पॉलिटॉक्स न्यूज. राम मंदिर, राफेल और सबरीमाला पर फैसला सुनाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया अब राज्यसभा में बतौर सांसद जाएंगे. गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है. केंद्र सरकार की ओर से सोमवार देर शाम जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा. वे पिछले साल नवंबर में ही रिटायर हुए हैं. उन्हें राज्यसभा भेजने पर ओवैसी खासे उखड़े हुए दिख रहे हैं.
पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने टवीट करते हुए लिखा, ‘क्या यह ‘इनाम’ है? लोगों को जजों की स्वतंत्रता में यकीन कैसे रहेगा? कई सवाल हैं.’
Is it “quid pro quo”?
How will people have faith in the Independence of Judges ? Many Questions pic.twitter.com/IQkAx4ofSf— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 16, 2020
18 नवंबर 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने साल 1978 में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी. रंजन गोगोई ने शुरुआत में गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की. उनको संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों का दिग्गज वकील माना जाता था. इसके बाद उनको 28 फरवर 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायमूर्ति नियुक्त किया गया. 9 सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया. 23 अप्रैल 2012 को उन्हें प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया. जब दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए, तो उनकी जगह जस्टिस रंजन गोगोई को चीफ जस्टिस बनाया गया.
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 सदस्यीय बेंच ने राम मंदिर का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया. अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई ने ही लिया था. इससे पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते थे.
बताते चलें कि पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पिता केसब चंद्र गोगोई है जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. वे 1982 में असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.