dk shivkumar vs siddharamiya
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दक्षिण भारत के कर्नाटक में अली-बली-बजरंग बली के हंगामे के बीच कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की. अब सभी की नजरें इस सवाल पर टिकी हैं कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा. कर्नाटक में शाम साढ़े 5 बजे होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस बात का भी फैसला हो जाएगा. इससे पहले बता दें कि कर्नाटक में सीएम पद के दो प्रबल दावेदार हैंः 4 चार के पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार, जिन्होंने अपनी लीडरशिप में कांग्रेस को 34 सालों बाद इतनी बड़ी जीत दिलाकर एक तरफा सरकार बनाने में मदद की है. दोनों में से हालांकि किसी ने भी अभी तक सीएम पद के लिए अपनी स्पष्ट दावेदारी जाहिर नहीं की है लेकिन दोनों की ओर से दूसरे नेता जरूर दावेदारी कर रहे हैं. इसी बीच राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, सीएम पद के लिए 1+4 के फाॅर्मूले पर रजामंदी हो सकती है.

डीके के भाई और सिद्धारमैया के बेटे ने ठोकी दावेदारी

सीएम पद को लेकर राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो चल रहा है या फिर छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच जो टकराव हुआ या फिर मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच जो हो चुका है, उससे साफ है कि कर्नाटक का फैसला भी सोनिया और राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होगा. एक तरफ सीनियर लीडर और पार्टी में दबदबे वाले सिद्धारमैया हैं जो चार बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ जीत के हीरो डीके शिवकुमार हैं.

कर्नाटक में भी ऐसा कुछ हो सकता है, इस बात को हाईकमान पहले ही समझ चुका था. यही वजह रही कि पार्टी ने कर्नाटक चुनाव प्रभारी सुरजेवाला को जिम्मेदारी दी थी कि डीके और सिद्धारमैया आमने-सामने न आएं. तय हुआ कि सिद्धारमैया उत्तर, मध्य और तटीय क्षेत्रों में प्रचार करेंगे. वहीं डीके दक्षिणी जिलों और वोक्कालिगा समुदाय के वोटों पर काम करेंगे. वक्त की नजाकत को समझते हुए इस बार कर्नाटक में पार्टी का चेहरा किसी को भी न बनाकर हाईकमान को आगे रखा गया.

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सीएम के नाम के ऐलान से पहले ही डीके के भाई और सिद्धारमैया ने अपनी अपनी ओर से बयानबाजी शुरू कर दी है. डीके शिवकुमार के भाई और कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने अपना मत देते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरा भाई सीएम बने. वहीं सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने मीडिया के समक्ष़्ा कहा कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए हम कुछ भी करेंगे. राज्य के हित में मेरे पिता को मुख्यमंत्री बनना चाहिए. हालांकि इनके अलावा, किसी ने भी अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

सिद्धारमैया के सीएम बनने की संभावना ज्यादा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री बनने की संभावना डीके के ज्यादा है. सिद्धारमैया पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. वे कर्नाटक के तीसरे सबसे बड़े समुदाय कुरूबा से आते हैं और गैर लिंगायत एवं गैर वोक्कालिगा समुदाय से बनने वाले पहले सीएम रहे. सोनिया गांधी के करीबी माने जाते हैं और टीपू सुल्तान को एक नायक के तौर पर स्थापित करने में मदद की जिससे मुस्लिम वर्ग में उनकी बैठ बनी. वहीं सिद्धारमैया पहले ही इसे अपना आखिरी इलेक्शन बता चुके हैं. ऐसे में विधायकों का इमोशनल सपोर्ट भी उनके साथ है. दूसरी ओर, कांग्रेस ने करप्शन को मुद्दा बनाया और डीके पर ही करप्शन के आरोप हैं. वे इस मामले में जेल भी काट चुके हैं.

हालांकि सिद्धारमैया की उम्र उनके आड़े आ रही है. वे 76 वर्ष के हो चुके हैं और शारारिक क्षमता में कमजोरी आना लाजमी है. यह बात डीके के पक्ष में जा रही है. डीके ने अपने नेतृत्व क्षमता का लोहा इस बार पूरी तरह से मनवा दिया है. कर्नाटक में कांग्रेस को 5 साल सरकार चलानी है. ऐसे में डीके की अनदेखी नहीं की जा सकती है.

1+4 के फाॅर्मूले पर बनती दिख रही सहमति

चूंकि इस बार कांग्रेस की पूर्ण बहुमत सरकार है इसलिए इस फाॅर्मूले पर का किया जा सकता हैं और होगा भी ऐसा ही. इस फाॅर्मूले के चलते सिद्धारमैया का मान भी बना रहेगा और डीके की अनदेखी भी नहीं होगी. शुरूआत में डीके को डिप्टी सीएम या गृहमंत्री के साथ साथ कांग्रेस अध्यक्ष के साथ संतुष्ठ रखा जाएगा. सिद्धारमैया सीएम लोकसभा चुनाव 2024 तक सीएम बने रहेंगे. इस दौरान डीके प्रचार कार्यों में तेजी लाने का काम सक्रियता से कर सकेंगे. लोकसभा चुनावों के बाद या उसके एक साल बाद डीके को मुख्यमंत्री बनना निश्चित है. पार्टी में सामंजस्य बनाए रखने के लिए कांग्रेस इस बात को गुप्त ही रखेगी और सही वक्त का इंतजार करेगी.

 

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