अदालत के आदेश पर पूर्व राज्यपाल कमला के घर नोटिस

झोटवाड़ा में सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला, कमला बेनीवाल और 14 अन्य लोग आरोपों के घेरे में

Kamla Beniwal
Kamla Beniwal

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान की पुरानी वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मिजोरम की पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल (Kamla Beniwal) के घर पर जिला एवं सत्र अदालत के आदेश से नोटिस चिपका दिया गया है. कमला पर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप है. यह मुकदमा 2012 में दर्ज हुआ था. जयपुर में जमीन पर कब्जे के मामले में मजिस्ट्रेट ने कमला सहित 15 लोगों के खिलाफ लगे आरोपों पर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लिया था और सभी आरोपियों को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था. कमला सहित आरोपियों ने आदेश के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सामने अपील की थी. सुनवाई के दौरान कमला बेनीवाल (Kamla Beniwal) अदालत में पेशी पर हाजिर नहीं हो सकी.

जिला एवं सत्र न्यायालय क्रमांक-4 के जज राजेश शर्मा ने 14 अक्टूबर को आरोपियों के पेशी पर हाजिर नहीं होने के बाद उनकी अपील खारिज कर दी थी और मंगलवार को उनके घरों पर नोटिस चिपकाने के आदेश दे दिए. इनमें से चार आरोपियों के घरों पर नोटिस चिपका दिए गए हैं, जबकि 10 को फोन से सूचना दे दी गई है. वकील एके जैन ने बताया कि इस मुकदमे के दो आरोपियों का निधन हो चुका है. अदालत ने सभी आरोपियों को 22 अक्टूबर को पेशी पर हाजिर होने के निर्देश दिए थे. उनके गैरहाजिर रहन पर उनके घरों पर नोटिस चिपकाने का आदेश जारी हुआ है. एके जैन मुकदमे के एक आरोपी संजय किशोर के वकील हैं.

यह मुकदमा झोटवाड़ा क्षेत्र में स्थित 384 बीघा (करीब 218.34 एकड़) जमीन से संबंधित है. यह जमीन सरकार ने 1953 में कृषि सहकारी समिति लिमिटेड को 25 रुपए प्रति एकड़ में सामुदायिक कृषि योजना के तहत 20 साल के लिए आबंटित की थी. कमला बेनीवाल (Kamla Beniwal) 1970 में इस सहकारी समिति की सदस्य बनी. तब 20 साल की लीज अवधि समाप्त होने के बाद लीज की अवधि पांच साल और बढ़ा दी गई थी. यह लीज अवधि भी 1978 में समाप्त हो गई. इसके बाद वह जमीन अपने आप सरकार के अधिकार में आ गई.

अक्टूबर-1999 में इस 384 बीघा जमीन में से 221 बीघा जमीन सरकार ने करधनी और पृथ्वीराज नगर आवासीय योजनाओं के लिए आबंटित कर दी. इसके बाद जमीन पर काबिज सहकारी समिति ने सरकार से मुआवजे की मांग की है और सरकार लीज खत्म होने के बाद कोई मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं है. लीज खत्म होने के बाद सरकार को जमीन अपने कब्जे में लेने का पूरा अधिकार है.

इस मामले में अदालत में शिकायत की गई है कि कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के वास्तविक सदस्यों को बाद में पीछे कर दिया गया और प्रभावशाली नेता समिति पर काबिज हो गए. उन्होंने समिति के नियमों में फेरबदल करने के बाद उस जमीन को अपने-अपने नाम पर बांट लिया है.

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