके नाम भी हैं चर्चा में
मंत्रिमंडल पुनर्गठन में कई विधायकों के नाम सियासी गलियारों में तैर रहे हैं. अल्पसंख्यक वर्ग से अमीन खान, जाहिदा, दावेदारों में है. गुर्जर चेहरों के तौर पर शकुंतला रावत, डॉ. जितेंद्र सिंह और राजेंद्र सिंह बिधूड़ी के नाम दावेदारों में है. नहरी क्षेत्र से गुरमीत सिंह कुनर दावेदार है. रमेश मीणा या मुरारी मीणा में से एक को लेकर सट्टा तक लग रहा है. हेमाराम चौधरी या बृजेन्द्र ओला में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है. दीपेंद्र सिंह शेखावत का भी नाम लिस्ट में शामिल है. सचिन पायलट की सूची में विश्वेन्द्र सिंह का नाम शामिल नहीं है. विश्वेन्द्र सिंह को लेकर फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को करना है.
बात करें वर्तमान मंत्रियों के प्रमोशन की
वर्तमान मंत्रिमंडल में खेल मंत्री अशोक चांदना का प्रमोशन होना तय माना जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद इसके संकेत बूंदी में हुई जनसभा में दे दिए हैं. सीएम गहलोत ने कहा था कि चांदना का भविष्य उज्जवल है. अलवर जिले से आने वाले मंत्री टीकाराम जूली को प्रमोशन मिल सकता है.