पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2019) के सिलसिले में मतदान के तुरंत बाद तमाम चैनलों ने एक्जिट पोल में भाजपा का जो आंधी-तूफान बताया था, उस पर इंडिया टुडे-एक्सिस पोल की मंगलवार को जारी मतदान बाद सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने करीब-करीब पानी फेर दिया है. इस सर्वेक्षण के मुताबिक हरियाणा में इस बार त्रिशंकु विधानसभा का गठन होने के आसार ज्यादा हैं और जननायक जनता पार्टी (JJP) के प्रमुख दुष्यंत चौटाला किंग मेकर के रूप में उभर सकते हैं.
इंडिया टुडे-एक्सिस पोल के एक्जिट पोल (Exit Poll) देखकर भाजपा और कांग्रेस, दोनों पार्टियां हैरान हैं. इन नतीजों के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस को 32 फीसदी वोटों के साथ 30 से 42 सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा को 33 फीसदी वोटों के साथ 32 से 44 सीटें मिलने की संभावना है. जेजेपी 14 फीसदी वोटों के साथ छह से 10 सीटें जीत सकती है. निर्दलीयों के खाते में भी छह से 10 सीटें जाती दिख रही हैं.
जानकारों का कहना है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेजेपी कांग्रेस के साथ आ सकती है. वह गैर जाट जनाधार वाली पार्टी भाजपा के साथ नहीं जाएगी. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा कुशल राजनीतिज्ञ हैं और बहुमत का आंकड़ा अपने पक्ष में नहीं होने पर जेजेपी के साथ तालमेल कर सकते हैं.
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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) का दावा है कि भाजपा करीब 48 सीटें मिलेंगी. जबकि तमाम टीवी चैनल अपने-अपने एक्जिट पोल में भाजपा को 60 से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना व्यक्त कर चुके हैं. इससे ऐसा माहौल बन गया है, जैसे भाजपा की एकतरफा जीत हो रही है. फलौदी के सट्टा बाजार में भी हरियाणा में भाजपा को ज्यादा से ज्यादा 41 सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की गई है.
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक भाजपा को इस बार अपनी मनमानी और मुख्यमंत्री खट्टर के अड़ियल रवैये से नुकसान हुआ है. इसके अलावा टिकट वितरण में भी गलतियां हुई हैं, क्योंकि भाजपा के रणनीतिकार यह मान बैठे थे कि वे जिसे उम्मीदवार बना देंगे, वह चुनाव जीत जाएगा. भाजपा के कई लोगों का अनुमान है कि जेजेपी 15 सीटों के पार जाएगी और अगर इंडिया टुडे-एक्सिस पोल का एक्जिट पोल सही निकला तो जेजेपी ही किंगमेकर बनेगी.
महाराष्ट्र में मतदान के बाद इंडिया टुडे-एक्सिस पोल के सर्वेक्षण के नतीजे करीब-करीब अन्य एक्जिट पोल (Exit Poll) जैसे ही हैं, जिसमें भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है. इस तरह महाराष्ट्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने की पूरी संभावना है. इस एक्जिट पोल के मुताबिक भाजपा-शिवसेना को 166 से 194 तक सीटें मिल रही हैं. इनमें अकेले भाजपा को 109 से 124 तक सीटें मिल सकती हैं. इस तरह देवेन्द्र फड़नवीस के पांच साल के लिए फिर से मुख्यमंत्री बनने के संकेत हैं. इससे पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता वसंत राव नाइक लगातार 11 साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं. उनके बाद फड़नवीस दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो फिर से पद संभालने के बाद 10 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे.
इंडिया टुडे-एक्सिस पोल (Exit Poll) की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार महाराष्ट्र में पार्टी बदलने वाले और बागी उम्मीदवार बड़े गेमचेंजर बने हैं. करीब 22 से 32 सीटों पर दलबदलू और बागी उम्मीदवार चुनाव जीत सकते हैं. कुछ सीटों पर भाजपा के बागी उम्मीदवार शिवसेना को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. देवेन्द्र फड़नवीस को इसका श्रेय दिया जा सकता है कि उन्होंने भाजपा की चुनावी रणनीति का सटीक मैनेजमेंट किया और तमाम खटपट के बाद भी शिवसेना को भाजपा से जोड़े रखा. इसके अलावा फड़नवीस बड़े विपक्षी नेताओं को भी भाजपा में लाए. कांग्रेस और राकांपा के बड़े क्षेत्रीय नेता अगर भाजपा में नहीं जाते तो चुनाव नतीजे अलग हो सकते थे.
फड़नवीस ने मराठा आंदोलन और किसान आंदोलन के बीच भी सत्ता विरोधी लहर को रोककर रखा. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के मुद्दे को भी भाजपा ने जमकर भुनाया और महाराष्ट्र में भाजपा की लहर बनी, जिससे महाराष्ट्र के पांच क्षेत्रों विदर्भ, कोंकण, उत्तर महाराष्ट्र, मुंबई और मराठवाड़ा में चुनावी मुकाबला एकतरफा रहा. सिर्फ पश्चिमी महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना को टक्कर मिली, जो कि राकांपा नेता शरद पवार का गढ़ माना जाता है. कांग्रेस-राकांपा गठबंधन अगर शरद पवार को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर देता तो चुनाव में बाजी पलट सकती थी.