CWC की बैठक आज, सोनिया गांधी देंगी इस्तीफा! गहलोत-पायलट ने की राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग

सोनिया गांधी के कार्यकाल को एक साल हुआ पूरा, नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पार्टी में बने दो धड़े, पार्टी को खुद चुनना पड़ सकता है अपना नेता, शीर्ष नेतृत्व को लिखे कांग्रेस नेताओं के पत्र ने बढ़ाई सरगर्मियां, गहलोत और पायलट ने कहा राहुल गांधी अपने हाथ में लें कमान

Ashok Gehlot Rahul Gandhi Sachin Pilot 1544780500(1)
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Politalks.News/Delhi. कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की आज एक अहम बैठक होनी है. बैठक में सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकती हैं. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष पद का निर्वाह करते हुए एक साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है लेकिन इतने वक्त में न तो कांग्रेस नया अध्यक्ष ही ढूढ पाई, न ही राहुल गांधी को इस पद के लिए राजी कर पाई. अब नेतृत्व बदलाव की मांग पर पार्टी में दो धड़े बन गए हैं. एक धड़ा चाहता है कि अध्यक्ष पद गांधी परिवार यानि सोनिया-राहुल-प्रियंका में से कोई एक संभाले. वहीं दूसरा धड़ा गैर कांग्रेसी को पार्टी की बागड़ौर संभलाने के पक्ष में है. इसी बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की मांग की है. ऐसे में माना जा रहा है कि आज होने वाली सीडब्ल्यूसी की बैठक में काफी कुछ निर्णायक हो सकता है.

इससे पहले शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की मांग को लेकर कांग्रेसी नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पत्र भी लिखा था. इस पत्र में 23 नेताओं के हस्ताक्षर थे. ऐसा दावा किया जा रहा है कि पत्र पर गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल के अलावा जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा, मनीष तिवारी, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली और संदीप दीक्षित सहित कांग्रेस के अन्य युवा ब्रिगेड ने हस्ताक्षर किए हैं. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला अपने हस्ताक्षर होने से पहले ही इनकार कर चुके हैं. पत्र में कहा गया है कि राज्य इकाइयों को सशक्त किया जाना चाहिए और पावर सेंटर पर ट्रिक डाउन इफेक्ट होना चाहिए. पार्टी को दिल्ली में केंद्रीकृत नहीं किया जाना चाहिए.

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अब ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कल होने वाली अहम इस बैठक में यह मुद्दा उठ सकता है. जैसा कि गौरतलब है, लंबे समय से कांग्रेस में संगठन के स्तर पर बदलाव को लेकर चर्चा चल रही है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए कांग्रेस दो धड़ों में बंटी दिख रही है. एक धड़ा पार्टी नेतृत्व सहित संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग कर रहा है तो एक गुट ने गांधी परिवार को चुनौती देने को गलत बता रहा है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार शाम ट्वीट करते हुए कहा कि, “मेरा दृढ़ता से मानना है कि इस निर्णायक मोड़ पर श्रीमती सोनिया गांधी जी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए जहां लड़ाई है हमारे लोकतंत्र के लोकाचार को बचाने की. सोनिया जी ने हमेशा चुनौतियों को स्वीकार किया है, लेकिन फिर भी अगर उन्होंने अपना मन बना ही लिया है तो मेरा मानना है कि राहुल गांधी जी को आगे आना चाहिए आगे और कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहिए, क्योंकि इस समय देश को और हमारे संविधान को बचाने की है सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने है.” वहीं पार्टी नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि माननीय कांग्रेस अध्यक्ष को 23 वरिष्ठ अधिकांश कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्र लिखे जाने की खबरें अविश्वसनीय हैं और अगर यह है सच तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की खबर की मीडिया में जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी.

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वहीं पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने देर रात ट्वीट करते हुए लिखा कि, “सोनिया गांधी और राहुल जी ने ये दिखाया है कि पार्टी और लोगों की भलाई के लिए त्याग करने का मतलब क्या होता है, अब सर्वसम्मति बनाने का समय आ गया है. जब हम एकजुट होंगे तो हमारा भविष्य ओर मजबूत होगा.” पायलट ने आगे कहा कि ज्यादातर पार्टी कार्यकर्ता चाहेंगे राहुल गांधीजी ही कांग्रेस पार्टी की अगुवाई करें.

इधर, कांग्रेस नेता संजय निरुपम के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती दिए जाने का विरोध किया है. अमरिंदर सिंह ने रविवार को कहा कि यह समय इस तरह के मुद्दों को उठाने का नहीं है. अभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्ष की जरूरत है जिसने देश के संवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ध्वस्त कर दिया है. वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार राहुल गांधी को नेतृत्व सौंपने की बात का समर्थन कर चुके हैं.

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ऐसे में कई कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि यह पत्र अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए कुछ नेताओं द्वारा किए गए अंतिम प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं है और उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए लिखा है न कि पार्टी हित के लिए. वहीं सोनिया गांधी के एक इंटरव्यू देने की बात भी सामने आ रही है जिसमें उन्होंने पार्टी को ही पार्टी का नेतृत्व चुनने की बात कही है. हालांकि अधिकांश नेताओं ने इसे महज एक अफवाह बताया है.

गौर करने वाली बात ये है कि ये बात महज अफवाह हो सकती है लेकिन इसके पीछे का सेंस ये है कि निश्चित तौर पर अब पार्टी को ही तय करना चाहिए कि उनका नेता कौन होगा. सोनिया, राहुल और प्रियंका अब नेतृत्व नहीं करना चाहते तो किसी गैर कांग्रेसी को ही आगे आना होगा और पार्टी की बागड़ौर संभालनी होगी. इस लिस्ट में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे है लेकिन फिलहाल कुछ भी परिवर्तन होना सम्भव नहीं लगता है.

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