‘वसुंधरा राजे ने हाउसिंग बोर्ड को बंद करने की बात कुछ सोच-समझकर ही की होगी, हर बात को राजनीति के चश्में से नहीं देखें’

हमने सपना तो प्रदेश की जनता को घर देने का दिखाया ओर इसका उपयोग हमने बोर्ड की बेशकीमती जमीनों को अपने चहेतों को देने में किया. विधायकों को भी 50 लाख के मकान 15 लाख रूपये में देने का काम हाउसिंग बोर्ड ने किया है- संयम लोढ़ा

हाउसिंग बोर्ड अधिनियम पर विधायक संयम लोढ़ा
हाउसिंग बोर्ड अधिनियम पर विधायक संयम लोढ़ा

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. राजस्थान विधानसभा में राजस्थान आवासन मंडल संशोधन अधिनियम 2020 पारित किया गया. अधिनियम पर चर्चा का जवाब देते हुए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड अधिनियम में नई धारा 51 क जोडी जाएगी. इसके तहत हाउसिंग बोर्ड शक्तियां मिलेंगी और भू राजस्व अधिनियम 1956 के तहत बकाया वसूली के अधिकार मिलेंगे. इस अधिनियम के तहत आवंटी द्वारा बकाया नहीं चुकाने पर उसकी संपत्ति कुर्क भी की जा सकेगी. वहीं मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी माने विधायक संयम लोढ़ा ने अधिनियम के खिलाफ मंत्री धारीवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाउसिंग बोर्ड को बंद करने की बात कुछ सोच-समझकर ही की होगी, हर बात को राजनीति के चश्में से नहीं देखना चाहिए.

आवासन मंडल संशोधन अधिनियम पर सदन में हुई चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष ने जहां विपक्ष ने बिल का हल्का फुल्का विरोध कर हाउसिंग बोर्ड को महत्वपूर्ण सुझाव दिए, वहीं बोर्ड की गतिविधियों का विरोध करते हुए सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने कहा कि जब मैं विधानसभा में पहली बार 1998 में चुन कर आया तब से कांग्रेस सरकार में शांति धारीवाल को हाउसिंग बोर्ड महकमा मिला. यह महकमा आज एक जीवंत महकमा है. नगरीय निकाय के बारे में शांति धारीवाल जी से ज्यादा ज्ञान किसी को नहीं है. लेकिन पिछले कुछ दिन से जो बिल सदन में लाए जा रहे है पता नहीं उन पर धारीवाल जी गौर क्यों नहीं करते. जैसे बिल अधिकारी लाकर देते है उनकों सदन में पेश कर देते है.

विधायक लोढ़ा ने कहा कि धारीवाल जी ने सदन में बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जी ने इस विभाग को बंद करने की बात कही थी. हर बात को राजनीतिक चश्में से नहीं देखना चाहिए. वो प्रदेश की मुख्यमंत्री रही है उनकी कुछ समझ रही होगी, उन्होंने ये टिप्पणी की तो कुछ सोच समझकर ही की होगी. हाउसिंग बोर्ड का इतिहास वसुंधरा राजे की टिप्पणी को सही बताता है. सीएम अशोक गहलोत ने भी इसी तरह की टिप्पणी की बहुत अच्छा होता की 50 साल पूरा होने के मौके पर हाउसिंग बोर्ड के पूरे लेखों जोखों पर विचार करके बोर्ड को बंद करने का सरकार निर्णय लेती, बोर्ड की संपत्तियों को स्थानीय निकायों में मर्ज कर देती.

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विधायक संयम लोढा ने आगे कहा कि सरकार बोर्ड को अधिकार तो बहुत से देना चाहती है, पहले अधिकार नहीं थे फिर भी क्या-क्या काम हाउसिंग बोर्ड ने नहीं किये हैं कभी सरकार ने उन पर कार्रवाई करने की सोच रखी है? हमने सपना तो प्रदेश की जनता को घर देने का दिखाया ओर इसका उपयोग हमने बोर्ड की बेशकीमती जमीनों को अपने चहेतों को देने में किया. विधायकों को भी 50 लाख के मकान 15 लाख रूपये में देने का काम हाउसिंग बोर्ड ने किया है. लोकायुक्त ने जांच बनाकर पूरी रिपोर्ट भेज दी, क्या हुआ आज तक वो मकान सरकार वापस ले पायी? जिन अधिकारियों ने उसमें भागीदारी निभाई उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाये?

विधायक लोढा ने आगे कहा कि जयपुर शहर में निर्माण पर बैन है इसके बावजूद वहां बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं. उनके आस पास जो छोटे मकान वाले रह रहें हैं उनकी प्राइवेसी खत्म हो गयी है. लोगों की हवा और रोशनी को हम खा गये है. अब अधिकार देने में भी सरकार की नीयत साफ नहीं है. हाउसिंग बोर्ड की दो पैसे की पैठ नहीं है. हाउसिंग बोर्ड के मकान खरीदने कोई आयेगा नहीं इतना घटिया किस्म का निर्माण बोर्ड द्वारा किया जाता है. हाउसिंग बोर्ड के मकानों में रहने की बात तो दूर कोई उन मकानों की शक्ल तक नहीं देखना चाहता है. इससे अच्छा है जेडीए, निगम और नगर पालिका में बोर्ड का मर्ज करना चाहिए जिससे 50 साल की कालिख से जनता मुक्त हो.

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बता दें, सदन में आवासन मंडल अधिनियम पारित होने के बाद से हाउसिंग बोर्ड की शक्तियां बढ गई हैं. अब अतिक्रमण की शिकायतों पर अंकुश लगाने के लिए बोर्ड में विजीलेंस विंग बनाई जायेगी. इस विजिलेंस विंग में पुलिस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर काम करेंगे. यह विंग नोटिस देकर सम्पत्ति को सील और तोडफोड की कार्रवाई भी कर सकेगी. यह विंग समय समय पर आने वाली शिकायतों के संबंध में जांच कर निर्णय ले सकेगी और संबंधित पुलिस थाने में अपराध की प्रक्रिया के तहत दोषी को दण्ड दिलाने का कार्य कर सकेगी. इस कानून की पालना नहीं करने पर व्यक्ति को जुर्माना और सजा का प्रावधान भी होगा.

गौरतलब है कि राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के इतिहास के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास रहा. विधानसभा में बोर्ड के संशोधन अधिनियम के पारित होने से बोर्ड को अपनी जमीन से अतिक्रमण हटाने के अधिकार सहित कई अन्य महत्ववूर्ण अधिकार भी बोर्ड को मिल गए. बोर्ड के स्वर्ण जयंती वर्ष में हाउसिंग बोर्ड को सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण तोहफा से कम नहीं है. सदन में इस बिल के पारित होने से बोर्ड के अधिकारियों कर्मचारियों में खुशी का माहौल देखा गया. गौरतलब है कि हाउसिंग बोर्ड के पवन अरोडा को आयुक्त बनाये जाने के बाद से बोर्ड आये दिन नये मुकाम हासिल कर रहा है.

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