Politalks.News/Delhi. साल 2021 के मध्य में विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है. हाल ही में कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव और उप चुनाव में कांग्रेस के गिरते प्रदर्शन को देखते हुए, आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अभी से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी दे दी गई है, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने आगामी चुनावों की जिम्मेदारी संभाल ली है.सोनिया गांधी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मुकुल वासनिक, बीके हरिप्रसाद समेत अन्य दिग्गजों को आगामी विधानसभा चुनाव की कमान सौपीं है. ये सभी नेता इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति का अहम् हिस्सा होंगे.
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इस साल अप्रैल और मई महीने में असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने है. इन्ही को मद्देनजर रखते कांग्रेस ने अपने शीर्षस्थ नेताओं को इन राज्यों का आब्जर्वर घोषित किया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मुकुल वासनिक और शकील अहमद खान को असम की जिम्मेदारी मिली है. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, लुईजिनो फ्लेरियो और जी परमेश्वर को केरल का पर्यवेक्षक बनाया गया है. तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली, एमएम पल्लम राजू और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितिन राउत को वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है. वही पश्चिम बंगाल के लिए वरिष्ठ नेता बीके हरि प्रसाद और पंजाब सरकार के मंत्री विजय इंदर सिंघला एवं झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है.
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सोनिया गांधी ने जिन दिग्गजों को इन विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौपीं है, वे इन विधानसभा चुनाव में अपने अनुभव और अपनी रणनीति को चुनाव अभियान प्रबंधन एवं पार्टी में समन्वय स्थापित करने में उपयोग लेंगे. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जो संबंधित राज्यों के प्रभारियों के साथ निकट समन्वय में काम करेंगे.
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गौर करने वाली बात यह है कि इन नेताओं को उक्त जिम्मेदारियां ऐसे समय पर दी गई हैं जब कांग्रेस के भीतर ही शीर्ष
नेतृत्व को लेकर अंदरूनी कलह की खबरें सामने आ रही है. यही नहीं कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता संगठन में आमूलचूल बदलाव की वकालत कर रहे हैं. वैसे इन नियुक्तियों ने इतना तो बता ही दिया है कि पार्टी आगे भी गांधी परिवार के निर्देशों पर काम करेगी.