Politalks.News/Rajasthan. मध्यप्रदेश और बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के कारण देखी जा रही सियासी बदजुबानी का असर अब प्रदेश की राजनीति पर भी दिखाई देने लगा है. यही कारण है कि अब तक शालीन और सभ्य भाषा का दायरा अपनाने वाली दौसा सांसद जसकौर मीणा ने अपने ही समाज बल्कि अपनी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को ‘लंगूर’ तक कह डाला. हांलाकि जसकौर मीणा ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन क्षेत्र की जनता और सियासी समझ वाला हर आदमी समझ सकता है कि जसकौर ने यह शब्द किसके लिए बोले हैं.
दरअसल, सरपंचों के चुनाव के बाद हाल ही अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र सवाई माधोपुर जिले के बामनवास में सरपंच सम्मान समारोह में पहुंची दौसा सांसद जसकौर मीणा ने समाज के एक वरिष्ठ नेट्स को ‘लंगूर’ बता दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीणा समाज की राजनीति में आई खामियों को दूर करने के लिए कहा कि सभी को काम करना चाहिए. आपको बता दें, पिछले लोकसभा चुनाव से पहले अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दौसा संसदीय क्षेत्र से टिकट की दावेदारी जनजाति समाज के अलग-अलग नेताओं ने की थी. जाहिर सी बात है टिकट की दावेदारी एक से ज्यादा लोग करेंगे तो कुछ पैरवी भी करेंगे और कुछ एक-दूसरे का विरोध भी. ऐसे में अलग-अलग बैठकों के दौर के बाद जसकौर मीणा को टिकट भी मिला और भी जीत भी गई. लेकिन इस जीत के बावजूद उनके मन में इस बात का दर्द है कि मीणा समाज की राजनीति को अन्य समाजों के लोग पसंद नहीं कर रहे
जसकौर मीणा ने बामनवास की इस मीटिंग में अपने दर्द को शब्द दे दिए. लेकिन इस दौरान जसकौर मीणा वह दायरा भी लांघ गई जिसका उन्होंने अब तक ध्यान रखा था. जसकौर ने कहा कि दौसा संसदीय क्षेत्र में अन्य समाजों के लोग उन्हें वोट देने के लिए आश्वस्त तो करते थे, लेकिन साथ ही यह भी कहते थे कि उनको मीणा समाज के वोटों पर ध्यान देना चाहिए. इसी दौरान जसकौर यहां तक कह गई थी समाज के एक ‘लंगूर’ ने तो उनके खिलाफ कई मीटिंग कि और उन्हें हराने की कोशिश की. हालांकि, इस भाषण के दौरान दौसा सांसद ने समाज के अन्य कई नेताओं पर भी निशाना साधा और इसी बात को लेकर समाज के नेताओं में नाराजगी दिखने लगी है.
सियासी हलकों में अब चर्चा इस बात की है कि आखिर दौसा सांसद ने भाषा की सभ्यता का दायरा क्यों तोड़ा? हो सकता है कि चुनाव में पार्टी के भीतर और बाहर कुछ लोगों ने उनका विरोध किया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस विरोध पर प्रतिक्रिया देने के लिए भाषा का दायरा तोड़ना जरूरी था? यही नही, समाज के एक नेता को ‘लंगूर’ बताने के साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि मास्टर जी आप बुरा मत मानना. क्योंकि वह ‘लंगूर’ तो आपका देवता है.