“सांसों पर भारी दिल्ली की राजनीति” अस्पतालों को बाहरी मरीजों के लिए खोलने पर भिड़ी LG और आप सरकार

केजरीवाल सरकार के फैसले को 24 घंटे के भीतर उप राज्यपाल ने बदला, सरकार हुई नाराज और खड़े किए सवाल, केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया दिल्ली वालों के लिए नई मु​सीबत

Arvind Kejriwal (अरविंद केजरीवाल)
Arvind Kejriwal (अरविंद केजरीवाल)

पॉलिटॉक्स न्यूज. दिल्ली में एक तरफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने खुद को आइसोलेट किया हुआ है, वहीं बाहर एक अलग ही राजनीति चल रही है. पिछले सप्ताह दिल्ली की बॉर्डर सील करने को लेकर जमकर बवाल मचा था और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. हाल में राजधानी की आप सरकार ने दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों में स्थानीय लोगों के इलाज को ही स्वीकृति देने का फैसला किया, जिसके बाद दिल्ली राजनीति बयानबाजी और प्रतिक्रियाओं का हॉट स्पॉट बन गया है.

इधर, उपराज्यपाल अनिल बैजल (Anil Baijal) ने केजरीवाल सरकार के आदेश को पलट दिया जिसके बाद दिल्ली में बढ़ते कोरोना के बीच लड़ाई सरकार बनाम उपराज्यपाल की हो गई है. एलजी के फैसले पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने सवाल खड़ा किया है. यहां तक की डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन का कहना है कि एलजी के पास अस्पतालों को लेकर कोई प्लान है और न कोई डेटा.

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दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली (Delhi) के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बाहरी मरीजों का इलाज नहीं करने का आदेश दिया था. इसका मतलब था कि दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज होगा. दिल्ली में फिलहाल साढ़े आठ से नौ हजार तक बेड हैं. सीएम केजरीवाल ने कहा था कि अगर दिल्ली के अस्पताल बाहर वालों के लिये खोल दिये जायें तो तीन दिन के अंदर सारे बेड भर जायेंगे. ऐसे में स्थानीय लोगों का इलाज हो पाना मुश्किल है और दिल्ली सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है. लेकिन केजरीवाल सरकार के इस आदेश को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पलट दिया.

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) के चेयरमैन की हैसियत से सीएम के फैसले पर वीटो लगाया है. नए आदेश के मुताबिक दिल्ली के अस्पतालों में सभी लोगों का इलाज होगा यानी बाहर से आने वाले भी जगह खाली होने पर दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे.

इस पर DDMA की बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए मंत्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में एलजी साहब ने फैसले को पलट दिया, इस बारे में एलजी से बैठक में बात हुई. हालांकि एलजी को कोई आईडिया नहीं था कि कितने लोग बाहर से इलाज के लिए आएंगे? इसका आंकलन एलजी को नहीं था.

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विस्तृत जानकारी देते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा कि जिस तेजी से संक्रमण बढ़ रहा है, उससे लगता है कि 30 जून तक 1 लाख केस होंगे और हमें 15 हजार बेड की जरूरत होगी. 15 जुलाई तक सवा 2 लाख केस होंगे, उसके लिए 33 हजार बेड की जरूरत होगी, 31 जुलाई तक साढ़े 5 लाख केस होंगे, उसके लिए 80 हजार बेड की जरूरत होगी. साढ़े 5 लाख केस होंगे.

वहीं स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन (Satendra Jain) ने कहा कि दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में 50 फीसदी लोग बाहर से इलाज कराने आते हैं और बड़े सरकारी में यह आंकड़ा 70 फीसदी के करीब है. 31 जुलाई तक सिर्फ दिल्लीवालों के लिए 80 हजार बेड चाहिए. एलजी साहब से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोई प्लान नहीं किया है.

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मंत्री जैन ने बताया कि पिछले कई दिनों से रोजाना 1000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं, तो दिल्ली के लोगों को इलाज कराने के लिए जगह की आवश्यकता है. अगर देखें तो आसपास के राज्य कह रहे हैं कि उनके यहां कोरोना है ही नहीं. जब वह कह ही नहीं रहे हैं कि कोरोना है तो कोई मुद्दा ही नहीं है. जैन ने बेड को लेकर भी जानकारी देते हुए बताया कि राजधानी में 14 से 15 दिन के अंदर मामले डबल हो रहे हैं, तो इस हिसाब से अगले 14 से 15 दिन में दिल्ली में करीब 56,000 मामले हो जाएंगे. अभी हमारे पास साढ़े आठ से नौ हजार बेड हैं लेकिन हमारा लक्ष्य है कि अगले 15 दिन में 15 से 17 हजार बेड की व्यवस्था हो जाए. लेकिन अगर बाहरी राज्यों से लोग ​इलाज के लिए दिल्ली आते रहे तो मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

इधर उपराज्यपाल ने फैसला बदला उधर दिल्ली सरकार खफा हुई. सीएम केजरीवाल ने तुरंत ट्वीट कर इसे दिल्ली वालों के लिए नई मुसीबत बता दिया. केजरीवाल ने लिखा, ”एलजी साहब के आदेश ने दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या और चुनौती पैदा कर दी है. देशभर से आने वाले लोगों के लिए करोना महामारी के दौरान इलाज का इंतज़ाम करना बड़ी चुनौती है. शायद भगवान की मर्ज़ी है कि हम पूरे देश के लोगों की सेवा करें. हम सबके इलाज का इंतज़ाम करने की कोशिश करेंगे.’

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